Adani Wilmar Share: हिंडनबर्ग (Hindenburg) की रिपोर्ट आने के बाद से निवेशकों का भरोसा अडानी के ऊपर कम हो रहा है। नतीजन शेयर मार्केट में कंपनिया लाल निशान के करीब आ रही हैं। हिंडनबर्ग (Hindenburg) कि रिपोर्ट जब आई थी तब निवेशकों को 150 अरब डॉलर का नुकसान झेलना पड़ा। कल ही ET की खबर के अनुसार अडानी विल्मर कंपनी में हिस्सेदारी को बेच रहे है, पर अब रिपोर्ट आ रही है कि एक नहीं कई कंपनियां अडानी के हाथ से निकल सकती हैं।
अडानी ग्रुप इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए निकाल सकते हैं और कंपनियां?
बताया जा रहा है कि अडानी ग्रुप इंफ्रास्ट्रक्चर पर फोकस करना चाहता है, इसके लिए बड़े लेवल पर पूंजी की जरूरत है। विल्मर कंपनी में हिस्सेदारी निकालने से 2.5 से 3 अरब डॉलर मिलने की संभावना है। इसलिए अगर अडानी हाइड्रोजन ग्रीन एनर्जी के साथ अडानी पोर्ट्स, गैस, पॉवर, थर्मल पॉवर पर काम करना चाहते हैं तो इससे ज्यादा पैसे जुटाने होंगे।
6 महीने में विदेशी निवेशकों ने निकाला सबसे ज्यादा पैसा
पिछले 6 महीने के आंकड़ों की बात करें तो Mint की खबर के अनुसार लगातार विदेशी निवेशक अपना पैसा निकाल रहे हैं। 4 से 5 फीसदी की ग्रोथ पैसे निकालने में दिखी है। यानी घरेलू मार्केट के साथ विदेशी मार्केट में भी अडानी ग्रुप की साख को जबरदस्त झटका लगा है। इसलिए कंपनी को किसी भी हालत में अपने ऊपर भरोसा कायम करना ही होगा, ऐसे कंपनी में हिस्सेदारी बेचना, समस्या का हल नहीं हो सकता है।