World Bank said Maldives most of land drown due to global warming: मालदीव देश भारत से संबंध खराब करने की वजह से चर्चा में है। लक्षद्वीप में पीएम मोदी की यात्रा के बाद से ही यह छोटा देश सुर्खियों में है। इसकी वजह भारत के प्रधानमंत्री पर मालदीव के नेताओं की अपमानजनक टिप्पणी है। मालदीव देश कई छोटे-छोटे द्वीपों को मिलाकर बना है। दुनियाभर में ग्लोबर वार्मिंग का खतरा बढ़ रहा है। इसकी वजह से ग्लेशियर पिछल रहे हैं और समुद्र का जलस्तर बढ़ता जा रहा है। इस वजह से समुद्र के किनारे बसे शहरों और द्वीपों को ज्यादा खतरा है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक वैज्ञानिकों ने इस वजह से मालदीव के अस्तित्व को लेकर चिंता जताई है। यह चिंता यह है कि आने वाले समय में मालदीव समुद्र में डूब सकता है। विश्व बैंक का अनुमान है कि समुद्र का जलस्तर बढ़ने की वजह से इस सदी के अंत तक मालदीव समुद्र में डूब सकता है। विशेषज्ञों ने जिन 5 द्वीपों के ग्लोबल वार्मिंग की वजह से डूबने का खतरा जताया है उसमें मालदीव भी एक है।
ये भी पढ़ें-Ram Mandir: अमेरिका तक मची राम मंदिर की धूम, टाइम्स स्क्वायर बिलबोर्ड पर भी दिखाया जाएगा समारोह
मालदीव करीब 1200 द्वीपों का समूह है। इसमें से सिर्फ 200 द्वीपों पर ही लोग रहते हैं। समुद्र का जलस्तर थोड़ा भी बढ़ने से इनके डूबने का खतरा है। विश्व बैंक ने अनुमान जताया है कि 21वीं सदी के अंत तक समुद्र का जलस्तर 10 से 100 सेंटीमीटर तक बढ़ सकता है। इस वजह से मालदीव पूरी तरह से डूब जाएगा।
मालदीव के लिए तबाही की वजह
वर्ल्ड बैंक ने यह भी कहा है कि 2050 तक मालदीव की कम से कम 80 प्रतिशत जमीन ग्लोबन वार्मिंग की वजह से रहने लायक नहीं रहेगी। 1998 में मालदीव के अधिकारियों का मानना था कि अगले 30 साल में समुद्र के जलस्तर में 20-30 प्रतिशत की बढ़ोतरी होगी और यह मालदीव के लिए तबाही की वजह बन सकता है।
वैज्ञानिकों का मानना है कि समुद्र का जलस्तर तेजी से बढ़ने से बहुत नुकसान हो सकता है। 40 के दशक में एक स्टडी में पाया गया कि समुद्र का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है। वहीं फिजी और पलाउ के भी इस वजह से डूबने का खतरा है।
कैसे चलती है मालदीव की इकोनॉमी
बता दें कि मालदीव की अर्थव्यस्था बहुत हद तक पर्यटन पर निर्भर है क्योंकि इसी से वहां ज्यादा पैसा आता है। इसके अलावा मछलीपान का भी वहां की अर्थव्यवस्था में प्रमुख योगदान है। इस दो सेक्टर में वहां के 70 प्रतिशत लोगों को रोजगार मिलता है। मछलीपान और मछली पकड़ने के ज्यादातर केंद्र समुद्र के किनारे ही बनाए गए हैं। अगर जलस्तर बढ़ता है तो ये पूरी तरह डूब जाएंगे। इस वजह से मालदीव का बहुत नुकसान होगा। मछली पकड़ने का उद्योग तबाह होने से वहां की अर्थव्यवस्था पर बड़ा असर पड़ेगा क्योंकि मालदीव द्वारा किए जाने वाले कुल निर्यात में 90 प्रतिशत मछली का है।
पर्यटकों को लेकर चिंतित है मालदीव
बता दें कि भारत से रिश्ते खराब होने के बाद मालदीव चीन से अपने यहां पर्यटक भेजने की गुहार लगा रहा है। मालदीव को डर है कि अब उसके यहां भारत से पर्यटक नहीं आएंगे। 2020 से पहले चीन से सबसे ज्यादा पर्यटक मालदीव जाते थे लेकिन कोरोना महामारी के बाद भारत ने उसकी जगह ले ली और चीन से मालदीव जाने वाले पर्यटकों में करीब एक लाख की गिरावट आई। भारत के बाद इस समय रूस से सबसे ज्यादा पर्यटक मालदीव जाते हैं। इस समय हर साल 2 लाख 10 हजार भारतीय पर्यटक मालदीव जा रहे हैं।
ये भी पढ़ें-लाल चींटियों की चटनी के क्या हैं फायदे जिसे पसंद से खाते हैं लोग, कैसे बनती है? मिला है जीआई टैग