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पित्त की थैली में पथरी का बिना ऑपरेशन कैसे होगा इलाज? सीनियर गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट ने बताया Gallbladder Stones हटाने का तरीका

Gallbladder Stone: गालब्लैडर में पथरी होने के क्या लक्षण हैं और बिना ऑपरेशन इस पथरी को कैसे कम किया जा सकता है यह बता रहे हैं डॉक्टर. आप भी जानिए पित्त की थैली की पथरी के बारे में सबकुछ.

Pitt Ki Thaili Mein Pathri: पित्त की थैली की पथरी निकालने के तरीके क्या-क्या हैं? Image Credit - Freepik

Gallbladder Stone Treatment: पित्ताशय की पथरी या पित्त की थैली में पथरी ऐसी दिक्कत है जो अब युवाओं को भी अपनी चपेट में लेने लगी है. गालब्लैडर की पथरी को गालस्टोंस (Gallstones) भी कहते हैं. यह पथरी डाइजेस्टिव फ्लुइड्स के कड़े हो जाने पर बनती है. गालब्लैडर एक छोटा सा नाशपाती के आकार का ऑर्गन है जो पेट के दाईं तरफ होता है और लिवर के बिल्कुल नीचे होता है. गालब्लैडर में बाइल जूस कहे जाने वाले डाइजेस्टिव फ्लुइड होते हैं जो छोटी आंत में जाते हैं. ऐसे में गालब्लैडर में होने वाली पथरी (Gallbladder Stones) ना सिर्फ दर्द का कारण बनती है बल्कि स्वास्थ्य को कई तरह से नुकसान पहुंचाती है. इसमें व्यक्ति का कुछ खाना-पीना तक मुश्किल हो जाता है और कई बार तो इस पथरी से पेट में सूजन नजर आने लगती है सो अलग.

पित्त की थैली में हुई पथरी कैसे शरीर को प्रभावित करती है और इस पथरी को किस तरह बिना ऑपरेशन के निकाला जा सकता है यह बता रहे हैं डॉ. विनोद के मिश्रा. सीनियर गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट, हेपाटोलॉजिस्ट और एंडोस्कोपिस्ट डॉ. विनोद के मिश्रा ने इस वीडियो को अपने यूट्यूब चैनल से शेयर किया है. डॉक्टर ने बताया है कि बिना ऑपरेशन पित्त की थैली में पथरी (Pitt Ki Thaili Mein Pathri) का कैसे इलाज हो सकता है.

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बिना ऑपरेशन पित्त की थैली में पथरी का इलाज | Gallbladder Stones Treatment Without Operation

डॉ. विनोद के मिश्रा ने बताया कि गालब्लैडर स्टोन का इलाज 2 तरह से होता है. एक होता है नॉन सर्जिकल तरीका जिसमें बिना ऑपरेशन के गाल ब्लैडर स्टोन निकालते हैं और दूसरा तरीका है ऑपरेशन करके इस पथरी को निकालना. डॉक्टर ने बताया कि गालब्लैडर स्टोन को निकालने के लिए ज्यादातर ऑपरेशन ही किया जाता है लेकिन कुछ ऐसे तरीके हैं जिन्हें आजमाने पर ऑपरेशन की नौबत नहीं आती है.

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नॉन सर्जिकल ट्रीटमेंट के ऑप्शंस

पथरी घोलने वाली दवाइयां - कुछ ऐसी दवाइयां हैं जो गालब्लैडर के स्टोंस को निकाल सकती हैं. पहली दवाई है यूडीसीए यानी अरसो डिऑक्सी कोलिक एसिड. इन दवाओं को डॉक्टर देते हैं. इनसे गालब्लैडर स्टोन गलते हैं. इससे बाइल या पित्त पतला हो सकता है जिससे गालब्लैडर पथरी के घुलने की संभावना बढ़ जाती है. इसके अलावा कॉलेस्ट्रोल लेवल्स कम करने वाली दवाइयां दी जाती हैं. कॉलेस्ट्रोल का लेवल कम होगा तो बाइल में भी कॉलेस्ट्रोल कम होगा जिससे गालब्लैडर स्टोन बनने की संभावना कम होती है और साथ ही इन स्टोंस के घुलने की संभावना भी ज्यादा होती है. हालांकि, इन दवाओं का असर जल्दी नहीं होता बल्कि लंबा समय लेता है.

एक्स्ट्रा कॉरपोरियल शॉर्ट वेव लिथोट्रिप्सी - यह एक ऐसा मेथड है जिसमें ना ही पेट पर किसी तरह का चीरा लगाया जाता है और ना ही किसी उपकरण को शरीर में डाला जाता है, बल्कि जिस तरह से अल्ट्रासाउंड होता है बिल्कुल उसी तरह से बाहर से कुछ वेव्स पास की जाती हैं जिनसे गाल ब्लैडर स्टोन को टार्गेट किया जाता है और तोड़ा जाता है. एक्स्ट्रा कॉरपोरियल शॉर्ट वेव लिथोट्रिप्सी से गालब्लैडर के स्टोन रेत बन जाते हैं और पित्त की नली से धीरे-धीरे पास होने लगते हैं और मल में मिलकर शरीर से बाहर निकल जाते हैं. डॉक्टर ने बताया कि अगर स्टोन का साइज 2 सेंटीमीटर से कम है तो आप इस मेथड के बारे में अपने डॉक्टर से बात कर सकते हैं.

MTBE इंजेक्शन - मिथाइल टर्श बिटल ईथर इंजेक्शन यानी MTBE Injection सीधा गालब्लैडर के अंदर दिया जाता है. यह इंजेक्शन एक तरह का सॉल्वेंट है जो गालब्लैडर के स्टोन को डिजॉल्व कर देता है यानी घोल देता है.

ट्रांस म्यूरल ड्रेनेज - इस तकनीक में एक एंडोस्कोपिक अल्ट्रासाउंड उपकरण खाने की थैली से पास किया जाता है और उससे होते हुए गालब्लैडर के बीच में एक स्टेंट प्लेस किया जाता है जिससे गालब्लैडर के स्टोन निकाल दिए जाते हैं. इससे ना कोई चीरा लगता है और ना ही स्किन कटती है.

परकटेनियस कोलिस सटॉस्ट - इस प्रक्रिया में स्किन के ऊपर से गालब्लैडर में एक सूंई डाली जाती है. इससे गालब्लैडर के फ्लुइड को निकाला जाता है और एक नली डाली जाती है. यह ट्यूब कुछ हफ्तों तक गालब्लैडर में लगी रह सकती है. इसके बाद आखिर में गालब्लैडर को ऑपरेट करके निकाल लिया जाता है. जो लोग बहुत ज्यादा बीमार हैं लेकिन ऑपरेशन (Operation) की जरूरत नहीं है उनपर यह प्रक्रिया आजमाई जाती है.

डॉक्टर ने बताया ये 5 ऑप्शंस पित्त की पथरी निकालने के नॉन सर्जिकल ऑप्शंस में आते हैं. अगर आपकी दिक्कत इन मेथड्स से नहीं निकलती है तो सर्जिकल ऑप्शंस आजमाए जाते हैं. इनमें सर्जरी करवाई जाती है.

गालब्लैडर स्टोन्स होने के लक्षण

  • पेट के ऊपर, लिवर के पास दर्द रहने लगता है. यह दर्द खाना खाने के बाद होता है, ज्यादातर रात में होता है लेकिन दिन में भी हो सकता है.
  • खाना खाने में दिक्कत होती है. कुछ बहुत फैटी खा लिया जाए तो उसके बाद अचानक से तेज दर्द होने लगता है. हलवा या पूरियां वगैरह खाई जाएं यानी तेल वाली चीजें खाई जाएं तो दर्द बढ़ जाता है.
  • दाएं कंधे और पेट में भी दर्द रहने लगता है.
  • जी मितलाता है और उल्टी आने लगती है.
  • गालब्लैडर वाले हिस्से में त्वचा टाइट और कोमल महसूस होने लगेगी.
  • बुखार भी आना भी गालब्लैडर में पथरी होने के लक्षणों (Gallbladder Stone Symptoms) में शामिल है.

अस्वीकरण - इस खबर को सामान्य जानकारी के तौर पर लिखा गया है. अधिक जानकारी के लिए विशेषज्ञ की सलाह लें या चिकित्सक से परामर्श करें. न्यूज 24 किसी तरह का दावा नहीं करता है.

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