TrendingUnion Budget 2024Aaj Ka RashifalAaj Ka MausamBigg Boss OTT 3

---विज्ञापन---

Nipah Virus: 10 में से 9 मरीजों की हो जाती है मौत, ICMR के साइंटिस्ट ने बताया बांग्लादेश स्ट्रेन कितना खतरनाक?

Nipah Virus Bangladesh Strain Kills 9 Out Of 10 Claims ICMR scientist: केरल में निपाह वायरस की दहशत है। इस वायरस से दो संक्रमितों की मौत हो चुकी है। अब तक 6 मरीजों को चिन्हित किया गया है। संक्रमितों के संपर्क में आए एक हजार से ज्यादा लोगों की पहचान की गई है। विश्व स्वास्थ्य […]

Edited By : Bhola Sharma | Updated: Sep 16, 2023 23:49
Share :
Nipah virus

Nipah Virus Bangladesh Strain Kills 9 Out Of 10 Claims ICMR scientist: केरल में निपाह वायरस की दहशत है। इस वायरस से दो संक्रमितों की मौत हो चुकी है। अब तक 6 मरीजों को चिन्हित किया गया है। संक्रमितों के संपर्क में आए एक हजार से ज्यादा लोगों की पहचान की गई है। विश्व स्वास्थ्य संगठन और अन्य ग्लोबल एजेंसियों की नजर इस समय भारत में बढ़ रहे इस खतरे पर है। इस बीच भारत के शीर्ष महामारी विशेषज्ञ डॉ. रमन गंगाखेड़कर के एक दावे ने लोगों की चिंता बढ़ा दी है। उनका कहना है कि 10 संक्रमितों में से 9 की मौत हो जाती है। निपाह का बांग्लादेश स्ट्रेन बेहद खतरनाक है। इसमें मरीजों को सांस लेने में तकलीफ होती है। अंत में मरीज वेंटिलेटर पर चला जाता है। उन्होंने कहा कि इसकी रोकथाम के लिए सोर्स का पता लगाना बेहद अहम है।

निपाह से लड़ने में इन बातों की अहम भूमिका

भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) में महामारी विज्ञान और संचारी रोगों के पूर्व प्रमुख गंगाखेडकर ने केरल में निपाह वायरस के पिछले तीन प्रकोपों से निपटने में देश के प्रयास का नेतृत्व किया है। उन्होंने कहा कि इंडेक्स रोगी को ढूंढना, निपाह वायरस की उत्पत्ति का पता लगाना, आसपास के सभी जानवरों का परीक्षण करना, समुदाय को संगठित करना और चिकित्सा सहायता तैयार रखना यह इस रोग से लड़ने की अहम प्राथमिकता है।

13 सितंबर को केरल में सामने आया केस

13 सितंबर को केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने घोषणा की कि राज्य में पाए गए निपाह के मामले बांग्लादेश स्ट्रेन के थे। यानी केरल में निपाह का संक्रमण बांग्लादेश से आया है।

गंगाखेडकर ने कहा कि इससे पहले जब मलेशियाई स्ट्रेन का पता चला तो इसके न्यूरोलॉजिकल लक्षण भी दिखते थे। लेकिन बांग्लादेश स्ट्रेन उच्च मृत्यु दर के लिए जाना जाता है। यह लगभग 10 संक्रमित लोगों में से नौ लोगों को मार देगा। यह चिंता करने वाली बात है।

2018 में 15 दिन में कंट्रोल हो गया था निपाह

गंगाखेडकर ने कहा कि 2018 में, उन्होंने और टीम के अन्य सदस्यों ने निपाह रहस्य को 15 दिनों में सुलझा लिया था। मई 2018 में वैज्ञानिकों की एक टीम ने पाया कि इंडेक्स रोगी केरल के एक गांव में अपने घर के कुएं की सफाई करते समय फल वाले चमगादड़ों के सीधे संपर्क में था।

क्या चमगादड़ों का कनेक्शन?

केरल में चमगादड़ बगीचों में फल खाने आते हैं। 2018 और 2019 में इसका प्रकोप मई के महीने में हुआ, जिससे पता चला कि वे गर्मियों में आम खाने आते हैं। इसलिए फलों को धोकर खाने या कटे हुए फलों को न छूने की सलाह जारी की गई।

सितंबर 2021 में एक और प्रकोप हुआ। लेकिन कोविड महामारी के चलते इससे निपटने में सहूलियत मिली। गंगाखेडकर ने कहा कि संपर्क-ट्रेसिंग बहुत भारी होनी चाहिए,” उन्होंने याद करते हुए कहा कि 2018 में, केवल तीन दिनों में 2,000 से अधिक लोगों को ट्रैक किया गया था।

निपाह केरल में क्यों फैला?

पुणे स्थित आईसीएमआर के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (आईसीएमआर-एनआईवी) द्वारा चल रहे एक राष्ट्रव्यापी सर्वेक्षण में नौ राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश में चमगादड़ों की आबादी में निपाह वायरस के प्रसार के प्रमाण मिले हैं।

जुलाई तक 14 राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों में सर्वे पूरा हो गया। केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक, गोवा, महाराष्ट्र, बिहार, पश्चिम बंगाल, असम, मेघालय और केंद्र शासित प्रदेश पांडिचेरी में चमगादड़ों में निपाह वायरस की एंटीबॉडी पाई गई।

उसी अध्ययन का हवाला देते हुए, गंगाखेडकर ने कहा, ऐसी संभावना है कि अन्य राज्यों में छोटे प्रकोप होते हैं लेकिन रिपोर्ट नहीं किए जाते हैं। हमें अपने निगरानी तंत्र को मजबूत करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि भारत को बांग्लादेश के मॉडल को देखने की जरूरत है जहां उन्होंने सार्वजनिक शिक्षा और आम लामबंदी के जरिए वायरस से लड़ाई लड़ी है। कई अन्य निवारक तकनीकों के अलावा, उन्होंने चमगादड़ों के घोंसले को रोकने के लिए ताड़ के पेड़ों को ढंकना शुरू कर दिया है।

यह भी पढ़ें: कोरोना से भी खतरनाक है निपाह; बने कंटेनमेंट जोन, आने-जाने पर पाबंदी, स्कूल-कॉलेज भी हुए बंद

First published on: Sep 16, 2023 11:49 PM

Get Breaking News First and Latest Updates from India and around the world on News24. Follow News24 on Facebook, Twitter.

संबंधित खबरें
Exit mobile version