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Tantra Mantra: मां काली की सहचरी होती है डाकिनी, प्रसन्न हो जाएं तो मनचाही सिद्धियां भी दे देती है

Tantra Mantra: हिंदू तथा बौद्ध तंत्रों में डाकिनी शब्द का उल्लेख मिलता है। इसे अमानवीय शक्ति युक्त दिव्य प्राणी माना गया है। देवताओं के समान ही इसके पास अद्भुत शक्तियां होती हैं और ये जिस पर प्रसन्न होती हैं, उसका सभी कार्य करने के लिए सदैव तत्पर रहती हैं। यही कारण है कि तंत्र शास्त्र […]

Tantra Mantra: हिंदू तथा बौद्ध तंत्रों में डाकिनी शब्द का उल्लेख मिलता है। इसे अमानवीय शक्ति युक्त दिव्य प्राणी माना गया है। देवताओं के समान ही इसके पास अद्भुत शक्तियां होती हैं और ये जिस पर प्रसन्न होती हैं, उसका सभी कार्य करने के लिए सदैव तत्पर रहती हैं। यही कारण है कि तंत्र शास्त्र में थोड़ी भी रुचि रखने वाले लोग डाकिनी को सिद्ध करने की इच्छा रखते हैं। यह भी पढ़ें: भगवान दत्तात्रेय की पूजा से मिलती हैं समस्त तांत्रिक सिद्धियां, ऐसे करें पूजा

किसे कहते हैं डाकिनी

माना जाता है कि डाकिनी शब्द चीनी भाषा का है। इसका हिंदी में अर्थ आकाशगामिनी (आकाश से गमन करने वाली) होता है। बौद्ध साहित्य में इन्हें पवित्र तथा दिव्य शक्तियां से युक्त माना गया है। कई ऐसे उदाहरण भी मिलते हैं जब डाकिनी ने साधक का मार्गदर्शन किया है। इसी प्रकार चीन तथा तिब्बत में ऐसी महिलाएं, जो आध्यात्मिक शक्तियों की स्वामी हों, को भी कभी-कभार डाकिनी कह दिया जाता है। हिंदू तांत्रिक ग्रंथों में इन्हें भगवती काली तथा मां छिन्नमस्ता की सहयोगिनी शक्ति माना गया है। इसी प्रकार बौद्ध तंत्र ग्रंथों में इन्हें बोधिसत्व (परमेश्वर) का नारी स्वरूप कहा गया है। इनका वास श्मशान में माना गया है।

योग शास्त्र में भी है इनका उल्लेख

योगशास्त्र में भी डाकिनियों को शरीर में स्थित सूक्ष्म चक्रों की सिद्ध शक्तियां बताया गया है। अलग-अलग चक्रों पर अलग-अलग डाकिनी शक्तियों का वास है। वस्तुत: ये अत्यन्त उग्र शक्तियां होती हैं तथा बड़े से बड़े असंभव कार्य को भी सहज ही संभव कर सकती हैं। इसी वजह से जिन लोगों के एक के अधिक चक्र जागृत हो जाते हैं, उनमें दिव्य क्षमता आ जाती हैं। यह भी पढ़ें: Hanumanji ke Upay: हर संकट की काट है हनुमानचालिसा के ये उपाय, आप भी ऐसे करें

कैसे करें इन्हें सिद्ध (Tantra Mantra)

बौद्ध तंत्र में डाकिनी को सिद्ध करने के लिए कई मंत्र प्रयोग बताए गए हैं। इन साधनाओं को अक्सर श्मशान में किया जाता है। हालांकि ये अत्यन्त उग्र प्रयोग होते हैं, इसलिए इन्हें गुरु के दिशा-निर्देश में ही सिद्ध करना चाहिए। इसके लिए गुरु मंत्र देते हैं, साधक के चारों ओर रक्षा कवच बनाते हैं, उसके बाद ही पूजा आरंभ करनी चाहिए। सबसे बड़ी बात, डाकिनी साधना कभी भी घर में नहीं की जाती है। डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी उपाय को करने से पहले संबंधित विषय के एक्सपर्ट से सलाह अवश्य लें।


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