Adani Case: अमेरिका के मौजूदा राष्ट्रपति जो बाइडेन द्वारा अपने बेटे हंटर को बिना शर्त माफ करने को लेकर तीखी बहस छिड़ गई है। बाइडेन ने राष्ट्रपति की शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए कई गंभीर मामलों में अपने बेटे को क्षमादान दे दिया। ऐसे में अमेरिकी न्याय प्रक्रिया भी सवालों के घेरे में गई है। सुहेल सेठ (Suhel Seth) के बाद अब विदेशी मामलों के जानकार अभिजीत अय्यर-मित्रा ने भी यूएस जस्टिस सिस्टम पर सवाल उठाए हैं।
अडानी पर आरोप मजाक
अभिजीत अय्यर-मित्रा (Abhijit Iyer-Mitra)का कहना है कि अमेरिकी न्याय प्रणाली एक राजनीतिक प्रणाली ज्यादा प्रतीत होती है। गौतम अडानी पर अमेरिकी अदालत में अभियोग 100% राजनीतिक था। इस अभियोग में अडानी पर जो आरोप लगाए गए, वो किसी मजाक से कम नहीं हैं। हम पहले दिन से ही कहते आए हैं कि यह सबकुछ राजनीति से प्रेरित है, क्योंकि इस अभियोग को लाने वाले अटॉर्नी ब्रियोन पीस के नेताओं से संबंध किसी से छिपे नहीं हैं।
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खबरों में रहने का शौक
अभिजीत ने आगे कहा कि ब्रियोन पीस को Chuck Schumer ने नॉमिनेट किया था, जो जॉर्ज सोरोस के एजेंडे को आगे बढ़ा रहे हैं। अभिजीत अय्यर-मित्रा ने भारतीय राजनयिक देवयानी खोबरागड़े के मामले में अटॉर्नी प्रीत भरारा की भूमिका का उल्लेख करते हुए कहा कि अमेरिकी अटॉर्नी पब्लिसिटी चाहते हैं, उन्हें खबरों में बने रहने का शौक है। इसलिए वे राजनीतिक एजेंडा चलाते हैं। ANI से बात करते हुए उन्होंने आगे कहा कि अधिकांश अमेरिकी राष्ट्रपति वकील रहे हैं। वकील बनना राजनीतिक करियर की पहली सीढ़ी है। अमेरिकी सिस्टम हमेशा से पूरी तरह से राजनीतिक सिस्टम रहा है और हमेशा रहेगा।
इसलिए होती है हैरानी
पूर्व राजनयिक यशवर्धन कुमार सिन्हा (Yashvardhan Kumar Sinha) ने इस मामले में कहा कि मैं जो बाइडेन के फैसले से बहुत हैरान हुआ, क्योंकि पहले उन्होंने कहा था कि वो अपने बेटे को माफी देने के लिए राष्ट्रपति के अधिकारों का प्रयोग नहीं करेंगे। सिन्हा ने आगे कहा कि बाइडेन ने अपने फैसले के पीछे जो कारण गिनाए वे मुझे आश्चर्यचकित करते हैं क्योंकि अगर अमेरिका के राष्ट्रपति को अपने देश की न्याय प्रणाली और न्याय विभाग पर खास भरोसा नहीं है, तो यह वाकई गंभीर है। यहां गौर करने वाली बात यह है कि इसी अमेरिकी न्याय विभाग ने भारत में एक बहुत बड़े कारोबारी समूह के प्रमुख पर आरोप लगाया है।
दोहरे मापदंड न अपनाएं
हालांकि, यहां मुख्य मुद्दा यह है कि अमेरिका को दोहरे मापदंड नहीं अपनाने चाहिए, खासकर जब आप दूसरे देशों के साथ काम कर रहे हों। अपने अधिकार क्षेत्र को उन देशों तक नहीं बढ़ाना चाहिए, आपका कोई अधिकार क्षेत्र नहीं है। बिजनेस कंसल्टेंट सुहेल सेठ (Suhel Seth) ने इस मामले में अमेरिकी न्याय व्यवस्था पर सवाल उठाए हैं. सेठ का कहना है कि संयुक्त राज्य अमेरिका में न्याय विभाग एक हथियार बन गया है। हमने देखा कि डोनाल्ड ट्रंप के साथ क्या हुआ। जिस न्यायाधीश ने ट्रंप पर अभियोग लगाया था, अब उन्होंने ही मामला वापस ले लिया है। इससे अमेरिकी न्याय प्रणाली में गड़बड़ी का अहसास हो जाता है।
राजनीतिक रंग दिया
सेठ ने आगे कहा कि गौतम अडानी के मामले को ही देख लीजिये। सबसे पहले, एक प्रेस बयान में कहा गया कि अडानी का नाम है और दूसरा बयान जारी करके कहा गया कि उनका नाम नहीं है। यह साफ है कि भारतीय और भारतीय कंपनियों की सफलता के कारण इसे राजनीतिक रंग दिया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि यदि अमेरिकी राष्ट्रपति को लगता है कि न्याय विभाग ने उनके बेटे के साथ अनुचित किया था, तो यह किसी भी भारतीय कंपनी के लिए कैसे उचित हो सकता है? फिर चाहे वह अडानी हों या कोई और। अमेरिकियों को अब यह स्वीकारना होगा कि वे वास्तव में ‘बनाना रिपब्लिक’ का हिस्सा हैं, जिसका साम्राज्य बिखर रहा है। सेठ ने कहा कि भारत ने पिछले कुछ समय में काफी तरक्की के है, अडानी का मामला कहीं न कहीं उससे उपजी जलन का परिणाम हो सकता है।