Bank Deposit Insurance Limit: न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक घोटाले के खुलासे के बाद सबसे बड़ा सवाल यह है कि बैंक के खाताधारकों का क्या होगा? क्या उन्हें अपना पैसा मिल पाएगा? रिजर्व बैंक ने हाल ही में बैंक पर कई तरह के प्रतिबंध लगाये हैं। इसमें पैसों की निकासी भी शामिल है। यानी बैंक के ग्राहक अपना पैसा अगले आदेश तक नहीं निकाल पाएंगे। यदि बैंक डूबता है, तो उन्हें केवल उतनी ही धनराशि मिलेगी, जितनी DICGC एक्ट के तहत निर्धारित है। भले ही उनके खाते में कितना भी ज्यादा पैसा क्यों न हो।
122 करोड़ का गबन
RBI के एक्शन के बाद मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) भी एक्शन में आ गई है। इस संबंध में FIR दर्ज हुई हैं और बैंक के जनरल मैनेजर हितेश मेहता को हिरासत में लिया गया है। बताया जा रहा है कि साल 2020 से 2025 के बीच 122 करोड़ के वित्तीय गबन को अंजाम दिया गया है। मामले की जांच चल रही है और जल्द ही पूरा सच भी सामने आ जाएगा। लेकिन बैंक ग्राहकों की चिंता दूर होगी या नहीं, फिलहाल कुछ कहना मुश्किल है।
बढ़ सकता है कवर
इस बीच, एक ऐसी खबर जरूर सामने आई है, जिससे करोड़ों बैंक ग्राहकों को भविष्य में राहत मिल सकती है। न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक घोटाले ने सरकार को वह जरूरी कदम उठाने के लिए प्रेरित किया है, जिस पर अमल की मांग काफी समय से की जा रही है। केंद्र सरकार बैंक में जमा रकम पर मिलने वाले इंश्योरेंस कवर को बढ़ाने पर जल्द कोई फैसला ले सकती है।
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प्रस्ताव पर विचार
वित्तीय सेवा विभाग के सचिव एम नागराजू का कहना है कि बीमा कवर बढ़ाने के प्रस्ताव पर विचार चल रहा है। सरकार की मंजूरी मिलते ही इसकी अधिसूचना जारी कर दी जाएगी। टॉप सरकारी अधिकारी के इस बयान से साफ है कि सरकार बैंक खाता धारकों को राहत देने पर गंभीरता से विचार कर रही है। यह मांग पहले भी उठती रही है, लेकिन अब जब न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव का घोटाला सामने आया है, तो इसे जल्द मंजूरी मिलने की संभावना बढ़ गई है।
क्या है मौजूदा व्यवस्था?
मौजूद व्यवस्था के तहत जब कोई बैंक डूबता है, तो डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉर्पोरेशन एक्ट (DICGC) के तहत खाताधारकों को 5 रुपये तक का बीमा मिलता है। इसके लिए अकाउंट होल्डर को दावा प्रस्तुत करना होता है, पात्र ग्राहकों को बीमा राशि दी जाती है। इस स्थिति में उन लोगों को बड़ा नुकसान होता है, जिनके खाते में 5 लाख से ज्यादा रकम है। अब यदि सरकार इस कवर को बढ़ाती है, तो बैंक ग्राहकों के लिए यह बड़ी राहत होगी।
पहले कब बढ़ी थी?
आखिरी बार साल 2020 में DICGC की इंश्योरेंस लिमिट बढ़ाई गई थी। ऐसा PMC बैंक घोटाला सामने आने के बाद हुआ था। तब इस लिमिट को 1 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये किया गया था। पंजाब एंड महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव बैंक (PMC) का घोटाला सितंबर 2019 में सामने आया था। RBI को पता चला था कि PMC बैंक मुंबई के एक रियल इस्टेट डेवलेपर को करीब 6500 करोड़ रुपये लोन देने के लिए नकली बैंक खातों का उपयोग कर रहा है। इसके बाद आरबीआई ने बैंक से पैसे निकालने की एक लिमिट तय कर दी थी।