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Explainer : जम्मू-कश्मीर में साल 2018 में 1767 मामले तो 2023 में जीरो, आर्टिकल-370 हटने के बाद जानें कैसे खत्म हुई पत्थरबाजी

Explainer : केंद्र ने SC को बताया कि पिछले 4 सालों में केंद्रशासित प्रदेश जम्मू कश्मीर और लद्दाख में बड़ा बदलाव देखने मिला है।

Jammu Kashmir Article 370 Abrogation Explainer : सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल-370 हटाने के केंद्र के फैसले को बरकरार रखा है। सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में बताया था कि साल 2019 में आर्टिकल-370 हटने के बाद से जम्मू-कश्मीर में जबरदस्त प्रोग्रेस और सुरक्षा देखी गई है। घाटी में पथराव की घटनाओं में भारी कमी आई है। साल 2018 में पथराव के 1,767 मामले सामने आए थे, जो कि 2023 में शून्य हो गई है। इसका संबंध आतंकवादी और अलगाववादी एजेंडों से था। केंद्र ने SC को बताया कि पिछले 4 सालों में केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर और लद्दाख में बड़ा बदलाव देखने मिला है। यहां विकास की गतिविधियों, प्रशासन और सुरक्षा मामलों में लगातार सुधार हुआ है। वहां के लोगों पर इसका सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अपने 20 पेज के हलफनामे में बताया कि आतंकियों और अलगाववादी नेटवर्क द्वारा सड़कों पर खुलेआम फैलाई जा रही हिंसा और अन्य घटनाएं अब इतिहास की बात हो गई हैं। यह भी पढ़ें : आर्टिकल 370 पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर लद्दाख सांसद का बड़ा बयान  आर्टिकल-370 हटने के बाद घाटी में हुआ बड़ा परिवर्तन साल 2019 में आर्टिकल 370 हटाने के बाद जम्मू-कश्मीर में बड़ा परिवर्तन हुआ है। हड़ताल और बंद की घटनाओं में करीब 90 फीसदी की गिरावट आई है। साल 2018 में बंद और हड़ताल के 52 मामले सामने आए थे, जो कि साल 2023 में शून्य है। साथ ही घाटी में सुरक्षा बलों की लगातार कार्रवाई से आतंकवादियों का इको सिस्टम भी नष्ट हुआ है, जिससे यहां आतंकवादी बनने वालों की संख्या कम हो गई है। आतंकवादी भर्ती में साल 2018 में 199 लोग शामिल हुए थे और साल 2023 में यह संख्या घटकर 12 हो गई है। घाटी में बेहतर सार्वजनिक व्यवस्था और शांतिपूर्ण माहौल जम्मू-कश्मीर पुलिस की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि अगस्त के महीने में घाटी में बेहतर सार्वजनिक व्यवस्था और शांतिपूर्व माहौल की वजह से पत्थरबाजी की घटनाओं में भारी कमी आई है। आर्टिकल-370 हटने से पहले 5050 मामले सामने आए थे, उसके बाद सिर्फ पथराव की 445 घटनाएं हुई हैं। द इंडियन एक्सप्रेस ने गृह मंत्रालय के आंकड़ों के हवाले से बताया था कि साल 2019 में जनवरी से जुलाई महीने में पत्थरबाजी के 618 मामले हुए। वहीं, 2020 और 2021 में क्रमश: 222 और 76 घटनाएं हुईं, जबकि 2022 में यह घटकर 20 हो गई। वहीं, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि साल 2023 में घाटी में पत्थरबाजी के एक भी मामले सामने नहीं आए हैं।


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