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माया मिली न राम, बसपा ने इंडिया गठबंधन के चुनावी फॉर्मूले पर फेरा पानी

UP Politics On Lok Sabha Chunav 2024 : उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर अलग ही खेल चल रहा है। इंडिया गठबंधन के सामने बीजेपी और बसपा खड़ी है।

Edited By : Deepak Pandey | Updated: Jan 16, 2024 14:34
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BSP Chief Mayawati Lok Sabha Election 2024
बीएसपी सुप्रीमो मायावती।

UP Politics On Lok Sabha Chunav 2024 : देश में इस साल होने वाले लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर एनडीए और इंडिया गठबंधन के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिलेगा। उत्तर प्रदेश में इंडिया गठबंधन को उम्मीद थी कि बहुजन समाज पार्टी (BSP) भी उनके साथ आ जाएगी, लेकिन मायावती ने अपना स्टैंड क्लियर कर दिया है। वहीं, कई विपक्षी दलों ने राम मंदिर के उद्घाटन समारोह में जाने से इनकार कर दिया है। ऐसे में यूपी में इंडिया गठबंधन को न तो माया मिली और ना राम। आइये जानते हैं कि बसपा के ना से गठबंधन को क्या होगा नुकसान?

लोकसभा चुनाव 2024 में भारतीय जनता पार्टी (BJP) को हराने के लिए 28 विपक्षी पार्टियां इंडिया गठबंधन के तहत एकजुट हुई हैं। इस अलायंस में और भी विपक्षी पार्टियों के शामिल होने की संभावना थी, लेकिन मायावती एकला चलो की राह पर चल पड़ी हैं। जब बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विपक्षी दलों को एकजुट किया था तो उन्होंने एक सीट, एक उम्मीदवार फॉर्मूले पर चुनाव लड़ने की सलाह दी थी, जिस पर इंडिया गठबंधन की बैठक में सहमति भी बन गई है।

यूपी में वन-टू-वन नहीं होगी फाइट

उत्तर प्रदेश में इंडिया गठबंधन का खेल बिगड़ा नजर आ रहा है। बसपा ने विपक्षी दलों के ‘एक सीट, एक उम्मीदवार’ चुनावी फॉर्मूले पर पानी फेर दिया है। यूपी की 80 सीटों पर अब वन-टू-वन फाइट नहीं होगी, बल्कि त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिलेगा। इंडिया गठबंधन, एनडीए और बसपा तीनों के उम्मीदवार चुनावी मैदान में उतरेंगे। अगर ऐसा हुआ तो लोकसभा चुनाव के परिणाम चौंकाने वाले होंगे और इससे इंडिया गठबंधन को नुकसान पहुंच सकता है।

1977 के लोकसभा चुनाव में भी विपक्षी पार्टियां हुई थी एकजुट

यह पहली बार नहीं है कि विपक्षी दल सरकार के खिलाफ एकजुट हुए हैं, बल्कि साल 1977 में भी विपक्षी पार्टियों ने एक सीट, एक प्रत्याशी के फॉर्मूले पर चुनाव लड़ा था और केंद्र की सत्ता से इंदिरा गांधी की सरकार को बाहर का रास्ता दिखा दिया था। इसी फॉर्मूले पर इंडिया गठबंधन आगे बढ़ रहा है, लेकिन यूपी में बसपा उनकी जीत पर ब्रेक लगाने का काम कर रही है। ऐसे में सपा-बसपा की दूरी से एनडीए को फायदा मिल सकता है। यूपी में राम मंदिर भी एक बड़ा चुनावी मुद्दा बनता दिख रहा है, लेकिन कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों ने श्रीराम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के निमंत्रण को ठुकरा दिया है।

2019 में एकसाथ चुनाव लड़ने का सपा-बसपा को मिला था फायदा 

आपको बता दें कि पिछले लोकसभा चुनाव 2019 में सपा और बसपा मिलकर चुनाव लड़ी थी, जिसका असर भी देखने को मिला था। दोनों पार्टियों ने भाजपा के पाले से 9 सीटें निकाल ली थीं। 2014 के लोकसभा चुनाव में 71 सीटों पर जीत दर्ज करने वाली बीजेपी 2019 में 61 सीटों पर सिमट गई थी। पिछले चुनाव में सपा को 5 और बसपा को 10 सीटें मिली थीं।

First published on: Jan 16, 2024 02:34 PM

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