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शिक्षा

सड़क हादसा, मेमोरी लॉस, 2 साल चला इलाज… अंत में कोमा से उठकर किया UPSC फतह, अब बनेंगे अफसर

दिव्यांशु शांडिल्य एक सड़क हादसे के कारण कोमा में जाने और मेमोरी लॉस जैसी गंभीर स्थिति से उबरते हुए अपने हौसले और मेहनत के दम पर UPSC परीक्षा में 1005वीं रैंक हासिल की है। उनकी कहानी लाखों युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है जो मुश्किल हालात में हार मान लेते हैं।

Author Edited By : News24 हिंदी Updated: Apr 23, 2025 13:42
divyanshu shandilya upsc

(अमिताभ कुमार ओझा)

किसी ने सच ही कहा है “कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती” – यह कहावत रांची के दिव्यांशु शांडिल्य ने सच कर दिखाई। झारखंड के डोरंडा क्षेत्र के निवासी दिव्यांशु ने UPSC सिविल सेवा परीक्षा 2024 में 1005वीं रैंक हासिल कर अपने संघर्ष और आत्मविश्वास से नई मिसाल कायम की है।

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डेढ़ महीने कोमा में रहे
दिव्यांशु शांडिल्य, एक मेधावी छात्र रहे हैं। उन्होंने अमेरिका से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की और स्कूली शिक्षा पटना डीपीएस से प्राप्त की थी। 2019 में उन्होंने UPSC प्रीलिम्स पास कर लिया था, लेकिन मेंस परीक्षा से पहले दिल्ली में एक गंभीर सड़क हादसे का शिकार हो गए। इस हादसे में उन्हें गंभीर चोटें आईं और वे लगभग डेढ़ महीने तक कोमा में रहे। इलाज के दौरान, वे अपने परिजनों को भी पहचान नहीं पा रहे थे। मेमोरी लॉस जैसी समस्या से जूझते हुए उन्होंने दो वर्षों तक इलाज कराया।​

नहीं हारी हिम्मत, शुरू की UPSC की तैयारी
इतनी बड़ी दुर्घटना और दो साल तक चले इलाज के बावजूद दिव्यांशु ने हार नहीं मानी। मेमोरी लॉस के बावजूद वह जब धीरे-धीरे ठीक होने लगे तो उन्होंने फिर से पढ़ाई शुरू की। दिव्यांशु ने UPSC परीक्षा देने का निर्णय लिया। उन्होंने नियमित रूप से पढ़ाई की और अपने लक्ष्य के प्रति समर्पित रहे। अंतत: उनकी मेहनत रंग लाई और उन्होंने UPSC सिविल सेवा परीक्षा 2024 में 1005वीं रैंक प्राप्त की।​

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परिवार का मजबूत साथ
उनके पिता लक्ष्मण प्रसाद सिंह, झारखंड के पूर्व IG और वर्तमान में भाजपा से जुड़े हुए हैं। बहनोई इंद्रजीत महथा, झारखंड कैडर के वरिष्ठ IPS अधिकारी हैं। मां लक्ष्मी सिंह, पटना में प्रोफेसर और प्रसिद्ध लोक गायिका हैं। दिव्यांशु मूल रूप से बिहार के बेगूसराय जिले के रहने वाले हैं। मां ने बताया कि बेटे के एक्सीडेंट के समय उम्मीदें लगभग खत्म हो चुकी थीं, लेकिन बेटे की जिद और मेहनत ने सबको गलत साबित कर दिया।

प्रेरणा का स्रोत
आज दिव्यांशु उन युवाओं के लिए मिसाल हैं जो किसी भी विपरीत परिस्थिति में हार मान लेते हैं। उनका संघर्ष यह सिखाता है कि अगर इरादे मजबूत हों, तो कोई भी बाधा मंजिल तक पहुंचने से नहीं रोक सकती।

First published on: Apr 23, 2025 01:22 PM

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