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Vrat Niyam: व्रत और उपवास में क्या है अंतर, यहां जानिए इसका अर्थ और महत्व

Vrat Niyam: सनातन धर्म में देवी-देवताओं को प्रसन्न करने लिए व्रत और उपवास रखा जाता है, लेकिन क्या आपको पता है व्रत और उपवास में क्या अंतर होता है? साथ ही इन दोनों का अर्थ क्या होता है। अगर नहीं तो आइए इस खबर में विस्तार से जानते हैं।

Vrat Niyam
Vrat Niyam: सनातन धर्म में पूजा-पाठ और व्रत का अधिक महत्व होता है और इन पूजा-पाठ, व्रत-त्यौहार का संबंध किसी न किसी देवी-देवता से जरूर होता है। देवी-देवताओं को प्रसन्न करने के लिए लोग व्रत-उपवास करते हैं, ताकि भगवान प्रसन्न हो जाए और अपनी कृपा बनाए रखें। इसके साथ ही व्रत और उपवास के दौरान जातक कई नियमों का पालन भी करते हैं। लेकिन क्या आपको पता है व्रत और उपवास दोनों में अंतर क्या है? अगर नहीं तो कोई बात नहीं, आज इस खबर में जानेंगे कि व्रत और उपवास में क्या अंतर है। इसके साथ ही महत्व और अर्थ के बारे में भी जानेंगे।

क्या होता है व्रत का अर्थ और महत्व

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, व्रत का अर्थ किसी चीज का संकल्प लेकर उसका पालन करना। व्रत का दूसरा अर्थ होता है किसी चीज का प्रण या प्रतिज्ञा करना। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, व्रत के दौरान भोजन ग्रहण किया जा सकता है। मान्यता है कि जो जातक व्रत करते हैं, वे व्रत के दौरान एक समय अन्न ग्रहण कर सकते हैं। जैसे एकादशी, पूर्णिमा, सोमवार, मंगलवार या फिर किसी भी अन्य दिन जो उस देवी-देवता को समर्पित होता है। इन देवी-देवताओं के लिए जातक व्रत रखते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, व्रत करने से आत्मिक बल और स्व-नियंत्रण को बढ़ाने में मदद मिलता है। साथ ही शरीर में कई तरह के लाभ भी मिलता है। यह भी पढ़ें- क्यों कहा गया है कार्तिक माह को मोक्ष का द्वार, जानें गंगा स्नान करने का खास महत्व

क्या होता है उपवास का अर्थ और महत्व

बता दें कि उपवास दो शब्दों से मिलकर बना है, पहला उप और दूसरा वास। मान्यता है कि उप का अर्थ समीप और वास का अर्थ बैठना होता है। यानी जो जातक भगवान में ध्यान लगाकर बैठता है साथ ही उनके नाम का भी जाप करता है और स्तुति भी करता है, तो उसे उपवास कहा जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, उपवास करके जातक भगवान के पास पहुंचने की कोशिश करता है। मान्यता है कि उपवास के दौरान किसी भी तरह का अन्न-जल का ग्रहण नहीं किया जाता है। बल्कि इसमें पूरा ध्यान भगवान की भक्ति में लगाना होता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, उपवास करने से शरीर की इंद्रियां वश में हो जाती हैं। यह भी पढ़ें- क्या अविवाहित लड़कियां भी रख सकती हैं करवा चौथ का व्रत? जानें शास्त्रीय नियम डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी उपाय को करने से पहले संबंधित विषय के एक्सपर्ट से सलाह अवश्य लें।


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