Monkey Trading: हमारा पड़ोसी नेपाल अपने बंदरों को बेचकर पैसा कमाने की तैयारी में है। दरअसल, नेपाल में बंदरों की बढ़ती संख्या परेशानी की वजह बन गई है और इससे छुटकारा पाने के लिए नेपाली सरकार फायदे का सौदा कर सकती है। हालांकि, इस पर अभी कोई फैसला नहीं हुआ है और यह केवल एक प्रस्ताव है। नेपाली कांग्रेस के सांसद राम हरि खातीवाड़ा ने बंदरों के कारण देश में बढ़ रहे कृषि विनाश से निपटने के लिए चीन को बंदर बेचने का प्रस्ताव रखा है।
श्रीलंका का दिया हवाला
सांसद राम हरि खातीवाड़ा का कहना है कि बंदरों को चीन भेजकर कृषि संबंधी समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है। उन्होंने श्रीलंका का हवाला देते हुए कहा कि उसने भी चीन को बंदर बेचे हैं, नेपाल को भी इस रणनीति पर काम करना चाहिए। नेपाली कांग्रेस के सांसद ने कहा कि देश में बंदरों आतंक है। खेतों में फसलों को बंदर नुकसान पहुंचा रहे हैं। उन्होंने कहा कि श्रीलंका ने अपने बंदरों को चीन को बेचा और इससे उसने पैसे भी कमाए। इसके अलावा, श्रीलंका ने दूसरे भी ऐसे जानवरों को चीन भेजा है, जो नुकसान पहुंचा रहे थे।
तीन प्रकार के हैं बंदर
उन्होंने आगे कहा कि पहाड़ी इलाकों में रहने वालों को बंदरों के चलते परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में हमें भी श्रीलंका की तरह इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए कदम उठाने चाहिए। नेपाल में तीन प्रकार के बंदर पाए जाते है। रीसस मैकाक (मकाका मुल्टा), असमिया बंदर (मकाका असामेंसिस) और हनुमान लंगूर (सेमनोपिथेकस एंटेलस)। हालांकि, सांसद के इस प्रस्ताव पर अमल मुश्किल हो सकता है।
आसान नहीं होगा
रीसस बंदरों को लुप्तप्राय प्रजातियों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार कन्वेंशन (CITES) के तहत सूचीबद्ध किया गया है, इसलिए उनका अंतर्राष्ट्रीय व्यापार प्रतिबंधित है। दोषी को पांच से पंद्रह साल की जेल या 5,00,000 से 1 मिलियन नेपाली रुपये का जुर्माना या दोनों हो सकते हैं। इसके अलावा, राष्ट्रीय उद्यान और वन्यजीव संरक्षण अधिनियम भी रीसस बंदर को संरक्षित प्रजाति के रूप में सूचीबद्ध करता है। इसलिए नेपाल के लिए अपने बंदरों को चीन को बेचकर पैसा कमाना आसान नहीं होगा।
2023 में हुई शुरुआत
नेपाली कांग्रेस के सांसद को श्रीलंका की रणनीति कारगर लगती है। 2023 में श्रीलंका के कृषि मंत्री रहे महिंदा अमरवीरा ने इस तरह का प्रस्ताव रखा था। उन्होंने कहा था कि पिछले एक साल में बंदरों ने करीब 2 करोड़ नारियल खराब किए हैं। फसलों की बर्बादी से श्रीलंका की अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान हो रहा है। उन्होंने कहा था कि श्रीलंका में लगभग 30 लाख से अधिक बंदर हैं। ऐसे में 1 लाख बंदर चीन भेजने में कोई हर्ज नहीं है।
खुद उठाया खर्चा
श्रीलंका दावा करता रहा है कि चीन में बंदरों का इस्तेमाल मांस के लिए नहीं किया जाएगा। लेकिन सच्चाई यह है कि इस देश में बंदरों का मांस भी काफी लोकप्रिय है। चीन ने श्रीलंका में बंदर पकड़ने का खर्चा भी खुद उठाया था। उस समय श्रीलंकाई मंत्री ने बताया था कि श्रीलंका में एक बंदर को पकड़ने में करीब 5 हजार श्रीलंकाई रुपये खर्च होते हैं। चीन एक बंदर को पकड़ने और भेजने के लिए 50 हजार रुपये तक खर्च करने को तैयार है। ऐसे में यह श्रीलंका के लिए दोहरे फायदे की तरह है।
क्या करेगा बंदरों का?
चीन कहता आया है कि उसे अपने चिड़ियाघरों के लिए बंदरों की जरूरत है। खासकर, मकाका प्रजाति के बंदरों में उसकी अधिक दिलचस्पी है। इसलिए उसने श्रीलंका में खुद जाकर बंदरों को पकड़ने पर खर्चा किया। अगर नेपाल भी श्रीलंका की राह पर चलता है, तो चीन को बड़ी संख्या में बंदर मिल जाएंगे। हालांकि, इनके साथ वो क्या करेगा, सटीक तौर पर कहना नामुमकिन है।