G20 Summit Agenda : दुनिया के सबसे मजबूत आर्थिक संगठनों में से एक G20 के 18वें शिखर सम्मेलन का आयोजन भारत की अध्यक्षता में होने जा रहा है। 9-10 सितंबर के बीच आयोजित होने वाले इस सम्मेलन में दुनियाभर के 40 से ज्यादा देशों के बड़े नेता और उनके प्रतिनिधि दिल्ली आ रहे हैं। इस शिखर सम्मेलन में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक समेत 40 से ज्यादा देशों के बड़े नेता और उनके प्रतिनिधि इस सम्मेलन में शामिल होने के लिए दिल्ली पहुंच रहे हैं।
‘वसुधैव कुटुंबकम्’ के थीम यानी ‘एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य’ की प्रेरणा पर आधारित इस सम्मेलन पर पूरी दुनिया की नजर है। दरअसल, जी 20 उन 19 देशों का एक मजबूत संगठन है जो पूरी दुनिया के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में करीब 85 प्रतिशत और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में 75 प्रतिशत तक का का योगदान देता है। ऐसे में भारत में होने वाले इस समिट में जो भी फैसले लिए जाएंगे वह पूरी दुनिया के लिए भी महत्व पूर्ण होंगे।
इस बैठक में दुनिया के सामने मौजूद वर्तमान में मौजूद चुनौती जलवायु परिवर्तन, खाद्य संकट, ऊर्जा की कमी, समेत कई मुद्दों के छाए रहने की संभावना है। सम्मेलन के समापन के मौके पर आम सहमति से सभी देश मिलकर एक साझा बयान जारी करेंगे।
इन पांच मुद्दे पर व्यापक चर्चा के आसार
- दिल्ली आयोजित होने जा रहे जी20 शिखर सम्मेलन में वर्ल्ड बैंक और आईएमएफ में सुधार पर व्यापक चर्चा होने की उम्मीद है। भारत समेत कई देशों का कहना है कि पहले और दूसरे विश्वयुद्ध के बाद से तब से अब तक दुनिया में कई बड़े बदलाव हो चुके हैं ऐसे में इन संस्थानों की नीतियों में एक बड़े परिवर्तन की जरूरत हैं।
- 18वें जी 20 समिट में खाद्य संकट और सुरक्षा चर्चा का एक मुख्य विषय होगा। इसमें रूस-यूक्रेन युद्ध और उसके पैदा हुए हालात के कारण उत्पन्न हुई आर्थिक परेशानियों ने खाद्यान्नों के दामों को बढ़ाना काम किया है।
- जी 20 सम्मेलन में इस बार भी जलवायु परिवर्तन पर व्यापक चर्चा के साथ-साथ इसके लिए धन की जरूरत पर भी चर्चा होगी। इस बैठक में ‘सस्टेनबल डेवलपमेंट गोल्स 2030’ के लक्ष्य को पूरा करने पर जोर दिया जा सकता है।
- इस समिट में क्रिप्टोकरेंसी को लेकर दुनिया भर देशों की चिंता का मुद्दा भी उठेगा। दुनिया के कई देश क्रिप्टोकरेंसी को लेकर एक व्यापक चर्चा और नियम बनाए जाने पर जोर दे रहे हैं।
- इसके साथ ही वैश्विक फाइनेंशियल बॉडीज की नीति में सुधार पर भी चर्चा हो सकती है ताकि आर्थिक रूप से कमजोर और छोटे देशों को आर्थिक रुप से मजबूत करने पर बल दिया जाएगा। दरअसल कई ऐसे छोटे देश हैं जिन कर्ज का बोझ लगाता बढ़ता जा रहा है। इस बैठक में लोन री-स्ट्रक्चरिंग, न्यूनतम ग्लोबल कॉरपोरेट टैक्स समेत कई मसलों पर चर्चा हो सकता है।
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आपको बता दें 1999 में जी 20 समूह का गठन किया गया था। इसका उद्देश्य दुनिया के देशों को वैश्विक आर्थिक संकट से उबरने के लिए किया था। शुरुआत में इसके सम्मेलन में सदस्य देशों के वित्त मंत्रियों और प्रमुख बैंकों के गवर्नरों शामिल होते थे। मगर, समय के साथ-साथ में इसका दायरा व्यापक होता चला गया।
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(Zolpidem)
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