बिहार बोर्ड मैट्रिक 2025 का रिजल्ट जारी कर दिया गया है, जिसमें पश्चिम चंपारण की अंशु कुमारी ने 500 में से 489 अंक प्राप्त करके पूरे राज्य में टॉप किया है। अंशु पढ़ाई-लिखाई में शुरू से ही तेज रही हैं। हालांकि, उन्होंने अपने जीवन में आर्थिक संघर्षों सहित कई चुनौतियों का सामना किया, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और पढ़ाई के प्रति समर्पण और सीखने के प्रति उनके दृष्टिकोण ने उन्हें आज टॉप रैंक दिलाई।
पिता करते हैं प्लम्बर का काम
भूपेंद्र शाह और सविता देवी की बेटी अंशु कुमारी बिहार के नौतन ब्लॉक के गहिरी पंचायत की रहने वाली हैं। अंशु का टॉप रैंक हासिल करना कड़ी मेहनत और अपने परिवार के अटूट समर्थन की शक्ति का प्रमाण है। उनके पिता, जो उत्तराखंड के नैनीताल में प्लम्बर का काम करते हैं, उन्होंने हमेशा अपनी बेटियों की शिक्षा को प्राथमिकता दी है, यहां तक कि आर्थिक तंगी के बावजूद उन्होंने अपनी बेटियों की पढ़ाई पर कभी कोई असर नहीं आने दिया।
बड़ी बहन की मदद से हासिल किया यह मुकाम
अंशु की सफलता की कहानी सिर्फ किताबों और कक्षाओं के बारे में नहीं है। यह कहानी आज से समय में तकनीक का सही उपयोग करने के बारे में है। जब वह भारतीय इंटर कॉलेज गहिरी में पढ़ती थीं, तो उनकी बड़ी बहन पूजा ने अंशु की शैक्षणिक यात्रा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। पूजा, जो खुद एक टीचर हैं, उन्होंने अंशु को कुछ विषयों को समझने के लिए YouTube का सहारा लेने के लिए प्रोत्साहित किया।
पढ़ाई के लिए लिया YouTube का सहारा
अंशु कहती हैं, “जब भी मुझे स्कूल के बाद कोई समस्या आती थी, तो मैं उसे हल करने और आगे बढ़ने के लिए YouTube का उपयोग करती थी।” इसने न केवल उसे डाउट क्लियर करने में मदद की, बल्कि उन्हें आगे बढ़ने का आत्मविश्वास भी दिया। अंशु कहती हैं, “YouTube का सही ढंग से उपयोग करने के लिए मेरी बहन से मिली सलाह ने मेरी पढ़ाई में बहुत बड़ा बदलाव किया।”
अंशु का सपना: दूसरों की मदद के लिए कैंसर डॉक्टर बनना
अंशु के सपने उसकी उपलब्धियों जितने ही बड़े हैं। जीवन की कठिन वास्तविकताओं का सामना करने वाली यह युवा लड़की डॉक्टर बनने की ख्वाहिश रखती है। वह कैंसर के इलाज में स्पेशलाइजेशन हासिल करना चाहती है। दरअसल, अंशु की मां को एक बार कैंसर का पता चला था, और उपचार के बाद वह अब पूरी तरह से ठीक हो गई हैं। यह वह अनुभव था जिसने अंशु को ऑन्कोलॉजी में करियर बनाने के लिए प्रेरित किया। अंशु भावुक होकर कहती हैं, “कैंसर से मेरी मां की लड़ाई ने मुझे कैंसर डॉक्टर बनने के लिए प्रेरित किया।” “मैं अपनी मां की तरह दूसरों की मदद करना चाहती हूं और उन्हें वह उम्मीद और उपचार देना चाहती हूं जिसके वे हकदार हैं।”
परिवार का मिला अटूट समर्थन
अंशु अपनी सफलता का श्रेय अपनी बड़ी बहन पूजा के मार्गदर्शन और समर्थन को देती हैं। अंशु कहती हैं, “मेरी बहन एक टीचर हैं और उन्होंने मुझे कई ऐसी चीजें सिखाईं, जिनकी वजह से मुझे यह परिणाम हासिल करने में मदद मिली।” “मैं अपने इंटरमीडिएट के इस साल में बायोलॉजी का स्टडी करूंगी और फिर डॉक्टर बनने के अपने सपने को पूरा करने के लिए NEET की तैयारी करूंगी।”
अंशु के पिता भूपेंद्र साह अपनी बेटी पर गर्व से अभिभूत हैं। वे कहते हैं, “मैं उसकी सफलता से बहुत खुश हूं। मुझे इस मुकाम तक पहुंचने पर उस पर गर्व है।” अंशु की मां सविता देवी, जिन्होंने हमेशा अपने बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने का सपना देखा था, अब अपने सपनों को साकार होते हुए देख रही हैं।
परिवार ने शिक्षा को दिया सबसे अधिक महत्व
अंशु के परिवार ने आर्थिक कठिनाइयों का सामना करने के बावजूद हमेशा शिक्षा को सबसे आगे रखा है। सविता देवी कहती हैं, “सीमित संसाधनों के बावजूद, हमने हमेशा यह सुनिश्चित किया है कि हमारे बच्चों को पढ़ाई का अवसर मिले।” अंशु की तीन बहनें और एक भाई है, और उनकी मां ने हमेशा उन्हें सर्वोत्तम संभव शिक्षा देने का सपना देखा है। आज अंशु की उपलब्धि के साथ, वह सपना सच हो रहा है।