UPSC सिविल सेवा परीक्षा भारत की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक मानी जाती है। हर साल लाखों छात्र IAS, IPS या IFS अधिकारी बनने का सपना लेकर इस परीक्षा में शामिल होते हैं, लेकिन बहुत कम लोग ही तीनों चरणों को पार कर पाते हैं। फराह हुसैन उन्हीं चंद सफल उम्मीदवारों में से एक हैं। लेकिन उनकी कहानी को खास बनाता है उनका पारिवारिक बैकग्राउंड – वह एक ऐसे मुस्लिम परिवार से आती हैं, जिसमें कई लोग ऊंचे सरकारी पदों पर कार्यरत हैं।
परिवार से मिला फुल सपोर्ट
फराह हुसैन का जन्म राजस्थान के झुंझुनू जिले में हुआ। उनका परिवार लंबे समय से सरकारी सेवा से जुड़ा रहा है। IAS बनकर फराह ने न केवल अपने सपने को साकार किया, बल्कि समाज में फैली रूढ़ियों को भी तोड़ा और यह साबित किया कि मेहनत से कुछ भी हासिल किया जा सकता है। उनके परिवार ने हमेशा उनका साथ दिया और उन्हें बड़े सपने देखने के लिए प्रेरित किया।
क्रिमिनल लॉयर से IAS बनने तक का सफर
उन्होंने अपनी शुरुआती पढ़ाई झुंझुनू में ही की। इसके बाद वह मुंबई चली गईं, जहां उन्होंने गवर्नमेंट लॉ कॉलेज से कानून की पढ़ाई की। शुरुआत में फराह डॉक्टर बनना चाहती थीं, लेकिन बाद में उनका लक्ष्य बदल गया। उन्होंने कुछ समय तक एक क्रिमिनल लॉयर के रूप में काम किया, फिर UPSC की तैयारी शुरू की। साल 2016 में, मात्र 26 साल की उम्र में अपने दूसरे प्रयास में उन्होंने ऑल इंडिया रैंक 267 के साथ परीक्षा पास कर ली।
ऑफिसर वाला घर
फराह का परिवार असाधारण उपलब्धियों से भरा हुआ है। उनके पिता अशफाक हुसैन पहले जिला कलेक्टर थे और बाद में IAS बने। उनके चाचा लियाकत खान और जाकिर खान क्रमशः सीनियर IPS और IAS अधिकारी रह चुके हैं। उनकी बहन राजस्थान हाईकोर्ट में वकील हैं, जबकि उनके कई कजिन्स और रिश्तेदार RAS, IPS, IRS और सेना में अधिकारी हैं।
वहीं, उनके पति कमर उल जमां चौधरी भी एक IAS अधिकारी हैं और फिलहाल जोधपुर में तैनात हैं।
फराह हुसैन की कहानी केवल एक व्यक्ति की सफलता नहीं है, बल्कि यह इस बात का प्रमाण है कि जब परिवार का सहयोग और खुद का हौसला साथ हो, तो कोई भी बाधा बड़ी नहीं होती। उन्होंने साबित कर दिया कि लगन, मेहनत और आत्मविश्वास से हर सपना साकार किया जा सकता है।