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Explainer: अपोलो अस्पताल पर लगे किडनी खरीद-फरोख्त के आरोप, कैसे काम करता है ये रैकेट?

Delhi Apollo Hospital Cash for Kidney case: कानून यह सिर्फ परिजनों या रिश्तेदारों से ही किडनी लेने की अनुमति देता है। किसी अजनबी से किडनी नहीं ली जा सकती है।

Cash for Kidney case: आपने इंसान के अंगों की खरीद फरोख्त यानी तस्करी के बारे में कई बार पहले भी सुना होगा। इसे लेकर एक बहुत बड़ा खुलासा हुआ है। अपोलो अस्पताल पर किडनी की खरीद फरोख्त के आरोप लगे हैं। आरोप हैं कि अस्पताल म्यांमार के गरीबों से किडनी खरीदकर अमीर मरीजों को बेचता है। गरीब लोगों को पैसे का लालच देकर अपना अंग बेचने के लिए कहा जाता है। इसके बाद केंद्र सरकार ने इसकी जांच के आदेश दिए हैं। वहीं अस्पताल ने अपने ऊपर लगे आरोपों से इनकार किया है। ब्रिटेन के अखबार द टेलीग्राफ की रिपोर्ट में आरोप लगाया गया था कि यह निजी अस्पताल समूह एक ऐसा अवैध धंधा करता है जिसमें म्यांमार के लोगों को पैसे का लालच देकर अपने अंग बेचने को कहा जाता है। कहा गया है कि अरबों डॉलर की यह कंपनी एशिया भर में केंद्र चलाती है। यह दावा करती है कि हर साल 1,200 से अधिक ऑर्गन ट्रांस्प्लांट करती है और इसके पास ब्रिटेन समेत दुनियाभर से अमीर मरीज इलाज के लिए आते हैं। इसमें एक डॉक्टर का भी नाम लिया गया है, जिसके मुताबिक अंग प्रत्यारोपण के लिए काफी पैसा दिया जाता है। ये भी पढ़ें-क्या है आकांक्षी नगर योजना के तहत शुरू हुआ CM फेलोशिप प्रोग्राम? मिलेंगे 40 हजार रुपये महीने और टैबलेट कानून नहीं देता है अनुमति बता दें कि अपोलो हॉस्पिटल के देशभर में कई ब्रांच हैं। किडनी रैकेट चलाने के आरोपों के बाद अस्पताल की साख को लेकर सवाल उठने लगे हैं। दोनों देशों का कानून यह सिर्फ परिजनों या रिश्तेदारों से ही किडनी लेने की अनुमति देता है। किसी अजनबी से किडनी नहीं ली जा सकती है। इस रैकेट से जुड़े लोग गलत तरीके से किडनी डोनेट करने वाले को मरीज का रिश्तेदार दिखाते हैं। इसमें फेक डॉक्यूमेंड्स के आधार पर किडनी लेने वाले और किडनी देने वाले के बीच संबंध स्थापित किया जाता है। कितना आता है कुल खर्च यह काम इतना व्यवस्थित तरीके से किया जाता है कि किसी को भी इसकी भनक भी न लगे। अमीर लोग पैसे खर्च करके गरीबों के जीवन की कीमत पर ठीक होते हैं। बताया जा रहा है कि इसमें 80 लाख से एक करोड़ तक खर्च आता है। वहीं आरोपों के बाद नेशनल ऑर्गन ऐंड टिश्यू ट्रांसप्लांट ऑर्गेनाइजेशन के निदेशक डॉक्टर अनिल कुमार ने दिल्ली सरकार के प्रधान सचिव (स्वास्थ्य) से एक हफ्ते के अंदर रिपोर्ट मांगी है। ये भी पढ़ें-Fact Check: क्या आपसे भी Ratan Tata के नाम पर मांगा गया पैसा? वायरल हो रहा Deepfake वीडियो


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