भारत में सेकंड हैंड कारों कारों की डिमांड कभी कम नहीं होती। यह मार्केट ऐसे लोगों को टारगेट करता है जिनका बजट नई कार खरीदने का नहीं होता और कम बजट में एक पुरानी कार खरीदना चाहते हैं। लेकिन जितना आसान एक नई कार खरीदना होता है उतना ही सिर दर्द एक पूरानी कार खरीदते समय होता है। कई बार देखने में आता है कि लोग ठगी का शिकार हो जाते हैं और लाखों का नुकसान उन्हें होता है। लेकिन अगर थोड़ी सावधानी से पुरानी कार खरीदी जाये तो बेहतर डील मिल सकती है। अगर आपका भी इरादा कुछ ऐसा ही है तो यहां हम आपको कुछ ऐसे टिप्स बता रहे हैं जिनको फॉलो करके आप पुरानी कार में बेहतर डील प्राप्त कर सकते हैं।
सबसे पहले कार के पूरे पेपर्स देखें
जो भी पुरानी कार आप खरीदने जा रहे हैं उसके सभी पेपर्स ठीक से देख लें। आपको गाड़ी की RC, रजिस्ट्रेशन और इंश्योरेंस पेपर्स को ठीक से चेक करना होगा। इसके अलावा पिछले 2-3 साल में नो क्लेम बोनस ट्रैक करें। ध्यान रहे सभी पेपर्स ओरिजिनल ही देखें, फोटो कॉपी, या मोबाइल में पेपर्स न देखें, यह धोखा हो सकता है।
गाड़ी स्टार्ट करें और चलाकर देखें
गाड़ी स्टार्ट करें, उसके बाद बोनट पर हाथ रखें और टेम्प्रेचर चेक करें। अगर कार का टेम्प्रेचर नॉर्मल हैं तो कोई बात नहीं लियन अगर यह बहुत ज्यादा है तो ऐसी कार की ड्राइव न ले और डील आगे न बढ़ाए। यह भी देख लें कि वाइब्रेशन की दिक्कत तो नही है… यदि ऐसा कुछ लगे तो डील न करें और सब नॉर्मल है तो आगे बढ़ें। इतना ही नहीं गाड़ी की एक छोटी की ड्राइव जरूर लें।
स्टीयरिंग व्हील के साथ धुंए को चेक करें
गाड़ी के स्टीयरिंग व्हील को भी ध्यान से चेक करें, अगर इसमें वाइब्रेशन की शिकायत या एक तरफ ज्यादा भागने लगे तो समझ जाना कि गाड़ी ठीक नहीं है। इसके अलावा गाड़ी के साइलेंसर के निकलने वाले धुंए के रंग पर ध्यान दें। यदि धुंए का रंग नीला, काला है तो यह इस बात का संकेत है कि इंजन में कोई खराबी है। इसके अलावा इंजन में ऑयल लीकेज की समस्या भी हो सकती है।
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