Electricity Rates May Hike: उत्तर प्रदेश में रहने वालों को बिजली का जोरदार झटका लग सकता है। बिजली कंपनियों ने घाटे का हवाला देते हुए विद्युत नियामक आयोग को बिजली की दरों में इजाफे का प्रस्ताव भेजा है। यदि आयोग इस प्रस्ताव को मंजूर कर देता है, तो प्रदेश में बिजली 15 से 20 प्रतिशत तक महंगी हो सकती है। कंपनियों का कहना है कि उन्हें करीब 13 हजार करोड़ रुपए का घाटा उठाना पड़ा है। ऐसे में वर्ष 2025-26 के लिए बिजली दरों में बढ़ोत्तरी आवश्यक हो गई है।
इतनी बताई ज़रूरत
उत्तर प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (UPPCL) ने वर्ष 2025-26 में 16 हजार करोड़ यूनिट बिजली की जरूरत बताई है। कुल बिजली खरीद की लागत 92 से 95 हजार करोड़ रुपये बताई गई है। जबकि डिस्ट्रिब्यूशन लॉसेज को 13.25 प्रतिशत के आधार पर आंका गया है। कंपनियों ने घाटे की भरपाई का पूरा दारोमदार अब विद्युत नियामक आयोग पर छोड़ दिया है। यदि आयोग इस घाटे की भरपाई के लिए बिजली महंगी करने का निर्णय लेता है, तो उत्तर प्रदेश वासियों को 15-20 प्रतिशत अधिक बिजली का बिल चुकाना पड़ सकता है।
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इस पर नहीं किया गौर
यहां गौर करने वाली बात यह है कि इस प्रस्ताव में दक्षिणांचल और पूर्वांचल को अलग नहीं किया गया है, जबकि यहां सरकार निजीकरण के लिए PPP मॉडल लागू करने जा रही है। राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने इस प्रस्ताव का विरोध किया है। परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि कंपनियों ने वार्षिक राजस्व आवश्यकता (ARR) मसौदा में 33,122 करोड़ रुपये उपभोक्ताओं से बकाया वसूली के बारे में कोई जिक्र नहीं किया है।
पहले भी बताया था घाटा
पिछले साल कॉर्पोरेशन ने ARR में करीब 11 हजार करोड़ रुपये का घाटा दिखाया था और कुल लागत 80000 करोड़ से 85000 करोड़ रुपये आंकी गई थी। फिलहाल शहरी क्षेत्रों के उपभोक्ताओं को 0-100 यूनिट तक 5.50 रुपए प्रति यूनिट, 101-150 यूनिट तक 5.50 रुपये प्रति यूनिट, 151-300 यूनिट तक 6.00 रुपये प्रति यूनिट, 300 यूनिट से अधिक पर 6.50 रुपये प्रति यूनिट के हिसाब से बिल चुकाना होता है। यदि आयोग कंपनियों के प्रस्ताव को मंजूरी देता है, तो इसमें एकदम से काफी इजाफा हो जाएगा।