---विज्ञापन---

Sirf Ek Bandaa Kaafi Hai Review: बेहद कमाल का है ये कोर्टरूम ड्रामा, दिल छू लेगी मनोज बाजपेयी की फिल्म

Sirf Ek Bandaa Kaafi Hai Review: मनोज बाजपेयी की फिल्म ‘सिर्फ एक बंदा काफी है’ का ये क्लाइमेक्स, आपको झकझोरकर रख देता है। स्कूल, कॉलेज, अस्पताल, शिक्षा, गरीबों को भोजन कराने वाले और धर्म का पाठ सिखाने वाले संत को रेप का लाइसेंस तो नहीं मिल जाता। मनोज वाजपेयी स्टारर ‘बंदा’ सिखाती नहीं बल्कि सवाल […]

Edited By : Nancy Tomar | Updated: May 23, 2023 15:12
Share :
Sirf Ek Bandaa Kaafi Hai Review
Sirf Ek Bandaa Kaafi Hai Review

Sirf Ek Bandaa Kaafi Hai Review: मनोज बाजपेयी की फिल्म ‘सिर्फ एक बंदा काफी है’ का ये क्लाइमेक्स, आपको झकझोरकर रख देता है। स्कूल, कॉलेज, अस्पताल, शिक्षा, गरीबों को भोजन कराने वाले और धर्म का पाठ सिखाने वाले संत को रेप का लाइसेंस तो नहीं मिल जाता।

मनोज वाजपेयी स्टारर ‘बंदा’ सिखाती नहीं बल्कि सवाल पूछने को कहती है। जाहिर है बंदा आसाराम के उस केस की कहानी है जहां जोधपुर की एक 16 साल की बच्ची ने उन पर आरोप लगाया कि बाबा ने बच्ची की उपरी बाधा दूर करने के बहाने उसका फायदा उठाया।

---विज्ञापन---

बच्ची के संघर्ष की कहानी

ये कहानी उस बच्ची के संघर्ष की कहानी है जिसका परिवार बाबा की भक्ति करता रहा और बाबा ने इस विश्वास को तोड़ा और उससे भी आगे ये कहानी जोधपुर के वकील पी.सी.सोलंकी की कहानी है, जिन्होंने बाबा के खिलाफ उस नाबालिग बच्ची का साथ देकर पॉस्को एक्ट के अंडर में ये केस लड़ा और जीत हासिल की।

न्याय दिलाने की ये लड़ाई की कहानी

देश भर में लाखों भक्त किसी मंत्री से भी ज्यादा सुरक्षा में रहने वाले बाबा, जिसके दरबार में सरकारें भी सिर झुकाती रहीं… उसके खिलाफ जाकर एक नाबालिग लड़की को न्याय दिलाने की ये लड़ाई लड़ने वाले और फीस के तौर पर सिर्फ ‘गुड़िया की मुस्कान’ चाहने वाले एडवोकेट पूनम चंद सोलंकी की ये कहानी आपको झकझोर देगी।

---विज्ञापन---

कोर्ट रूम ड्रामा है

‘सिर्फ एक बंदा काफी है’ शुरु होती है बाबा के क्राइम के साथ और चंद मिनटों में ही ये दिल्ली पुलिस के एफआईआर और बाबा के अरेस्ट के साथ जोधपुर सेशंस कोर्ट तक पहुंच जाती है। यानि फिल्म का 75 हिस्सा कोर्ट रूम ड्रामा है, लेकिन ये कानूनी लड़ाई की तरह उलझी-उलझी सी नहीं है, लेकिन ऐसी है कि आम से आम शख़्स भी इसे समझ सके। इसके लिए दाद देनी होगी, ‘बंदा’ के स्क्रिप्ट राइटर दीपक किंगरानी की, जिन्होंने इस पूरे सेक्वेंस को कानूनी धाराओं में नहीं बल्कि सभी को समझ आने वाली बिना किसी भारी-भरकम डायलागबाजी के पेश किया है।

बिना उनका नाम लिए दिखाया गया है

बाबा को पॉस्को के चार्ज से छुटकारा दिलाने के लिए बड़े-बड़े वकीलों की दलीलें, जिसमें हिंदुस्तान के सबसे दिग्गज वकीलों राम जेठमलानी, सुब्रमन्यम स्वामी और सलमान खुर्शीद को बिना उनका नाम लिए दिखाया गया है। उस सीन्स को भी दीपक ने इस तरह से लिखा है, कि आप हैरान रह जाएंगे। इन बड़े वकीलों के आइडलाइज करने वाले सेशस कोर्ट के वकील पी.सी. सोलंकी को एक पल में उनका फैन ब्वॉय बने देखना और फिर दलीलों में उन्हें चित करते देखने के सेक्वेंस बहुत ही शानदार तरीके से लिखे गए हैं।

एक सेकेंड के लिए भी नहीं भटक रही कहानी

अपनी पहली ही फिल्म को डायरेक्ट कर रहे अपूर्व सिंह कार्की ने ‘सिर्फ़ एक बंदा काफी है’ को बेहद करीने से सजाया है। सिनेमैटोग्राफर अर्जुन कुकरेती के साथ मिलकर अर्जुन ने मछली के आंख पर नजर रखी है और एक सेकेंड के लिए भी कहानी को भटकने नहीं दिया है। अर्जुन की ये फिल्म, सिनेमा, समाज और कानून के बारे में जानने वालों के लिए एक नजीर है।

मनोज बाजपेयी की शानदार एक्टिंग

‘सिर्फ़ एक बंदा काफी है’ दरअसल इस दौर में अदाकारी के सबसे बड़े कोहिनूर मनोज बाजपेयी के ब्रिलिएंस की ऐसी पुख़्ता निशानी है, जिसकी रोशनी हर बार पहले से ज़्यादा चमकती है। एडवोकेट पी.सी. सोलंकी के किरदार निभाते मनोज बाजपेयी सिर्फ़ चेहरे और आंख़ों से अदाकारी नहीं करते बल्कि उनके शरीर का हर एक रोआं भी इस किरदार को खुद में समेटे हुए हैं।

मनोज बाजपेयी के हुनर के कायल हो जाएंगें

नूं के जब सोलंकी को पहली बार अपने साथ हुए हादसे की कहानी सुनाती है, तो सोलंकी के लिखते-लिखते रुक जाने वाले हाथ नूं के साथ छत पर सोलंकी की ख़ामोशी से ढकी हुई बात, जेठमलानी के बार-बार मेज पर हाथ मारने वाले एक्सन और उसके बाद सोलंकी के जवाब में उससे तेजी से मेज पर हाथ मारने और फिर ‘लग गई यार’ वाला लम्हा और फिर क्लाइमेक्स में अपने क्लोज़िग अर्गुमेंट्स के दौरान, शिव-पार्वती की कहानी के दौरान सोलंकी के चेहरे पर बदलते हुए भाव जैसे ना जाने कितने ही लम्हे हैं, जब आप मनोज बाजपेयी के हुनर के कायल हो जाएंगे।

झकझोरने वाली है अद्रिजा सिन्हा की अदाकारी

16 साल की नूं के किरदार में अद्रिजा सिन्हा की अदाकारी आपकी अंतरात्मा झकझोरने के लिए काफी है। चेहरे को दुपट्टे से ढके अद्रिजा की आंख़ें भी गहरा असर करती हैं। बाबा के किरदार में सूर्य मोहन कुलश्रेष्ठ की कास्टिंग जबरदस्त है। सेशंस कोर्ट के जज के किरदार में इखलाक अहमद खान बिल्कुल परफेक्ट हैं।

फिल्म को 4 स्टार

बाबा के वकील बने विपन शर्मा से लेकर, राम जेठमलानी, सुब्रमन्यम स्वामी और सलमान खुर्शीद के किरदार निभाने वाले कलाकारों का काम बेहद शानदार है। कास्टिंग डायरेक्टर शिवम गुप्ता को इसकी खास मुबारकबाद मिलनी चाहिए। ‘सिर्फ़ एक बंदा काफी है’, भारतीय सिनेमा के असर और उत्थान का सुबूत है, जहां ओटीटी पर ही सही, फिल्म पूरी ज़िम्मेदारी के लिए समाज को उसका आईना दिखाती है। इस फिल्म को 4 स्टार।

HISTORY

Edited By

Nancy Tomar

Edited By

Nancy Tomar

First published on: May 22, 2023 03:10 PM

Get Breaking News First and Latest Updates from India and around the world on News24. Follow News24 on Facebook, Twitter.