Stock Market Prediction: शेयर बाजार इस समय बुरे दौर से गुजर रहा है। हर दिन निवेशक उम्मीद करते हैं कि मार्केट लाल रंग का साथ छोड़कर हरे से रिश्ता जोड़ेगा, लेकिन ऐसा हो नहीं रहा है। हर गुजरता दिन निवेशकों को मायूस और चिंतित कर रहा है। खासकर, स्मॉल और मिड कैप स्टॉक में लगातार बिकवाली से निवेशक बुरी तरह घबरा गए हैं। उन्हें समझ नहीं आ रहा है कि उनका पोर्टफोलियो यहां से कहां जाएगा?
अब आ गया है समय
इस बीच, आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल म्यूचुअल फंड के मुख्य निवेश अधिकारी शंकरन नरेन की सलाह ने बाजार में हलचल मचा दी है। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, शंकरन नरेन का कहना है कि स्मॉल और मिड कैप स्टॉक से पूरी तरह बाहर निकलने का समय आ गया है। नरेन मार्केट लीडर हैं और म्यूचुअल फंड में अपनी विशेषज्ञता के लिए पहचाने जाते हैं। ऐसे में उनकी यह सलाह काफी मायने रखती है।
खतरनाक है यह दौर
हाल ही में एक कार्यक्रम में शंकरन नरेन ने कहा कि जिन निवेशकों ने साल 2023 से स्मॉल और मिड-कैप शेयरों में SIP शुरू की है, उनका अनुभव काफी बुरा रहा है। क्या यह ऐसे शेयरों से बाहर निकलने का समय है? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि हमारा मानना है कि यह स्मॉल और मिडकैप से पूरी तरह बाहर निकलने का समय है। नरेन ने आगे कहा कि मौजूदा साल (2025) 2008-10 की अवधि के बाद सबसे खतरनाक हो सकता है। उस दौर में निवेशकों ने बड़े पैमाने पर पैसा गंवाया था, खासकर बैंकिंग सेक्टर में उन्हें बहुत नुकसान हुआ था। हालांकि, इस बार अधिकांश जोखिम रिटेल इन्वेस्टर्स के साथ है, क्योंकि पूंजी की तलाश करने वाली कंपनियां आईपीओ या क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल प्लेसमेंट के जरिए सीधे इक्विटी निवेशकों से फंड जुटाती हैं।
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छलावे में न रहें
नरेन के अनुसार, निवेशक यह मान रहे हैं कि स्मॉल और मिड कैप में SIP उन्हें अस्थिरता से बचने में मदद करेगी, लेकिन ध्यान देने वाली बात यह है कि इन शेयरों में तेजी कम होने लगी है और वे अपने डेली मूविंग एवरेज से नीचे गिर गए हैं। इसके बजाये उन्होंने निवेशकों को हाइब्रिड स्कीम या मल्टी-एसेट फंड में निवेश करने की सलाह दी है। बता दें कि पिछले दो महीनों में स्मॉल कैप शेयरों में 18% की गिरावट आई है और पिछले आठ हफ्तों में मिड कैप इंडेक्स 17.61% गिर गया है।
ऐसे हुए प्रभावित
स्मॉल कैप बिकवाली से फंड हाउसों पर पड़े प्रभाव की बात करें, तो स्मॉल-कैप फंड्स की नेट एसेट अंडर मैनेजमेंट (AUM) दिसंबर में 3.29 लाख करोड़ रुपये की तुलना में जनवरी में 7.19% घटकर 3.05 लाख करोड़ रुपये रह गई। एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (AMFI) के आंकड़ों के अनुसार, मिड कैप फंड्स की एसेट जनवरी में 26,600 करोड़ रुपये रह गई, जबकि दिसंबर में यह 3.99 लाख करोड़ रुपये थी। इक्विटी म्यूचुअल फंड्स का नेट AUM महीने-दर-महीने आधार पर 3.26% घटकर जनवरी 2025 में 29.46 लाख करोड़ रुपये रह गया, जो बाजार की अस्थिरता से म्यूचुअल फंड सेक्टर में आए भूचाल को उजागर करता है।
क्या सुधार होगा?
क्या स्मॉल और मिड-कैप स्टॉक में सुधार होगा? इस सवाल के जवाब में एक्सपर्ट्स का कहना है कि इसमें समय लगेगा। निवेशकों को सावधानी बरतने, अपनी होल्डिंग की गुणवत्ता का आकलन करें और अपने पोर्टफोलियो में विविधता लाने की सलाह दी जाती है। उनका यह भी कहना है कि फिलहाल मार्केट में दबाव बना रहेगा। इसलिए निवेशकों को बेहद सावधान रहने की जरूरत है।