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सस्ते होंगे लोन! तीसरी बार भी कम हो सकती है रेपो रेट, EMI और ब्याज दरों में फिर राहत की उम्मीद

आम लोगों को बड़ी राहत मिल सकती है। RBI की तरफ से लगातार तीसरी बार ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद लगाई जा रही है। इससे लोन और EMI कम हो सकती हैं।

सांकेतिक तस्वीर।

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा लगातार तीसरी बार ब्याज दरों में कटौती होने जा रही है, जिससे आम लोगों को बड़ी राहत मिल सकती है। अनुमान है कि खुदरा महंगाई तीन महीने से 4% के औसत लक्ष्य से नीचे बनी हुई है। ऐसे में माना जा रहा है कि रेपो रेट में फिर से 0.25% की कटौती की जा सकती है। ऐसा होने से ब्याज दरों में इस साल अब तक .75% की कटौती होगी। मौद्रिक नीति समिति आगामी 4 जून को अगली द्विमासिक मौद्रिक नीति पर विचार-विमर्श शुरू करेगी, वहीं  6 जून को फैसले की घोषणा की जाएगी।

विशेषज्ञों के मुताबिक, धीमी वृद्धि और नियंत्रित मुद्रास्फीति ने मौद्रिक नीति में और ढील की गुंजाइश छोड़ी है। भारत की जीडीपी वृद्धि पिछले वर्ष के 9.2% से वित्त वर्ष 25 में 6.5% तक धीमी हो गई, हालांकि मार्च तिमाही में उम्मीद से बेहतर 7.4% की वृद्धि देखी गई। इस बीच, मुद्रास्फीति आरबीआई के 4% लक्ष्य के भीतर बनी हुई है। अप्रैल में, RBI ने अपनी रेपो दर - जिस दर पर वह बैंकों को उधार देता है - को 25 आधार अंकों (100 आधार अंकों = 1 प्रतिशत अंक) से घटाकर 6% कर दिया।

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इससे पहले RBI फरवरी और अप्रैल में दो बार प्रमुख ब्याज दर (रेपो रेट) में 0.50% की कटौती कर चुका है, जिससे यह 6% पर आ गई है। ICICI सिक्योरिटीज के A.प्रसन्ना भी 25 बीपीएस कटौती की उम्मीद करते हैं, उनका कहना है कि जनवरी-मार्च की मजबूत जीडीपी वृद्धि मध्यम ढील के मामले की पुष्टि करती है। उन्होंने कहा कि आरबीआई ने प्रचुर मात्रा में तरलता सुनिश्चित करके पहले ही वित्तीय स्थितियों को आसान बना दिया है। आरबीआई ने रुपये की तरलता को पंप करके और बैंकों से अधिशेष निधियों को अवशोषित करने के लिए मुद्रा बाजार से सामान्य उधारी से बचकर ऐसा किया है।

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वहीं रेटिंग एजेंसी इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर के मुताबिक, चालू वित्त वर्ष के लिए खुदरा मुद्रास्फीति के 4% तक रहने के अनुमान के साथ, MPC द्वारा मौद्रिक ढील जारी रहने की संभावना है। अगले हफ्ते 0.25% की दर में कटौती की उम्मीद जताई जा रही है।यहां हम आपको बता दें कि RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा ​​की अध्यक्षता वाली 6 सदस्यीय MPC ने भी अपनी अप्रैल की नीति में रुख को 'तटस्थ' से बदलकर 'उदार' करने का निर्णयलिया था, जिसके बाद भी कटौती की उम्मीदें बढ़ गई हैं।

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