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बहादुर बेटी! अपना बाल विवाह रुकवाया, 12वीं की टॉपर बन गई

12th Topper Girl Success Story: बहादुर बेटी को सलाम कीजिए, मां-बाप बाल विवाह करवा रहे थे, लेकिन शादी रुकवाकर वह 12वीं की टॉपर बन गई। कई किलोमीटर सफर करके जूनियर कॉलेज जाती। मां-बाप बेहद गरीब तो खुद अपनी पढ़ाई का खर्चा उठाया। लड़की के संघर्ष की कहानी आपमें भी जोश और जुनून भर देगी।

12th Topper Success Story Andhra Pradesh
12th Topper Girl Emotional Success Story: कुछ कर गुजरने का जज्बा हो, अपनी पहचान बनाने का जोश और जुनून भरा हो तो सफलता कदम जरूरी चूमेगी। हम आपको देश की उस बहादुर बेटी की कहानी सुनाने जा रहे हैं, जिसने रूढ़िवादी समाज और मां-बाप की आर्थिक तंगी से ऊपर उठकर संघर्ष किया। मां-बाप बेहद गरीब थे, पढ़ाने के लिए पैसा नहीं था। उन्होंने बाल विवाह करने की तैयारी कर ली, लेकिन लड़की ने अपना बाल विवाह रूकवाकर पढ़ाई की और 12वीं की टॉपर बन गई। मां-बाप ने शादी करने के लिए काफी प्रेशर डाला। वे उसकी 3 बहनों की शादी कर चुके थे और उसकी शादी करके अपने सिर का बोझ हलका करना चाहते थे, लेकिन लड़की ने हिम्मत नहीं हारी। वह डटी रही और अपने सपनों के लिए संघर्ष किया।

आंध्र प्रदेश के छोटे से गांव की लड़की निर्मला

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, आंध्र प्रदेश के कुरनूल जिले के पेद्दा हरिवनम की एस निर्मला ने 12वीं में टॉप किया है। उसने प्रथम वर्ष की इंटरमीडिएट बोर्ड परीक्षा में 95.7% अंक लिए। निर्मला ने 440 में 421 लिए हैं। उसने 10वीं की परीक्षा 89.5 प्रतिशत अंकों से पास की थी। उसने 600 में से 537 अंक लिए थे।

कई किलोमीटर का सफर तय करके जाती कॉलेज

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, निर्मला के गांव में और आस-पास कोई जूनियर कॉलेज भी नहीं था। फिर भी वह कई किलोमीटर का सफर तय करके कॉलेज गई। मां-बाप पढ़ाई का खर्च नहीं उठा सकते थे, इसलिए कोचिंग पढ़ाकर अपना खर्च उठाया। अब उसका सपना IPS अधिकारी बनना है, ताकि वह बाल विवाह की खिलाफत कर सके। लड़कियों के सपनों को पूरा करने में सहयोग करके उन्हें सशक्त बनाने का प्रयास कर सके।

विधायक साई प्रसाद ने रुकवाया था बाल विवाह

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, जब मां-बाप उसक बाल विवाह कराने पर अड़े थे तो उसने शिकायत करने के लिए एक कार्यक्रम में शामिल होने आए विधायक वाई साई प्रसाद रेड्डी से मुलाकात की, जिन्होंने उसकी शिकायत पर संज्ञान लिया और कलेक्टर जी सृजना को उसकी मदद करने के निर्देश दिए। उनके हस्तक्षेप से निर्मला बाल विवाह से बची। जिला प्रशासन से सहयोग से उसे असपारी के कस्तूरबा गांधी स्कूल में दाखिला मिला।


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