Savji Dholakia Success Story: मिलिए 12 हजार करोड़ के मालिक सावजी भाई ढोलकिया से; हीरे ही नहीं, जिंदगी भी चमकाते हैं ये
Savji Dholakia Success Story, सूरत: संघर्ष क्या होता है? इस सवाल का जवाब है हीरा कारोबारी सावजी ढोलकिया की जिंदगी। वैसे तो इन्हें हीरे तराशने के लिए जाना जाता है, लेकिन इससे भी बड़ी सच्चाई है कि वह जिंदगी भी तराशते हैं। बड़ी दिलचस्प कहानी है कि 12 हजार करोड़ की संपत्ति के मालिक सावजी ढोलकिया ने कभी अपने पोते को मजदूरी करने करने को मजबूर कर दिया था। सावजी ढोलकिया के बारे में जानकर ऐसा लगता है, मानो ABCD-American Born Confused Desi की पृष्ठभूमि इन्हीं से प्रेरित है, जिसमें एक अरबपति अपने बेटे की अक्ल ठिकाने लगाने के लिए दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर कर देता है। न्यूज 24 आपको उस वजह से रू-ब-रू करा रहा है, जिसके चलते अरबपति ढोलकिया ने अपने पोते से मजदूरी करवाई। आइए जानें...
गौरतलब है कि 50 देशों को हीरे निर्यात करने वाली कंपनी हरि कृष्णा एक्सपोर्ट्स के चेयरमैन सावजी ढोलकिया को अपने मातहत कर्मचारियों का ख्याल रखने के लिए जाना जाता है। सूरत के सबसे अमीर सावजी ढोलकिया साल 2011 से हर दिवाली पर कर्मचारियों को बंपर गिफ्ट दे रहे हैं। स्टाफ को कार, फ्लैट, महंगी ज्वैलरी के साथ-साथ करोड़ों की एफडी तक गिफ्ट कर चुके ढोलकिया साल 2015 में उस चर्चा में आए थे, जब उन्होंने अपने 1200 कर्मचारियों को ज्वैलरीज, 200 फ्लैट और 491 कार गिफ्ट की थी। इससे पहले 2014 में भी उन्होंने कर्मचारियों को इंसेन्टिव के तौर पर 50 करोड़ रुपये बांटे थे। वहीं साल 2018 में दिवाली पर उन्होंने 600 कर्मचारियों को कार और 900 कर्मचारियों को एफडी दी थी। कंपनी में 25 साल से नौकरी कर रहे अपने तीन कर्मचारियों को ढोलकिया ने मर्सिडीज बेंज जैसी महंगी कार गिफ्ट की थी।
एक कामयाब जौहरी ऐसे ही नहीं बन गए ढोलकिया
उन्होंने 10 साल तक डायमंड पॉलिशिंग में कड़ी मेहनत की। इसके बाद वर्ष 1991 में अपने चाचा से कर्ज लेकर हरि कृष्णा एक्सपोर्ट्स की स्थापना की। मार्च 2014 तक आते-आते कंपनी का टर्नओवर चार अरब रुपये तक पहुंच गया। मौजूदा समय में उनकी कंपनी में हजारों कर्मचारी काम करते हैं। सावजी ढोलकिया को पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। वह डायमंड ज्वैलरी बनाकर विदेशों को निर्यात भी करते हैं।
पोते से एक महीने तक करवाई थी 200 रुपए की दिहाड़ी
हीरा कारोबारी सावजी ढोलकिया के बारे में एक और खास बात यह भी है कि वह अपने भाई के पोते रुविन ढोलकिया से मजदूरी तक भी करवा चुके हैं। अमेरिका से पढ़ाई पूरी करके लौटे रुविन ढोलकिया को सिर्फ 200 रुपये प्रतिदिन की दिहाड़ी पर काम करने के लिए चेन्नई भेज दिया गया। इमरजेंसी यूज के लिए सिर्फ 6 हजार रुपए देकर अपने मोबाइल फोन का इस्तेमाल नहीं करने को कहा गया। इसके बाद रुविन ने 9 दिन कपड़े की एक दुकान में बतौर सेल्समैन काम किया। 8 दिन एक ढाबे पर काम किया। 9 दिन घड़ियों की एक दुकान पर काम किया तो 2 दिन मजदूरी भी की। इस संघर्ष के दौरान रुविन को 200 बार रिजेक्ट किया गया तो 27 रुपये की टिप भी कमाई। इतना ही नहीं, टारगेट से 2600 यानि कुल 8,600 रुपये रुविन ने कमाए।
यह दिलचस्प वजह है अमेरिकन रिटर्न रुविन से मजदूरी कराने की अहम वजह
जहां तक इसके पीछे की वजह है, एक आम आदमी की जिंदगी में रोज फेस की जाने वाली कठिनाइयों का अहसास कराना ही इसके पीछे की अहम वजह थी। उनका मानना था कि अनुभव किसी भी प्रबंधन स्कूल से बेहतर शिक्षक बना सकता है। एक इंटरव्यू में सावजी ढोलकिया ने कहा था, 'पहली कार खरीदना किसी के भी जीवन का एक बड़ा पल होता है। इसे प्रोत्साहन के रूप में प्राप्त करने से मेरे कर्मचारियों को बेहतर प्रदर्शन करने की प्रेरणा मिलती है। उनकी जीवनशैली में सुधार होता है, उनके परिवार खुश होते हैं। इससे कंपनी को भी फायदा होता है'।
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