Explainer Why India Voted Against Israel: इजराइल और हमास के बीच जारी युद्ध के दौरान संयुक्त राष्ट्र महासभा में एक प्रस्ताव रखा गया, जिस पर वोटिंग कराई गई और पहली बार भारत ने UN का समर्थन करते हुए इजराइल की खिलाफ की। भारत ने प्रस्ताव के पक्ष में और इजरायल की खिलाफत में वोटिंग की। भारत उन 91 देशों में शामिल रहा, जिन्होंने इजराइल के खिलाफ प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया। वोटिंग 28 नवंबर को हुई थी। भारत, बांग्लादेश, पाकिस्तान, नेपाल, चीन, लेबनान, ईरान, इराक और इंडोनेशिया समेत 91 देशों ने प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया। 8 देशों ऑस्ट्रेलिया, यूनाइटेड किंगडम, संयुक्त राज्य अमेरिका, पलाऊ, माइक्रोनेशिया, इज़राइल, कनाडा और मार्शल द्वीप समूह ने विरोध में मतदान किया। यूक्रेन, फ्रांस, जर्मनी, डेनमार्क, बेल्जियम, जापान, केन्या, पोलैंड, ऑस्ट्रिया और स्पेन सहित 46 देशों ने वोटिंग में भाग नहीं लिया।
The United Nations (@UNGeneva) voted on a resolution urging Israel to return to its 1967 borders. #SierraLeone, #Russia, and #China were among the 91 countries that voted in favour, demonstrating solidarity with #Palestine. However, it is disappointing to see that only a minority… pic.twitter.com/xLLa0WpCRJ
— Alpha Bah (@AlphajorbaBah) November 30, 2023
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संयुक्त राष्ट्र महासभा में रखा गया यह प्रस्ताव
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, संयुक्त राष्ट्र महासभा में रखे गए प्रस्ताव में फिलिस्तीनी इलाकों में इजराइली बस्तियों, येरुशलम और इजराइल अधिकृत सीरियन गोलान का था, जिस पर कब्जा छोड़ने की मांग की गई है। यहूदी राष्ट्र इजराइल ने 1967 में गोलन हाइट्स पर कब्जा किया था। इस प्रस्ताव का 91 देशों ने समर्थन किया है।
आखिर गोलन हाइट्स क्या है?
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, गोलन हाइट्स पश्चिमी सीरिया का पहाड़ी इलाका है। 1967 में इजराइल ने इस पर कब्जा किया था। इसके बाद सीरियाई लोग इलाका छोड़कर चले गए थे। 1973 में मध्यपूर्व युद्ध के दौरान सीरिया ने गोलन हाइट्स को फिर से कब्जाने की कोशिश की, लेकिन कामयाब नहीं मिली। 1974 में इलाके में युद्ध विराम हुआ और संयुक्त राष्ट्र की सेना तैनात है। 1981 में इजराइल ने गोलन हाइट्स को अपने क्षेत्र में मिलाने की एकतरफा घोषणा की, लेकिन इस फैसले को इंटरनेशनल लेवल पर स्वीकार नहीं किया गया। ऐसे में गोलन हाइट्स पर इजराइल का पूर्ण कब्जा नहीं है।
इजराइल क्यों नहीं छोड़ना चाहता गोलन हाइट्स?
दरअसल, रणनीतिक और सामरिक जरूरतों के नजरिये से गोलन हाइट्स इजराइल के लिए महत्वपूर्ण है। इससे सीरिया की राजधान दश्मिक नजर आती है। इसलिए इजराइल के दश्मिक पर नजर रखना आसान है। इलाके में 20 हजार यहूदी बस्तियां हैं और इसकी जमीन भी काफी उपजाऊ है, जिससे इजराइल को जैविक खेती में मदद मिलती है। सीरिया अगर हमला करता है तो इजराइल इस इलाके को ढाल बना सकता है। इस इलाके में होने वाली बारिश का पानी जॉर्डन नदी में जाता है, जिससे इजराइल को पानी की आपूर्ति होती है।
विरोध में वोटिंग से भारत-इजराइल संबंध प्रभावित होंगे?
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा पेश किए प्रस्ताव पर इजराइल के खिलाफ मतदान करने से दोनों देशों के संबंधों पर कोई असर नहीं पड़ेगा। दरअसल, भारत और इजराइल के कई क्षेत्रों में अच्छे संबंध हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हमास हमले की निंदा करते हुए इजराइल को सांत्वना दी। इजराइल को मुश्किल हालातों में सहायता भी की। भारत वैसे इजराइल समर्थक देश माना जाता है। देश का झुकाव कूटनीतिक रूप से भी इजराइल की ओर रहा है। पिछले 20 सालों में दोनों देशों के बीच कई समझौते भी हुए हैं। ऐसे में भारत ने बेशक संयुक्त राष्ट्र महासभा के प्रस्ताव का समर्थन किया, लेकिन इससे भारत-इजराइल के संबंध प्रभावित नहीं होंगे।
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7 अक्टूबर 2023 को हमास ने किया इजराइल पर हमला
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, 7 अक्टूबर 2023 को हमास ने अचानक इजराइल पर हमला कर दिया था। इस हमले में करीब 1200 लोग मारे गए थे। 240 लोगों को बंधक बना लिया था। बदले की आग में झुलस रहे इजराइल में गाजा पर हमला करने का ऐलान किया। इजराइल में पिछले कुछ दिनों में गाजा में खूब तबाही मचाई है। जवाबी कार्रवाई में करीब 15 हजार लोग मारे गए। इजराइल ने गाजा को पूरी तरह बर्बाद करने की कसम खाई है। ऐसे में कई देशों की अपील के बाद भी इजराइल युद्ध विराम के लिए तैयार नहीं है, क्योंकि इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू का कहना है कि युद्ध विराम का मतलब सरेंडर होगा, जो इजराइल कतई नहीं करेगा। जब तक हमास का खात्मा नहीं होगा, युद्ध विराम का सवाल ही नहीं उठता।