---विज्ञापन---

बिजनेस

सोने-चांदी के कारोबार में होगी जबरदस्त बढ़ोतरी, 145 अरब डॉलर तक पहुंचेगा भारत का ज्वेलरी बाजार

भारत का ज्वेलरी बाजार तेजी से बढ़ रहा है और 2028 तक यह 145 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है। सोने और चांदी के कारोबार में यह वृद्धि देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाएगी। इस क्षेत्र में नए अवसरों और निवेश के साथ भारतीय बाजार का वैश्विक प्रभाव बढ़ेगा।

Author Edited By : Ashutosh Ojha Updated: Apr 14, 2025 13:52
Gold Price
Gold

भारत में गहनों का शौक सिर्फ सजने-संवरने तक सीमित नहीं है, यह परंपरा और निवेश से भी जुड़ा हुआ है। हर त्यौहार, शादी-ब्याह या खास मौके पर सोने-चांदी के गहनों की चमक घर-परिवार में रौनक बढ़ा देती है। अब यही गहनों का बाजार आने वाले वर्षों में जबरदस्त तेजी पकड़ने वाला है। नई रिपोर्ट्स बताती हैं कि भारतीय ज्वेलरी मार्केट हर साल तेज रफ्तार से बढ़ेगा और जल्द ही यह दुनिया के सबसे बड़े बाजारों में गिना जाएगा। आइए जानते हैं कि कैसे सरकार की नीतियां, लोगों की पसंद और बदलता कारोबार इस उद्योग को नई ऊंचाई दे रहे हैं।

गहनों के बाजार में तेज बढ़त की उम्मीद

भारत का गोल्ड ज्वेलरी मार्केट आने वाले वर्षों में तेजी से बढ़ने वाला है। मिनर्वा कैपिटल रिसर्च की रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2024 (FY24) से लेकर वित्त वर्ष 2028 (FY28) तक देश का घरेलू गहनों का बाजार सालाना 16% की दर से बढ़ेगा और 2028 तक इसका आकार 145 अरब डॉलर तक पहुंच जाएगा। इस समय भारत का गहनों का बाजार करीब 90% तक फाइन ज्वेलरी (सोना और हीरे के गहने) पर आधारित है। रिपोर्ट के मुताबिक, पारंपरिक सोने के गहनों पर मुनाफा 10% से 14% और हीरे जड़े गहनों पर मुनाफा 30% से 35% तक होता है।

---विज्ञापन---

असंगठित से संगठित क्षेत्र की ओर बदलाव

रिपोर्ट बताती है कि देश में अब असंगठित से संगठित क्षेत्र की ओर तेज बदलाव हो रहा है। अभी 62% गहनों का कारोबार असंगठित क्षेत्र के पास है, लेकिन 2028 तक यह घटकर 57% रह जाएगा। वहीं संगठित ब्रांडेड ज्वेलर्स की हिस्सेदारी 43% तक पहुंचने की उम्मीद है। लोग अब पारदर्शिता, क्वालिटी और ब्रांडेड प्रोडक्ट्स को ज्यादा पसंद कर रहे हैं। सरकार भी इस बदलाव को बढ़ावा दे रही है। बजट 2024 में सोना-चांदी पर कस्टम ड्यूटी 15% से घटाकर 6% और प्लेटिनम पर 15.4% से घटाकर 6.4% कर दी गई है। इसके अलावा 1 अप्रैल 2023 से गोल्ड हॉलमार्किंग अनिवार्य कर दी गई है और दो लाख रुपये से ऊपर की ज्वेलरी खरीदने पर पैन कार्ड जरूरी कर दिया गया है।

दक्षिण भारत सबसे बड़ा बाजार

क्षेत्रीय मांग की बात करें तो भारत के दक्षिणी राज्यों में सबसे ज्यादा गहनों की मांग होती है, जो देश की कुल मांग का करीब 40% है। इसके बाद पश्चिमी भारत का स्थान है, जहां 25% मांग आती है। दक्षिण भारत के लोग पारंपरिक भारी सोने के गहनों को पसंद करते हैं, जबकि उत्तर और पश्चिम भारत में हल्के और डायमंड स्टडेड ज्वेलरी की मांग ज्यादा है, खासकर 14 कैरेट और 18 कैरेट की। शादी के समय एक परिवार में औसतन 225 से 250 ग्राम तक गहनों की मांग होती है। ग्रामीण भारत में भी संगठित कंपनियों की मौजूदगी तेजी से बढ़ रही है और गांवों से कुल गहनों की मांग का 58% हिस्सा आता है।

मौसम, त्योहार और शादियों में गहनों की मांग सबसे ज्यादा

गहनों का कारोबार देश में एक स्थायी और टिकाऊ बिजनेस मॉडल माना जाता है क्योंकि पुराने गहनों को पिघलाकर नए डिजाइन में बदला जा सकता है, जिससे इन्वेंट्री का नुकसान नहीं होता। यह बाजार मौसम और त्योहारों के अनुसार चलता है जैसे मई-जून और सितंबर-जनवरी की शादी की सीजन, फसल कटाई के समय (सितंबर-नवंबर और जनवरी-मार्च) और त्योहारों जैसे दिवाली, धनतेरस, अक्षय तृतीया और उगाड़ी पर मांग सबसे ज्यादा रहती है। आने वाले वर्षों में संगठित क्षेत्र के बढ़ते प्रभाव, सरकारी नीतियों और उपभोक्ता व्यवहार में बदलाव से भारत का गहनों का कारोबार नई ऊंचाइयों तक पहुंच सकता है।

HISTORY

Edited By

Ashutosh Ojha

First published on: Apr 14, 2025 12:30 PM

Get Breaking News First and Latest Updates from India and around the world on News24. Follow News24 on Facebook, Twitter.

संबंधित खबरें