International Womens Day 2025: हमारे देश में महिलाओं की एक अलग भूमिका रही है। वह आज तक अपने अधिकारों के लिए ही नहीं बल्कि आजादी की लड़ाई में भी पुरुषों के साथ खरी रही थीं। आज भी जब उनके अधिकारों की बात आती है, तो वह अपने लिए लड़ने से पीछे नहीं हटती हैं। जहां देश को आजादी दिलाने में महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, भगत सिंह, सुभाष चंद्र बोस और बहुत से पुरुषों ने अपना योगदान दिया था। वहीं देश की महिलाएं भी पीछे नहीं हटी थीं। कई महिलाओं ने देश को आजादी दिलाने के लिए अपना घर परिवार ऐशो आराम सब कुछ छोड़ दिया था और आखिरी सांस तक अंग्रेजों से लड़ती रहीं।
सरोजिनी नायडू
सरोजिनी नायडू को भारत की कोकिला के नाम से जाना जाता है। स्वतंत्रता संग्राम सेनानी ही नहीं, बल्कि वह एक बहुत अच्छी कवियत्री भी थीं। सरोजिनी नायडू ने खिलाफत आंदोलन में भाग लिया था और अंग्रेजों को भारत से निकालने में अपना अहम योगदान दिया था।
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कमला नेहरू
कमला नेहरू, पूर्व पीएम जवाहर लाल नेहरू की पत्नी थीं। कहा जाता है कि वह बहुत ही शांत स्वभाव की थी, लेकिन समय आने पर यही शांत स्वभाव की महिला क्रांतिकारी साबित हुईं, जो धरने-जुलूस में अंग्रेजों का सामना करती, भूख हड़ताल में भी भाग लेती थीं। इन्होंने असहयोग आंदोलन और सविनय अवज्ञा आंदोलन में भी हिस्सा लिया था और देश की आजादी में आपना योगदान देने से पीछे नहीं हटी।
दुर्गा बाई देशमुख
दुर्गा बाई देशमुख महात्मा गांधी के विचारों से बेहद प्रभावित थीं। यही कारण था कि उन्होंने महात्मा गांधी के सत्याग्रह आंदोलन में भाग लिया और भारत की आजादी में एक वकील, सामाजिक कार्यकर्ता, और एक राजनेता के रूप में काम किया। जिन्हें आज भी सम्मान के साथ याद किया जाता है।
अरुणा आसफ अली
अरुणा आसफ अली को भारत की आजादी के लिए लड़ने वाली एक सक्रिय कार्यकर्ता के रूप में जानी जाती है। उन्होंने एक कार्यकर्ता होने के नाते नमक सत्याग्रह में भाग लिया और लोगों को अपने साथ जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की मासिक पत्रिका इंकलाबका भी संपादन किया। साल 1998 में उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया था।
रानी लक्ष्मी बाई
रानी लक्ष्मी बाई को हर कोई जानता है, जिन्हें हमारे देश की महान वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई के नाम जाना जाता है। देश के पहले स्वतंत्रता संग्राम 1857 में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली रानी लक्ष्मीबाई के अप्रतिम शौर्य से चकित अंग्रेजों ने भी उनकी प्रशंसा करते नहीं थकते थे। आज भी उनकी किंवदंती काफी मशहूर है।
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