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Tea कंपनी का नाम क्यों है ‘वाघ-बकरी’, कैसे पराग देसाई ने खड़ा किया 2000 करोड़ का बिजनेस?

Wagh Bakri Tea Group Parag Desai: पराग देसाई टी-टेस्टर होने के साथ ही ग्रुप के इंटरनेशनल बिजनेस भी देख रहे थे।

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Wagh Bakri Tea Group Parag Desai: वाघ बकरी टी ग्रुप के मालिक पराग देसाई का 49 साल की उम्र में निधन हो गया। रविवार को व्यवसायी पर उनके घर के बाहर आवारा कुत्तों ने हमला कर दिया। इस दौरान पराग देसाई को सिर में गंभीर चोटें आईं। फिर अस्पताल में इलाज के दौरान उनकी ब्रेन हैमरेज से मौत हो गई। पराग देसाई कंपनी में एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर का पद संभाल रहे थे। देसाई वाघ बकरी ग्रुप में चौथी पीढ़ी थे। उन्होंने कंपनी को 2 हजार करोड़ रुपये सालाना टर्नओवर तक के कारोबार तक पहुंचाया। 'वाघ-बकरी' आज देश का प्रमुख ब्रैंड बन चुका है। बहुत लोग सोचते हैं कि किसी टी कंपनी का नाम 'वाघ-बकरी' क्यों है और इसका नाम कैसे पड़ा, तो आज हम आपको इसके पीछे की पूरी कहानी बताते हैं...

उच्च और निम्न वर्ग का प्रतिनिधित्व करता है वाघ बकरी

दरअसल, वाघ-बकरी नाम में 'वाघ' उच्च वर्ग का प्रतिनिधित्व करता है तो वहीं 'बकरी' को निम्न वर्ग से जोड़ा जाता है। इस तरह वाघ-बकरी उच्च से लेकर निम्न वर्ग तक के लिए है। यानी सोच यह है कि वे एक ही कप वाली चाय पी रहे हैं। यह सद्भाव का प्रतीक है। दरअसल, वाघ बकरी टी ग्रुप के फाउंडर नारणदास देसाई कट्टर गांधीवादी थे। उन्होंने 1892 में दक्षिण अफ्रीका में 500 एकड़ चाय बागान के साथ इस बिजनेस की शुरुआत की थी। दक्षिण अफ्रीका में नारणदास को नस्लीय भेदभाव का सामना करना पड़ा। शायद यही वजह है कि वाघ-बकरी नाम सद्भाव की बात करता है। नारणदास देसाई के तीन बेटे रामदास देसाई, ओचवलाल देसाई और कांतिलाल देसाई व्यवसाय में शामिल होकर अपने पिता के नक्शेकदम पर चले। पराग देसाई रामदास देसाई के बेटे थे। वह टी-टेस्टर होने के साथ ही ग्रुप के इंटरनेशनल बिजनेस भी देख रहे थे। उन्होंने कंपनी के लिए नए जमाने को देखते हुए पैकेजिंग, ब्रैंडिंग और मार्केटिंग की स्ट्रेटेजी बनाईं। जिन्हें काफी सफलता हासिल हुई। इसके लिए उन्हें अहमदाबाद मैनेजमेंट एसोसिएशन की ओर से भी सम्मानित किया गया। वाघ बकरी टी ग्रुप अपनी प्रीमियम चाय के लिए प्रसिद्ध है। यह 1892 से चाय व्यवसाय में मौजूद है। 131 साल पहले शुरू हुआ समूह ने 1980 में महसूस किया कि बाजार की डिमांड पैकेज्ड चाय तक पहुंच चुकी है। इसके बाद कंपनी ने गुजरात टी प्रोसेसर्स एंड पैकर्स लिमिटेड की शुरुआत की। वाघ बकरी टी ग्रुप भारत की अग्रणी पैकेज्ड चाय कंपनियों में से एक है। यह ग्रुप 2000 करोड़ रुपये से अधिक का टर्नओवर और 50 मिलियन किलोग्राम से अधिक टी डिस्ट्रीब्यूशन का दावा करता है।

कैसे हुई वाघ-बकरी की शुरुआत?

दक्षिण अफ्रीका में एक चाय बागान की देखभाल करने के बाद 1915 में व्यवसायी नारणदास देसाई टी-बिजनेस में अनुभव प्राप्त करने के बाद भारत लौटे। देसाई ने भारत लौटने के बाद 'गुजरात टी-डिपो कंपनी' की शुरुआत की। इसके बाद कंपनी लगातार नए आयाम छूती गई। फिर 1934 में 'वाघ बकरी' ब्रैंड का जन्म हुआ। ये भी पढ़ें: ‘वाघ बकरी चाय’ के मालिक पराग देसाई का निधन, सड़क पर कुत्तों के हमले में हुए थे घायल इसी दौरान कंपनी का नाम भी बदला गया। इसे गुजरात टी प्रोसेसर्स एंड पैकर्स लिमिटेड (जीटीपीपीएल) में कन्वर्ट कर दिया गया। जीटीपीपीएल गुजरात में 70% बाजार हिस्सेदारी का दावा करती है। इसका प्रमुख ब्रैंड 'वाघ बकरी' नेशनल मार्केट में 7वें स्थान पर काबिज है। कंपनी के पास मिली, नवचेतन और गुड मॉर्निंग सहित अन्य ब्रैंड भी हैं।

युवा वर्ग को ध्यान में रखकर बनाए टी लाउंज

कंपनी ने युवा वर्ग को ध्यान में रखते हुए टी लाउंज भी लॉन्च किए हैं। देशभर में इसके 15 टी लाउंज हैं। इसमें चाय और स्नैक्स परोसा जाता है। इसके अलावा कंपनी के प्रोडक्ट्स कनाडा, अमेरिका, मध्य पूर्व, यूरोप, न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया, फिजी, मलेशिया और सिंगापुर में बेचे जाते हैं। यह ग्रुप दुनिया भर में टी एक्सपोर्ट और रीटेल कस्टमर के मामले में अग्रणी है। दुनिया भर में बड़ी संख्या में वाघ बकरी टी लवर्स के साथ यह वास्तव में एक ग्लोबल ब्रैंड के रूप में उभरा है। ग्रुप का हेडक्वार्टर गुजरात के अहमदाबाद में है। वाघ बकरी ब्रैंड गुजरात, मध्य प्रदेश, राजस्थान, दिल्ली, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, गोवा, पंजाब, चंडीगढ़, हिमाचल, जम्मू-कश्मीर, पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु में उपस्थित हैं। हाल ही में कंपनी ने झारखंड, बिहार, उड़ीसा में प्रवेश किया है।


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