महाराष्ट्र सरकार ने पिछले महीने कोंकण रेलवे कॉर्पोरेशन लिमिटेड का भारतीय रेलवे में विलय करने पर आधिकारिक रूप से सहमति व्यक्त की थी। गोवा, कर्नाटक और केरल द्वारा पहले ही विलय को मंजूरी दे दिए जाने के बाद, महाराष्ट्र के फैसले से भारत की सबसे सुंदर रेलवे लाइनों में से एक को बड़े राष्ट्रीय नेटवर्क में पूरी तरह से एक करने का रास्ता साफ हो गया है।
बता दें, कोंकण रेलवे 1990 से कोंकण रेलवे कॉर्पोरेशन लिमिटेड द्वारा चलाया जा रहा है, अब भारतीय रेलवे में विलय होने जा रहा है। महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक और केरल ने मई 2025 तक इसकी अनुमति दे दी है। केआरसीएल में केंद्र सरकार की 51% हिस्सेदारी है, जबकि महाराष्ट्र (22%), कर्नाटक (15%), गोवा (6%) और केरल (6%) की भागीदारी है। कोंकण रेलवे (KR) की स्थापना 1990 में रेल मंत्रालय के एक स्पेशल पर्पज व्हीकल के रूप में की गई थी, जिसका मकसद चट्टानी पश्चिमी घाटों के जरिए रेलवे लाइनों के निर्माण के कठिन काम को पूरा करना था। जनवरी 1998 में आधिकारिक रूप से शुरू हुई इस प्रोजेक्ट का मकसद महाराष्ट्र में रोहा, गोवा, कर्नाटक में मंगलुरु और तटीय केरल को जोड़ना था। इसके अलावा कोंकण तट पर माल और यात्रियों के आने-जाने के लिए लाइफलाइन बनना था।
विलय होने के 3 कारण क्या हैं?
1. सबसे पहला कारण आर्थिक तंगी
केआरसीएल को केंद्र से कोई बजटीय सपोर्ट नहीं मिलता, जिससे ट्रैक को डबल करने और स्टेशन सुधार जैसे काम बीच में ही रुक गए। 2021-22 में इसका फायदा केवल 55.86 करोड़ रुपये था, जो बड़े प्रोजेक्ट्स के लिए कम है। वहीं, भारतीय रेलवे को 2023 में 2.4 लाख करोड़ रुपये का बजट मिला।
2. ऑटोमैटिक कंट्रोल डिवाइस न लग पाना
केआरसीएल ने ट्रेनों को सुरक्षित रूप से चलाने के लिए ACD (ऑटोमैटिक कंट्रोल डिवाइस) लगाने को कहा था, लेकिन नहीं लग पाया।
3. स्काई ट्रेन का वादा
रेलवे ने स्काई ट्रेन चलाने के बड़े-बड़े वायदे किए थे। इसके लिए खूब प्रचार-प्रसार किया था, लेकिन धीरे-धीरे यह प्रोजेक्ट भी ठंडे बस्ते में चला गया। यही कारण बताया जाता है और इसकी वजह से मर्ज किया जा रहा है।
क्या इससे फायदा होगा?
बेहतर ऑपरेशंस मिलने की उम्मीद
मर्ज से रेल ऑपरेशंस में तालमेल बढ़ेगा। ट्रेनों की ऑक्यूपेंसी रेट बेहतर होगी। इसके साथ ही यात्रियों के लिए सुविधाएं बढ़ेंगी।
क्षेत्रीय विकास में मिलेगी मदद
इससे कोंकण क्षेत्र में आर्थिक विकास होगा। ट्रैक डबल होने के साथ-साथ नई ट्रेनें शुरू हो पाएंगी, क्योंकि अभी नेटवर्क 175% क्षमता पर चल रहा है।
प्रमुख शर्तें क्या हैं?
महाराष्ट्र ने मार्च 2025 में अनुमति दी, लेकिन “कोंकण रेलवे” नाम बनाए रखने और 396.54 करोड़ रुपये की हिस्सेदारी वापसी की शर्त रखी है।
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने लिखा पत्र
देवेंद्र फडणवीस ने पत्र में बताया कि मुझे कोंकण रेलवे कॉर्पोरेशन लिमिटेड के भारतीय रेलवे के साथ विलय के लिए महाराष्ट्र सरकार की सहमति की सूचना देते हुए खुशी हो रही है। इसके लिए महाराष्ट्र को 396.5424 करोड़ रुपये की रिम्बर्समेंट करनी होगी, जिसे पहले राज्य के हिस्से के रूप में कॉर्पोरेशन को भेजा गया था। इसके अलावा, विलय के बाद भारतीय रेलवे को ट्रांसफर रेलवे लाइनों के लिए ‘कोंकण रेलवे’ नाम को बरकरार रखा जाना चाहिए। ताकि इसकी महत्वपूर्ण क्षेत्रीय विरासत को मान्यता दी जा सके। इस प्रकार यह विलय मार्ग पर नई परियोजनाओं के लिए अग्रदूत साबित हो सकता है, जिससे कनेक्टिविटी, सेवाओं की आवृत्ति और गुणवत्ता में सुधार होगा। महाराष्ट्र और अन्य जगहों पर स्थानीय अर्थव्यवस्था, पर्यटन और रोजगार को लाभ होगा।
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