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क्या 70 साल के इंसान में आ जाएगी 25 साल के नौजवान जैसी ताकत?

Bharat Ek Soch : कुदरती नियमों को चुनौती देने के लिए विज्ञान दिन-रात काम कर रहा है। लोगों को मृत्यु के चक्र से छुटकारा मिल सके, इसे लेकर आधुनिक विज्ञान तेजी से रिसर्च कर रहा है।

Edited By : Anurradha Prasad | Updated: Jan 6, 2025 21:25
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Bharat Ek Soch
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Bharat Ek Soch : हजारों साल से इंसान की दो अधूरी ख्वाहिशें रही हैं- एक पारस पत्थर हासिल करने की। कहा जाता है कि पारस पत्थर से किसी धातु का स्पर्श कराया जाता है- वो सोना बन जाती है। दूसरा- उस अमृत को हासिल करने की जिसे पीने के बाद इंसान अमर हो जाता है। ये दोनों चीजें इंसान को हजारों साल से रोमांचित करती रही हैं। लेकिन, विज्ञान कुदरत के नियमों को चुनौती देने के लिए दिन-रात काम कर रहा है। ऐसे में आधुनिक विज्ञान तेजी से उस दिशा में काम कर रहा है, जिसमें लोगों को मृत्यु के चक्र से छुटकारा दिलाया जा सके। मतलब, इंसान के जन्म की तारीख और समय तो तय होगा। लेकिन, मृत्यु उसकी इच्छा पर निर्भर करेगी?

अमेरिकी अरबपति ब्रायन जॉनसन भी मौत को मात देने की कोशिश कर रहे हैं- वो 47 साल की उम्र में 17 जैसा दिखना चाहते हैं। जॉनसन चाहते हैं कि उनके शरीर के सभी अंग ठीक उसी तरह काम करें- जैसा 17 साल की उम्र के किसी नौजवान के करते हैं। Immortality यानी अमर होना सिर्फ इंसान की कोरी कल्पना रही है या मृत्यु को टालना संभव है? क्या आने वाले वर्षों में विज्ञान इतनी तरक्की कर लेगा कि 70 साल के इंसान के शरीर में 25 साल के नौजवान जैसी ताकत आ जाएगी? क्या बढ़ती उम्र के साथ होने वाली गंभीर बीमारियों को शरीर से दूर रखा जा सकेगा? विज्ञान की मदद से किसी इंसान की जिंदगी कितनी लंबी की जा सकती है? अगर इंसानों की जिंदगी और लंबी होने लगी तो हमारे सामाजिक चक्र में किस तरह के बदलाव करने पड़ सकते हैं।

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एंटी एजिंग एक्सपेरिमेंट्स के लिए जाने जाते हैं ब्रायन जॉनसन

ब्रायन जॉनसन पूरी दुनिया में अपनी एंटी एजिंग एक्सपेरिमेंट्स (Anti Ageing Experiments) के लिए जाने जाते हैं। यहां तक की उन्होंने यंग ब्लड थेरेपी (Young Blood Therapy) के लिए अपने बेटे और पिता के साथ प्लाज्मा की अदला-बदली की। जॉनसन के बेटे की उम्र 17 साल और पिता की 70 साल है। वो रोजाना 100 से अधिक स्पलीमेंट्स लेते हैं, भरपूर मात्रा में सब्जियां खाते हैं। दुनिया में जहां भी जाते हैं- अपना खाना-पानी साथ लेकर चलते हैं। उनके सोने, उठने-बैठने, खाने-पीने सबका टाइम तय है, जिसका वो बहुत ही कड़ाई से पालन करते हैं। ये अमेरिकी बिजनेस टायकून का Don’t Die मिशन को लेकर जुनून ही है कि अगर किसी शहर की हवा खराब हुई यानी एयर क्वालिटी इंडेक्स (Air Quality Index) गंभीर है- वो अपनी यात्रा टाल देते हैं। ऐसे में सबसे पहले समझते हैं कि ब्रायन जॉनसन मौत को मात देने के लिए किन-किन तरीकों को अपना रहे हैं।

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अपनी सेहत और उम्र को लेकर एक्टिव रहते हैं ब्रायन जॉनसन

ब्रायन जॉनसन बहुत पैसे वाले हैं- वो हमेशा अपनी सेहत और उम्र के बारे सोचते रहते हैं। खुद को जवान बनाए रखने के लिए हर महीने करोड़ों रुपये खर्च कर सकते हैं। अपनी दिनचर्या और खानपान का रिकॉर्ड मेंटेन करने के लिए मोटी तनख्वाह पर कई कर्मचारी रखे होंगे। सेहत से जुड़े हर मसले पर सलाह के लिए उसके सामने हमेशा डॉक्टरों का एक्सपर्ट पैनल तैयार रहता होगा। लेकिन, एक सवाल ये भी जवान रहने के जुनून में कहीं जॉनसन अपनी जिंदगी जीना ही तो नहीं भूल गए हैं? लेकिन, एक बड़ा सच ये भी है कि वैज्ञानिक कुछ ऐसा खोजने में लगे हैं- जो हमारी उम्र को आज के मुकाबले कई गुना बढ़ा दे। दुनिया के जाने माने लेखक मैक्स टैगमार्क की एक किताब है- Life 3.0: Being Human in the Age of Artificial Intelligence… इस किताब में टैगमार्क जीवन को तीन हिस्सों में बांटते हैं। पहला- बैक्टीरियल लाइफ…जिसमें विकसित होते प्राणियों को रखते हैं। दूसरे हिस्से में विकसित इंसानों की बात करते हैं। तीसरे हिस्से में इंसान को बायोलॉजिकल से अधिक टेक्निकल बताते हैं। इसमें हम मशीनों को अपने शरीर के अंगों की तरह इस्तेमाल करेंगे। अभी इंसान जीवन के विकास के तीसरे चरण से गुजर रहा है। मसलन, अगर दिल काम नहीं कर रहा है- तो आर्टिफिशियल हार्ट यानी पेसमेकर के जरिए जिंदगी चल रही है। ऐसे में आने वाले दिनों में इंसान के शरीर में ऐसे नैनो बोट्स सेट किए जा सकते हैं- जो शरीर को बुड्ढा बनाने वाली प्रक्रिया रोक दे या कुछ समय के लिए टाल दे?

‘2030 तक अमर हो जाएगा इंसान’ 

अमेरिका के एक मशहूर कंप्यूटर साइंटिस्ट, कारोबारी, लेखक और भविष्यदृष्टा हैं- Reymond Kurzewil… इनका दावा है कि 2030 तक यानी अगले पांच-छह वर्षों में इंसान अमर हो जाएगा। इनके दावों के सही साबित होने का ट्रैक-रिकॉर्ड बहुत बेहतर रहा है। कर्जबेल का दावा है कि एज-रिवर्सिंग नैनोबोट्स की मदद से इंसान अपनी कोशिकाओं को नष्ट होने से बचा सकेगा। इसे भी Immortality का ही नाम दिया जा रहा है। इसी तरह कुछ वैज्ञानिक इस प्रयोग में जुटे हैं- जिससे बढ़ती उम्र के साथ होने वाली बीमारियों को ठीक किया जा सके? जीवन प्रत्याशा (Life Expectancy) को डबल किया जा सके। सिर्फ स्वास्थ्य सेवाओं तक लोगों की बुनियादी पहुंच और जीवन स्तर में बदलाव का ही नतीजा है कि आजादी के समय जहां देश में लोगों की जीवन प्रत्याशा 32 साल थी, वो अब 70 साल पार कर गई है।

इंसान की उम्र 140 हो जाएगी तो फिर क्या होगा

क्या कभी आपके दिमाग में ये बात आई है कि अगर इंसान अमर हो जाएगा या जीवन प्रत्याशा 70 साल से बढ़कर 140 साल हो जाएगी तो क्या होगा? क्या विज्ञान हमें महाभारत के किरदार भीष्म की तरह बना देगा, जिन्हें इच्छा मृत्यु का वरदान था यानी जिनमें मौत का समय खुद तय करने की शक्ति थी। अगर ऐसा हुआ तो दुनिया में नौकरी से रिटायरमेंट की जगह धरती पर जिंदगी जीने की सीमा तय करनी पड़ सकती है। बड़ी आबादी की भूख मिटाने के लिए और अन्न की जरूरत होगी? ऐसे में अधिक अनाज उत्पादन के साथ-साथ ऐसी टैबलेट के आविष्कार पर भी जोर होगा- जिन्हें लोग नाश्ता, लंच या डिनर की जगह ले सकेंगे। सौर मंडल में ऐसे ग्रह भी खोजने पड़ सकते हैं, जहां इंसानी आबादी के रहने लायक आबोहवा मौजूद हो।

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अमरत्व और अमृत पाने की लालसा पुरानी है

एक बड़ा सच ये भी है कि उम्र को हराने की जंग, इंसान को जिंदगी से ही दूर करने लगी है। लोग जिंदगी के मर्म को ही भूलने लगे हैं कि जिंदगी लंबी नहीं, बड़ी होनी चाहिए। पूरी दुनिया में अमरत्व और अमृत पाने की लालसा बहुत रोमांचक और पुरानी है। हिंदू पौराणिक ग्रंथों में हनुमान, बाली, व्यास, विभीषण, परशुराम, कृपाचार्य, अश्वत्थामा को अमर बताया गया है। कहा जाता है कि आज भी अश्वत्थामा इस दुनिया में भटक रहे हैं। परशुराम का जिक्र त्रेतायुग की रामायण में भी और महाभारत में भी। इसी तरह हनुमानजी का जिक्र रामायण में भी है महाभारत में भी। ऐसे में एक सवाल ये भी उठता है कि कहीं लंबी उम्र को हमारे पौराणिक ग्रंथों में अमरत्व तो नहीं कहा गया और जिंदगी बढ़ाने वाले संतुलित खान-पान को अमृत।

अमर होने के लिए भारत आया था सिकंदर

हिमालय घाटी में हजारों साल से एक कहावत मशहूर है- यूनान से लड़ते हुए सिकंदर भारत आया था- एक ऐसे सरोवर की तलाश में, जिसका पानी पीते ही इंसान अमर हो जाता था। बहुत खोजबीन के बाद सिकंदर उस सरोवर तक पहुंचा। जैसे ही उसने पानी पीने की कोशिश की। एक बहुत ही कर्कश आवाज में कौआ चिल्लाया। इस पानी को मत पीओ। सिकंदर ने देखा- उस कौए की चोंच सोने की थी, शरीर ब्रज की तरह दमक रहा था। सिकंदर को ऐसा लगा, जैसे कौए का चक्रवर्ती राजा उसके सामने है। सिकंदर ने सवाल किया- इस सरोवर का पानी क्यों न पिएं। कौए ने जवाब दिया- तुम भी मेरी तरह हो जाओगे। अमर… हमेशा के लिए अमर। जिंदगी से परेशान। मैं हजारों साल से इस सोने की चोंच, वज्र जैसे शरीर और कर्कश आवाज के साथ धरती पर हूं। कोई बदलाव नहीं, ये भी कोई जीवन है।

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इंसान का शरीर मरता है, आत्मा नहीं : श्रीमद्भागवत गीता

दरअसल, इस कहावत के जरिए संदेश देने की कोशिश होती रही है कि कुदरत ने जीवन और मृत्यु का जो चक्र बनाया है, उसमें हर किसी को अपना किरदार निभाना है। श्रीमद्भागवत गीता में कहा गया है कि इंसान का शरीर मरता है- आत्मा नहीं। इसलिए भारतीय परंपरा में इंसान की लंबी उम्र से अधिक अच्छे कर्मों पर जोर दिया गया है। बहुत हद तक संभव है कि आने वाले वर्षों में विज्ञान इतना तरक्की कर ले कि इंसान की मौजूदा उम्र दोगुनी हो जाए। लेकिन, हमेशा के लिए अमर होना दूर की कौड़ी दिख रही है।

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Edited By

Anurradha Prasad

First published on: Jan 06, 2025 09:18 PM

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