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ये 5 Digestive Cancer कितने खतरनाक! कैसे करें बचाव

Digestive Cancer: पाचन हमारी अच्छी सेहत में अहम रोल निभाता है। हेल्दी सेहत का रास्ता हेल्दी गट से होकर जाता है। हालांकि, बदलती जीवनशैली के कारण लोगों की डाइट तेजी से बदलती जा रही है। ऐसे में पाचन को लेकर हमें अपने खानपान का ध्यान रखना चाहिए। क्योंकि पाचन का ख्याल न रखने से कई तरह के कैंसर से आप ग्रस्त हो सकते हैं। 

Edited By : Deepti Sharma | Updated: May 29, 2024 15:43
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डाइजेस्टिव कैंसर Image Credit: Freepik

Digestive Cancer: एक हेल्दी लाइफ के लिए हमारे पाचन का स्वस्थ होना बहुत जरूरी है। आपका हेल्दी गट ओवरऑल हेल्थ को सर्पोट करता है। अगर पाचन ठीक है, तो सेहत से जुड़ी कई बीमारियों दूर रहती हैं और अगर गड़बड़ी हो, तो सेहत को नुकसान भी सकता है। ऐसे में लोगों को पाचन तंत्र को लेकर बिल्कुल भी लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए।

यह खासतौर से गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल (GI) डिजीज के बारे में लोगों को जानना चाहिए। क्योंकि इन दिनों बदलती जीवनशैली को कारण कई गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याएं लोगों को अपना शिकार बनाती हैं और इन्हीं में कैंसर एक है, जो एक गंभीर सिचुएशन भी हो सकती है। ऐसे में डाइजेस्टिव कैंसर के बारे में आपको जानकारी होनी चाहिए।

कोलोरेक्टल कैंसर (Colorectal Cancer) 

कोलोरेक्टल कैंसर दुनियाभर में होने वाला तीसरा सबसे आम कैंसर है, जो कोलन यानी रेक्टम पर असर करता है। हालांकि, स्क्रीनिंग के जरिए इसका जल्द पता लगाने से बेहतर नतीजे मिलते हैं, लेकिन कोलोरेक्टल कैंसर के बढ़ने के बाद इसका इलाज करना काफी मुश्किलभरा होता है।

पेट का कैंसर (Colon Cancer) 

इस प्रकार का कैंसर बुजुर्गों में ज्यादा नॉर्मल है और इसका पता बाद में चलता है। भले ही पेट का कैंसर कम आम होता जा रहा है, लेकिन फिर भी कैंसर से जुड़ी मौतों के लिए यह अभी भी जिम्मेदार है।

लिवर कैंसर (Liver Cancer) 

जब लिवर कैंसर, खासकर हेपैटोसेलुलर कार्सिनोमा (Hepatocellular Carcinoma) का पता चलता है, तो इसके इलाज के कुछ ही ऑप्शन अवेलेबल होते हैं। सिरोसिस, नॉन-अल्कोहल फैटी लिवर बीमारी और हेपेटाइटिस बी या सी के साथ-साथ पुरानी लिवर की बीमारियों से लिवर कैंसर का खतरा बढ़ता है।

एसोफैगल कैंसर (Esophageal Cancer)

एसोफैगल कैंसर इस गंभीर बीमारी का एक खतरनाक रूप है, जिसका पता अक्सर इसके एडवांस स्टेज पर चलता है। स्मोकिंग के साथ-साथ ज्यादा शराब पीने एसोफैगल कैंसर होता है।

पैंक्रियाटिक कैंसर (Pancreatic cancer)

पैंक्रियाटिक कैंसर का इलाज थोड़ा कठिन होता है, क्योंकि इसका पता अक्सर एडवांस स्टेज में चलता है। पैंक्रियाटिक कैंसर में पांच साल तक जीवित रहने की दर बहुत कम होती है। इसका मुख्य वजह यह है कि कैंसर के बढ़ने तक इसके लक्षण जल्दी से दिखते नहीं हैं।

इन कैंसर से कैसे करें बचाव 

  • रेगुलर फिजिकल एक्टिविटी से हेल्दी वेट बनाए रखा जा सकता है और पेट के कैंसर और अन्य डाइजेस्टिव कैंसर के खतरे को कम कर सकते हैं।
  • फल, सब्जियां, साबुत अनाज और कम फैट वाले मांस से भरपूर बैलेंस डाइट खाने से इंटेस्टाइनल कैंसर को काफी हद तक रोक सकते हैं। रेड मीट, प्रोसेस्ड मीट, चीनी और सैचुरेटेड फैट से भरपूर डाइट को कम करने से भी खतरा कम हो सकता है।
  • बहुत ज्यादा शराब पीने से पेट, लिवर और एसोफैगल कैंसर सहित अन्य पाचन कैंसर होने का खतरा बढ़ता है। ऐसे में शराब का सेवन कम करने से इनका जोखिम कम होता है।
  • हेपेटाइटिस बी या सी, GERD और इंफ्लेमेटरी बॉवल डिजीज (IBD) जैसी बीमारियों का इलाज और कंट्रोल करके कुछ डाइजेस्टिव कैंसर के खतरे को कम कर सकते हैं।
  • हेपेटाइटिस बी वायरस (HBV) वैक्सीनेशन लंबे समय तक एचबीवी इंफेक्शन की वजह से होने वाले लिवर कैंसर के जोखिम को कम करता है। ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (Human Papillomavirus Infection) वैक्सीन एनल कैंसर (Anal Cancer) जैसी कुछ बीमारियों के होने का चांस कम करता है।

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Disclaimer: ऊपर दी गई जानकारी पर अमल करने से पहले डॉक्टर की राय अवश्य ले लें। News24 की ओर से कोई जानकारी का दावा नहीं किया जा रहा है।  

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Written By

Deepti Sharma

First published on: May 29, 2024 03:43 PM

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