Rahul Gandhi Disqualified: मानहानि मामले में राहुल गांधी को बड़ा झटका लगा है। राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता खत्म हो गई है। लोकसभा सचिवालय से इस संबंध में शुक्रवार को एक पत्र जारी किया है। लोकसभा सचिवालय की ओर से जारी नोटिफिकेशन में बताया गया है कि संविधान के अनुच्छेद 102 (1) (e) और जनप्रतिनिधि कानून के तहत राहुल गांधी की सदस्यता रद्द की गई है।
बता दें कि मानहानि केस में सूरत की कोर्ट ने गुरुवार को उन्हें 2 साल की सजा सुनाई थी। राहुल गांधी केरल के वायनाड से सांसद थे। सूरत कोर्ट के फैसले के बाद राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता पर तलवार लटक रही थी। जनप्रतिनिधि कानून के मुताबिक अगर सांसदों और विधायकों को किसी भी मामले में 2 साल से ज्यादा की सजा हुई हो तो ऐसे में उनकी सदस्यता रद्द हो जाएगी।
वायनाड से सांसद थे राहुल गांधी
राहुल गांधी केरल की वायनाड लोकसभा सीट से सांसद चुने गए थे। 2019 के लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी उत्तर प्रदेश के अमेठी सीट के साथ-साथ वायनाड सीट से भी चुनावी मैदान में थे। नतीजों में उन्हें अमेठी से हार का सामना करना पड़ा था, लेकिन वायनाड में उन्होंने बड़ी जीत हासिल की थी। वायनाड में राहुल गांधी ने 2019 में 65 फीसदी वोट हासिल किए थे।
राहुल गांधी ने 2019 में कर्नाटक की सभा में मोदी सरनेम को लेकर बयान दिया था। उन्होंने कहा था- सभी चोरों का सरनेम मोदी क्यों होता है। राहुल के इस बयान को लेकर बीजेपी विधायक और पूर्व मंत्री पूर्णेश मोदी ने उनके खिलाफ धारा 499, 500 के तहत आपराधिक मानहानि का केस दर्ज कराया था।
कपिल सिब्बल ने कहा था- सदस्यता गई समझो
इससे पहले आज सुबह कपिल सिब्बल ने कहा था कि राहुल गांधी दो साल की जेल की सजा के साथ एक सांसद के रूप में स्वत: अयोग्य घोषित हो जाते हैं। सिब्बल ने कहा था कि कानून कहता है कि अगर किसी को दो साल के लिए किसी अपराध में दोषी ठहराया जाता है तो उसकी संसद सदस्यता खत्म हो जाएगी।
सिब्बल ने लिलि थॉमस बना यूनियन ऑफ इंडिया केस का भी किया जिक्र
सिब्बल ने 2013 के लिलि थॉमस बनाम यूनियन ऑफ इंडिया केस का भी जिक्र कर पूरे मामले को समझाया। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया था कि कोई भी सांसद, विधायक या एमएलसी जिसे अपराधी घोषित कर दिया जाता है और उसे दो साल की कम से कम सजा होती है तो तत्काल प्रभाव से उसकी सदन की सदस्यता खत्म हो जाती है।
क्या है जनप्रतिनिधि अधिनियम की धारा?
बता दें कि जनप्रतिनिधि अधिनियम 1951 की धारा 8 (3) के मुताबिक, अगर किसी सांसद या विधायक दोषी सिद्ध हो जाता है और उसे 2 साल या इससे ज्यादा की सजा होती है तो उसकी सदस्यता चली जाएगी। इसके अलावा वह छह साल बाद तक चुनाव नहीं लड़ पाएगा।
इसके अलावा जनप्रतिनिधि अधिनियम 1951 की धारा 8 (4) के मुताबिक, दोषी सांसद या विधायक की सदस्यता तुरंत खत्म नहीं होती। उसके पास तीन महीने का समय होता है, लेकिन 2013 के लिलि थॉमस बनाम यूनियन ऑफ इंडिया केस में सुप्रीम कोर्ट ने जनप्रतिनिधि अधिनियम 1951 की धारा 8 (4) को रद्द कर दिया था।