वास्तु या फेंगशुई, दोनों में से किसके अनुसार करें घर का निर्माण, सजावट और सामान का रख-रखाव?
Vastu Or Feng Shui Tips Benefits
What Is Better Vastu Remedy Feng Shui Remedy: धर्म, पूजा-पाठ, एस्ट्रोलॉजी, होरोस्कोप में विश्वास रखने वाले लोग घर का निर्माण करते समय वास्तु दोषों का खास ध्यान रखते हैं। चाहे घर बनाना हो, डेकोरेशन करनी हो या घर के अंदर सामान रखना हो, वास्तु को ध्यान में रखकर, पंडित जी से वास्तु के नियम पूछकर ही सभी काम किए जाते हैं। मान्यता है कि वास्तु के अनुसार काम करने से घर में बरकत बनी रहती है। खुशियां और सुख-समृद्धि आती है। वास्तु के साथ ही आजकल लोग चीनी वास्तु परंपरा फेंगशुई में भी काफी विश्वास करने लगे हैं। बहुत से घरों में फेंगशुई का प्रभाव देखने से ही पता चल जाता है। वास्तु शास्त्र लगभग 12 हजार साल पहले लिखा गया था। फेंगशुई 6 हजार साल पुरानी परंपरा है। यह दोनों सूर्य की किरणों और पृथ्वी के चारों तरफ बहने वाली चुंबकीय तरंगों के अनुसार काम करती हैं।
दोनों में अंतर
वास्तुशास्त्र में घर की सजावट, दिशाओं और कोणों को महत्व दिया जाता है। फेंगशुई में ऊर्जा के संतुलन, सकारात्मक, नकारात्मक प्रभावों का ध्यान रखा जाता है। वास्तु का शाब्दिक अर्थ 'वस्तु' है और शास्त्र का अर्थ है 'ज्ञान' वहीं फेंगशुई चीनी लैंग्वेज का वर्ड है, जिसका मतलब 'हवा/सुई/पानी' है। फेंगशुई चीन के पवित्र ग्रंथ टायो पर आधारित है। फेंगशुई में दक्षिण दिशा को पॉजिटिव, एनर्जी से भरपूर और शुभ माना जाता है। आग्नेय कोण, जो दक्षिण और पूर्व दिशा के बीच में होता है, उसमें पानी रखना, फव्वारा लगाना, मछलियां रखना या पौधे लगाना शुभ माना जाता है। वास्तुशास्त्र में आग्नेय कोण में कोई जलीय चीज रखना अशुभ माना जाता है, लेकिन आग्नेय कोण में किचन बनाना, आग से जुड़े काम करना, बिजली का सामान रखना शुभ माना जाता है। फेंगशुई में घर बनाने के लिए पीली-लाल मिट्टी का शुभ मानी जाती है। वास्तुशास्त्र में घर बनाने के लिए सफेद-पीली मिट्टी शुभ मानी गई है।
दोनों में समानताएं
वास्तुशास्त्र और फेंगशुई में कई समानताएं भी हैं, जैसे वास्तुशास्त्र में घर के मेन गेट पर स्वास्तिक बनाना, ॐ, शुभ-लाभ लिखना शुभ माना जाता है। भगवान को लाल चोला पहनाना और देवी को लाल चुनरी ओढ़ाना शुभ मानते हैं। फेंगशुई में भी घर के गेट पर लाल रंग इस्तेमाल करना शुभ माना जाता है। इसलिए चीन में भी भगवान को लाल चोला पहनाया है। लाल रंग की रोशनी से सजावट की जाती है। वास्तु के अनुसार, घर में गंदगी होने से नकारात्मकता आती है। फेंगशुई के अनुसार भी घर में कबाड़ रखना अशुभ् होता है। फेंगशुई में फर्नीचर रखने की जगह के विशेष नियम बनाए गए हैं। वास्तुशास्त्र में भी सही जगह पर दरवाजा फर्नीचर की जगह भी सही कर देता है। वास्तुशास्त्र में महाभारत या हिंसक जानवरों की तस्वीरें लगाना अशुभ होता है। फेंगशुई में भी कहा गया है कि घर में हिंसक तस्वीरें न लगाएं। अकेले शख्स या चीज की तस्वीर न लगाएं। दोनों शास्त्रों में ईशान कोण और पूर्व दिशा को शुभ माना गया है। दोनों दिशाओं को साफ रखने की सलाह दी जाती है। इसलिए दोनों शास्त्र ईशान कोण में टॉयलेट बनाने को अशुभ मानते हैं।
दोनों में एक अंतर यह भी
वास्तु शास्त्र डिजाइन और डेकोरेशन को लेकर मानसिकता को प्रभावित करता है। फेंगशुई व्यवहार, रंगों, सामग्री और दिशाओं के असर को देखता है। वास्तु शास्त्र हल्के रंगों, विशेषकर सफेद रंग और हाथीदांत के इस्तेमाल पर जोर देता है। फेंगशुई समृद्धि के प्रतीक के रूप में चमकीले रंगों, विशेषकर लाल और सोने के उपयोग को बढ़ावा देता है। वास्तु आठों दिशाओं और पांचों तत्वों का सम्मान करता है। फेंगशुई व्यवस्था, स्थान, प्रतीकों और रंगों के उपयोग पर जोर देता है।
वास्तु शास्त्र में तुलसी को पवित्र माना जाता है। फेंगशुई में बांस को लकी माना जाता है। गणेश, भारतीयों के लिए पूजनीय हैं, जिन्हें वास्तु शास्त्र में शुभ माना जाता है। फेंगशुई में, लाफिंग बुद्धा को शुभ माना जाता है। फेंगशुई एस्ट्रोमैपिंग पर निर्भर करता है, जिसका अर्थ है किसी व्यक्ति की बजाय किसी पते या शहर के ज्योतिष पर विचार करना, जबकि वास्तु शास्त्र गृहस्वामी की कुंडली या जन्म कुंडली पर विचार करता है।
डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है।News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी उपाय को करने से पहले संबंधित विषय के एक्सपर्ट से सलाह अवश्य लें।
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