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तनाव‌ ‌और‌ ‌मनोरोगों ‌के ‌मूल‌ ‌कारण‌ क्या हैं? आचार्य प्रशांत से जानिए

Stress and Mental Diseases: आचार्य प्रशांत बताते हैं कि मूलतः बस एक ही तनाव होता है। कुछ है तुम्हारे भीतर जो जाना चाहता है सच की तरफ और कुछ है तुम्हारे भीतर जो उसे जाने नहीं देता। आइए आचार्य प्रशांत किशोर से जानते हैं कि आखिर तनाव और मनोरोगों के मूल कारण क्या हैं?

Acharya Prashant
Stress and Mental Diseases: तनाव, चिंता और मनोविकार एक गलत जीवन जीने का परिणाम है और वो लगातार मौजूद रहेंगे, बस प्रदर्शित कुछ मौकों पर होते हैं। इसको राहत मत मान लेना कि आपका तनाव दिन में बस दो-चार घंटे ही प्रकट होता है। ऐसे समझ लीजिए, यदि आपका तनाव चौबीस घंटे बना रह गया होता तो आप तनाव से मुक्त हो गए होते। क्योंकि तब आप तनाव से आजाद हुए बिना जी नहीं पाएँगे। हम गलत जीवन जी ही इसलिए पाते हैं क्योंकि गलत जीवन का दुष्परिणाम लगातार अपना अनुभव नहीं कराता। अगर कोई ऐसी व्यवस्था हो पाती कि जो गलत जी रहे हैं, उनको उसी समय तत्काल अपनी गलती का फल मिल जाता तो गलतियां होनी ही बंद हो जातीं।

श्रीमद्भागवत् गीता में श्रीकृष्ण का कथन

ये दुनिया का खेल है, आप बिल्कुल सही काम करके भी दुःख पा सकते हो और एकदम घटिया काम करके भी सुखी रह सकते हो। यहां पर कर्म और कर्मफल का खेल थोड़ा उलझा हुआ है। इसलिए श्रीमद्भागवत् गीता में श्रीकृष्ण कहते हैं कि तुम बस मुझे समर्पित होकर सही कार्य करो, परिणाम को एकदम भूल जाओ। यह याद रखो कि यदि तुमने काम घटिया करा है तो उसका अंजाम निश्चित रूप से घटिया ही होगा, हां उसके अनुभव में जरूर समय लग सकता है। ये समय ही हमें धोखा देता है, सजा जरूर मिलती है, बस थोड़ा समय लगेगा। मूलतः बस एक ही तनाव होता है। कुछ है तुम्हारे भीतर जो जाना चाहता है सच की तरफ और कुछ है तुम्हारे भीतर जो उसे जाने नहीं देता। तनाव मनुष्य की अनिवार्यता है क्योंकि उसे दो विरोधी चीज़ें अपनी-अपनी दिशा में खींच रही हैं। सोचो तुम्हारे दिल के दो फाड़ हो गए हैं, एक हिस्सा इधर को जा रहा है और एक हिस्सा उधर को जा रहा है। आदमी इसी तनाव का ही नाम है।

तनाव को कैसे किया जा सकता है दूर?

ये तनाव दो-तीन तरीकों से दूर किया जा सकता है। पहला सुविधाजनक तरीका है कि जो तुम्हें सच की ओर खींच रहा है, वो तुम्हें कहीं बहुत दूर ले जाना चाहता है, तो तुम कहो कि उतनी दूर कौन जाए, तुम अपने जीवन में उसी ताकत को जीत जाने दो जो तुम्हें तुम्हारे बहुत करीब के झूठ से बांध रही हो। सच और झूठ की लड़ाई में तुमने झूठ को जिता दिया और तनाव दूर हो गया। झूठ को जिताना ज्यादा सरल है क्योंकि सच दूर का है और झूठ करीब का है। सच कमाना पड़ता है और झूठ हम लेकर पैदा होते हैं। तो अपनी जिन्दगी में झूठ को जिता दो, तनाव कम हो जाएगा। ये आम आदमी की कहानी है। यह भी पढ़ें: दिवाली शुरू होने से पहले घर से बाहर निकाल दें 5 चीजें, हमेशा दूर रहेगी दरिद्रता तनाव को दूर करने का दूसरा तरीका तनाव कम करने का दूसरा तरीका है पाखण्ड। दो चीज़ें तुम्हें विपरीत दिशाओं में खींच रही थीं। तुमने दोनों को आधा-आधा दे दिया। तनाव अब नहीं रहेगा। ये तरीका भी बहुत लोग आजमाते हैं। वो आधे सच के हो जाते हैं और आधे झूठ के हो जाते हैं। वो नौदुर्गा के दिनों में कहते हैं कि हम चिकन-मटन नहीं खाएंगे और उसके बाद वो पूरा महीना रोज मास खाते हैं। ये पाखण्ड का तरीका है - आधे-आधे बंट जाओ। दफ़्तर यदि घूस लेने भी जा रहे हो तो दही शक्कर खाके जाओ। ये तरीका भी बहुत लोग आजमाते हैं। इससे तुम अपनी नज़रों में राक्षस होने से भी बच जाते हो और तुम्हें पूरी तरह राम का भी नहीं होना पड़ता। तनाव को दूर करने का तीसरा तरीका अब तीसरा और सबसे सीधा-सहज तरीका तनाव कम करने का है कि जिसके हो, उसके हो जाओ। कोई तनाव नहीं रहेगा। तुम्हें बाकी दोनों तरीके खूब सुहाएंगे पर हकीकत में तनाव मुक्त होने का एक ही तरीका है - तुम बस राम के हो जाओ। पहले दोनों तरीकों के झाँसे में मत आ जाना, वहां दुःख, संशय, डर और पाखण्ड के इलावा कुछ नहीं है।   - आचार्य प्रशांत संस्थापक, प्रशांतअद्वैत संस्था वेदांत मर्मज्ञ, पूर्व सिविल सेवा अधिकारी


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