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छोटी उम्र में साइलेंट अटैक क्यों? फेयरवेल स्पीच देती छात्रा के केस के बाद उठे सवाल

महाराष्ट्र के धाराशिव इलाके में कॉलेज में स्पीच देने के दौरान लड़की को साइलेंट हार्ट अटैक आया। घटनास्थल पर ही उसकी मौत हो गई, जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है।

Heart attack
हार्ट अटैक आजकल कभी भी, किसी को भी, कहीं भी हो सकता है। मगर आजकल हार्ट अटैक का एक नया प्रकार लोगों को ज्यादा परेशान कर रहा है, जिसे साइलेंट अटैक कहते हैं। साइलेंट हार्ट अटैक, दिल के दौरे का सबसे घातक रूप है, जिसके बारे में लोगों को पता ही नहीं चलता है। महाराष्ट्र के धाराशिव में कॉलेज फेयरवेल में मंच पर वर्षा नाम की छात्रा स्पीच दे रही थी और उसे अचानक ही हार्ट अटैक आ गया, जिस वजह से उसकी मौके पर ही मौत हो गई। दरअसल, हुआ यूं था कि माहौल खुशनुमा और हंसी-ठहाके लगाए जा रहे थे। वर्षा मंच पर गिर गईं और उठी नहीं, जब लोगों ने उसे देखा तो उसकी मौत हो चुकी थी। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। वर्षा को साइलेंट अटैक आया था। आइए जानते हैं इसके बारे में सब कुछ।

साइलेंट हार्ट अटैक क्या है?

साइलेंट अटैक के मामले हाल के समय में बढ़ रहे हैं और इसके कारणों को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं। हाल ही में एक छात्रा के फेयरवेल स्पीच के दौरान साइलेंट अटैक होने की घटना ने इस मुद्दे को और अधिक उजागर किया है। सबसे पहले जान लीजिए साइलेंट अटैक क्या होता है? डॉक्टर के मुताबिक साइलेंट अटैक वो अटैक है, जिसमें हार्ट अटैक तो आता है लेकिन इसके लक्षण दिखाई नहीं देते हैं या न समझ में आते हैं। मगर साइलेंट अटैक का मतलब यह नहीं होता है कि हमें कोई वॉर्निंग नहीं मिल रही है। दरअसल, लोगों को इसके संकेत समझ ही नहीं आते, इसलिए वे गौर नहीं करते हैं कि उन्हें साइलेंट अटैक या हार्ट अटैक आया है। ये भी पढ़ें- अप्रैल के महीने में जरूर खाने चाहिए ये 5 सुपरफूड्स, न्यूट्रिशनिस्ट ने बताए फायदे

छोटी उम्र में क्यों बढ़ रहे मामले

कम उम्र के लोगों में इस बीमारी के मामले तेज होने के कई कारण हैं, जैसे कि स्ट्रेस या सही दिनचर्या न होना। युवाओं और छात्रों में स्ट्रेस का सबसे बड़ा कारण कॉम्पिटेटिव माहौल है। यहां ध्यान दें कारणों पर: 1. तनाव आजकल छात्रों में मानसिक दबाव और तनाव बहुत बढ़ गया है। विद्यालयों और कॉलेजों में सही रिजल्ट लाने का कॉम्पिटिशन, परिवार से उम्मीदें और भविष्य को लेकर चिंता, ये सभी मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा असर डालते हैं। 2. लाइफस्टाइल इस समय युवा न समय सोते हैं, न समय पर खाते हैं और न ही समय पर कोई काम करते हैं। लाइफस्टाइल में शारीरिक गतिविधियों की कमी और असंतुलित आहार जैसे कि जंक फूड और डाइट में शुगर और फैट का सेवन ज्यादा करना। इन सभी कारणों से सेहत पर बुरा असर पड़ता है। 3. फिजिकल और मेंटल स्ट्रेस बच्चों या युवाओं में फिजिकल स्ट्रेस बढ़ने का कारण शरीर का ज्यादा वजन होना भी है। शारीरिक गतिविधि की कमी से भी मेंटल स्ट्रेस बढ़ सकता है। सोशल मीडिया का अत्यधिक उपयोग और देर रात तक जागना या पढ़ाई करना भी साइलेंट अटैक का कारण है। 4. मेडिकल कंडीशन हाई ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल और शुगर की समस्याएं या किसी बीमारी की दवा लेने से भी ऐसे अटैक आ सकते हैं। 5. जेनिटिकल रीजन फैमिली हिस्ट्री यानी परिवार में पहले से किसी को हार्ट अटैक आया हो, तो आगे की पीढ़ियों में भी कार्डियो प्रॉब्लम्स हो सकती हैं।

क्या कहते हैं एक्सपर्ट?

दिल्ली के हार्ट सर्जन और पीडियाट्रिशियन डॉक्टर महेश वाधवान बताते हैं कि साइलेंट हार्ट अटैक उतना शांत नहीं होता है, जितना बोला जाता है। इसके पीछे का शोर खतरनाक होता है। हार्ट अटैक का यह टाइप सबसे खतरनाक होता है। इसमें मरीज को अटैक आता है लेकिन बिना संकेत के। मेडिकल में इसे ऐसा माना जाता है कि यदि कोई लक्षण या पहले से कोई बीमारी जैसे कि डायबिटीज, कोलेस्ट्रॉल या बीपी जैसी समस्याएं नहीं हैं, तो यह हार्ट अटैक होता है। मगर यह उन लोगों को ज्यादा प्रभावित करता है जिनमें शुगर की बीमारी हो, स्मोकिंग-शराब पीना आदि जैसे फैक्टर्स होते हैं। इन दिनों युवाओं में ये सभी चीजें होना कॉमन है।

कैसे बचें?

  • हेल्दी डाइट का सेवन करें।
  • नियमित रूप से व्यायाम को अपने रूटीन में शामिल करें।
  • तनाव कम करें।
  • धूम्रपान और शराब के सेवन पर रोकथाम करें।
  • ब्लड प्रेशर नियंत्रित रखें।
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