IBS Causes: हमारी दिनचर्या में सिर्फ खाना-पीना शामिल नहीं होता है। इसमें हमारे पूरे दिन की एक्टिविटीज शामिल होती हैं जैसे हम कब खाते हैं, कितना खाते हैं, कब उठते हैं और कब सोते हैं। फ्रेश होना या मल त्याग करना भी हमारी दैनिक गतिविधियों में से एक चीज होती है। प्रतिदिन 1 से 2 बार मल त्याग करना सही है मगर कोई रोजाना दिन 5-6 बार टॉयलेट जा रहा है, तो यानी उसके पेट का स्वास्थ्य सही नहीं है। रोजाना इतनी बार फ्रेश होने का मतलब है कि वह इंसान आईबीएस की बीमारी से पीड़ित है। IBS पेट और आंतों की ऐसी बीमारी है जिसमें इंसान को बार-बार टॉयलेट जाने का मन करता है। चलिए जानते हैं इस बीमारी का इलाज क्या है।
क्या है IBS?
आईबीएस यानी इरिटेबल बाउल सिंड्रोम एक ऐसी बीमारी है जो पाचन तंत्र से जुड़ी हुई होती है। इसमें पाचन की समस्याएं होती हैं और लोगों को बार-बार फ्रेश होने का मन करता है। यह आंतों से जुड़ी बीमारी होती है जिसमें गैस्ट्रिक प्रॉब्लम के चलते खाना नहीं पचता और वह मल के जरिए बाहर आता है। इसमें डाइजेस्टिव सिस्टम की बनावट सही होती है लेकिन उसके काम करने का तरीका ठीक नहीं होता है। ऐसे में कई बार यह बीमारी गंभीर भी हो जाती है। इस बीमारी में कई बार तेज पेट दर्द, ऐंठन, पेट फूलने और कब्ज की समस्या भी होती है।
इस बीमारी के लक्षण क्या हैं?
पंजाब के आयुर्वेदा प्रैक्टिशनर डॉक्टर राघव ठुकराल बताते हैं कि अक्सर लोगों को इस बीमारी में खाना खाते हैं पॉटी का प्रेशर आता है। इस बीमारी में मरीज को घर से बाहर निकलते ही फ्रेश होने का मन करता है। डॉक्टर बताते हैं यह एक क्रोनिक बीमारी है और मरीज इसमें दिन में 5 से 6 बार टॉयलेट जाते हैं लेकिन बावजूद इसके वे फ्रेश फील नहीं करते हैं। इसका कारण बार-बार मल त्याग करने की इच्छा होना है।
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कैसे होते हैं इसके संकेत?
डॉक्टर बताते हैं कि ऐसे लोगों को बहुत ज्यादा स्ट्रेस होता है और वे बहुत ज्यादा कमजोर हो जाते हैं या फिर इनका वजन कम होने लगता है। इसके अलावा, पेट दर्द, ऐंठन, गैस, दस्त और कब्ज होना भी इसके लक्षण होते हैं। हालांकि, दस्त के कई कारण होते हैं। मगर यदि दस्त के अलावा भी आप रोजाना दिन में 4-5 बार फ्रेश होते हैं तो यह सही संकेत नहीं है। डॉक्टर इस लक्षण को हमेशा दस्त मानकर नजरअंदाज करने से भी मना करते हैं। इस बीमारी का कारण आंतों में खराब बैक्टीरिया बढ़ना, तनाव और चिंता में रहना है।
क्या है इसका इलाज?
IBS का कोई भी पक्का इलाज नहीं है। अभी तक इस पर स्टडी जारी है क्योंकि ऐलोपेथी के ट्रीटमेंट में इस बीमारी के लिए कोई सटीक इलाज या दवा नहीं है। इसे सिर्फ नियंत्रित किया जा सकता है। डॉक्टर राघव कहते हैं कि आयुर्वेद में इसके लिए इलाज मौजूद है जिसमें 3 उपायों को अपनाया जाता है। इन उपायों की मदद से IBS की समस्या से पूरी तरह ठीक हो सकते हैं।
क्या हैं यह 3 उपाय?
1. बीमारी की जड़- आयुर्वेद में इस बीमारी का उपचार करने के लिए सबसे पहले बीमारी का मूल कारण ढूंढा जाता है। जबतक बीमारी की वजह का पता नहीं चलता तब तक इलाज करना मुश्किल होता है।
2. अग्नि तत्व को बैलेंस करना- आयुर्वेद में दूसरा उपाय है अपने शरीर के अग्नि तत्व को बैलेंस करना यानी की डाइजेस्टिव सिस्टम को ठीक करना। इसके लिए आपको तला-भुनी चीजों से परहेज करना चाहिए और गुनगुना पानी पीना चाहिए। अपनी डाइट में ठंडी चीजों को शामिल करना चाहिए और कुछ व्यायामों जैसे वज्रासन और बालासन करना चाहिए।
3. आयुर्वेदिक जड़ी बूटियां- इसके इलाज का तीसरा चरण है आयुर्वेदिक दवाओं के जरिए बीमारी को कम कर उसकी रोकथाम करना। इसके लिए बेल, कुटज और मुस्ता जैसी चीजों का सेवन करना होता है। कुटज दस्त और पेचिश के इलाज में असरदार माना जाता है और मुस्ता ऐसी आयुर्वेदिक जड़ है जो पेट फूलने और गैस की समस्या को दूर करता है।
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