Revival of BSNL: जिस सरकारी दूरसंचार कंपनी BSNL को सब खत्म मान रहे थे, जिसके बारे में कहा जाने लगा था कि वह अपने अस्तित्व के आखिरी पड़ाव पर है। वही आज सुर्खियां बंटोर रही है। भारत संचार निगम लिमिटेड (BSNL) ने 17 साल में पहली बार मुनाफा कमाया है। इसके साथ ही उन सभी आशंकाओं का अंत हो गया है कि जिनमें कंपनी के निजी हाथों में जाने या बंद होने की बात कही गई थी।
नए अध्याय की शुरुआत
सरकारी टेलीकॉम कंपनी BSNL ने दिसंबर 2024 में 262 करोड़ रुपये मुनाफा कमाया है। यहां से कंपनी के लिए एक नए अध्याय की शुरुआत हुई है। कंपनी 2017 से घाटे में चल रही थी और सरकारी कोशिशों के बावजूद इसके प्रदर्शन में खास सुधार नहीं हुआ था। ऐसे में यह आशंकाएं उत्पन्न हो गई थीं कि BSNL को प्राइवेट हाथों में सौंपा जा सकता है। कंपनी के खराब प्रदर्शन और उसके निजीकरण की खबरों ने कर्मचारियों के मनोबल को बुरी तरह प्रभावित किया था। हालांकि, अब उन्हें जोश के साथ काम करने की वजह मिल गई है।
मजबूत किया इन्फ्रास्ट्रक्चर
लंबे समय तक घाटे में चल रही BSNL आखिर मुनाफे में कैसे आई, यह सवाल सभी के मन में है। चलिए इसका जवाब ढूंढने की कोशिश करते हैं। बीएसएनएल ने पिछले कुछ सालों में अपने इन्फ्रास्ट्रक्चर पर काफी काम किया है। निर्बाध इंटरनेट स्पीड सुनिश्चित करने के लिए स्वदेशी 4G स्टैक का डेवलपमेंट कंपनी को प्रॉफिट के ट्रैक पर लाने में महत्वपूर्ण रहा। 2023 में बीएसएनएल ने 1 लाख 4G साइट्स के रोलआउट के लिए 19,000 करोड़ का एडवांस परचेज ऑर्डर जारी किया।
बदलता भारत, बदलता @BSNLCorporate
---विज्ञापन---BSNL ने 2007 के बाद पहली बार अक्टूबर- दिसंबर 2024 की तिमाही में रिकॉर्ड ₹262 करोड़ का Net Profit अर्जित किया है। आदरणीय प्रधानमंत्री श्री @narendramodi जी के दूरदर्शी नेतृत्व में BSNL अपने नए अवतार में ग्राहकों को उच्चतम सेवाएं प्रदान करने के…
— Jyotiraditya M. Scindia (@JM_Scindia) February 14, 2025
इन पर किया काम
BSNL प्राइवेट कंपनियों के मुकाबले 4G रोल आउट में पीछे जरूर रही, लेकिन कंपनी के अपेक्षाकृत सस्ते प्लान ग्राहकों को जोड़े रखने में महत्वपूर्ण रहे। कॉल ड्रॉप, बार-बार इंटरनेट डिसकनेक्ट जैसी समस्याओं पर कंपनी ने काम किया। सिग्नल मजबूत किए ताकि ग्राहकों को पहले वाली कवरेज प्रदान की जा सके। इन सब काम के लिए कंपनी को फंड की जरूरत थी, जो सरकार मुहैया कराती रही। BSNL ने अपने खर्चों पर लगातार कटौती की कैंची चलाई, ताकि आर्थिक स्थिति को बेहतर किया जा सके।
सरकार ने दिया फंड
केंद्र सरकार ने 2019 से शुरू किए गए रिवाइवल पैकेज के तहत अब तक बीएसएनएल और महानगर टेलीफोन निगम लिमिटेड (MTNL) में 3 लाख करोड़ से अधिक की पूंजी डाली है, जिसमें 4G रोलआउट भी शामिल है। जुलाई 2022 में भी केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पैकेज को मंजूरी दी थी। रीलिफ प्लान के अनुसार, BSNL की अधिकृत पूंजी भी 40,000 करोड़ से बढ़ाकर 1.5 लाख करोड़ रुपये कर दी गई।
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BBNL का विलय
कंपनी ने नए टावर लगाकर अपने 4G नेटवर्क कवरेज का विस्तार करने पर भी काम किया। पिछले साल 14 दिसंबर तक बीएसएनएल ने पूरे भारत में 62,000 से अधिक 4G टावर लगाए हैं। कंपनी के लिए अधिक पूंजी सुनिश्चित करने के लिए बीएसएनएल का भारत ब्रॉडबैंड नेटवर्क लिमिटेड (बीबीएनएल) में विलय भी कर दिया गया है। केंद्रीय मंत्री जी किशन रेड्डी का कहना है कि सरकार ने BSNL को न केवल एक दूरसंचार कंपनी के रूप में पुनर्जीवित किया है, बल्कि यह भारत की आत्मनिर्भरता, डिजिटल सशक्तिकरण और देश के हर कोने को जोड़ने की प्रतिबद्धता का भी प्रतीक है।
क्यों बिगड़ी स्थिति?
साल 2000 में लॉन्च के बाद बीएसएनएल देश की नंबर 1 कंपनी थी, लेकिन धीरे-धीरे इसकी स्थिति खराब होती चली गई। इसकी एक प्रमुख वजह विस्तार की योजनाओं को समय पर सरकारी मंजूरी नहीं मिलना भी है। समय पर मंजूरी नहीं मिलने से प्राइवेट कंपनियों को आगे बढ़ने का मौका मिला और उन्होंने तेजी से दौड़ लगा दी। 2006-12 में BSNL की क्षमता में मामूली इजाफा हुआ था और इसकी वजह जल्द मंजूरी नहीं मिलना थी।
ग्राहक छोड़ते गए साथ
नेटवर्क कंजेशन जैसी समस्याओं के चलते ग्राहक BSNL छोड़कर निजी कंपनियों का रुख करने लगे। BSNL को उसकी मजबूत कवरेज के लिए पहचाना जाता था, लेकिन समय के साथ उसकी यह पहचान भी प्रभावित हुई। निजी कंपनियां इतनी आगे निकल गईं कि BSNL के लिए उनका मुकाबला मुश्किल हो गया। इस तरह कंपनी लगातार घाटे में डूबती चली गई और 17 साल बाद जाकर अब वह मुनाफे में आ पाई है।