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Ram Katha : सीता जी के 12 नाम क्या हैं? जानें उनका महत्व

Ram Katha Sita ji 12 names and importance : सीता जी के कुछ ऐसे और भी नाम हैं जिनके बारे में शायद ही आप लोग ज्ञान रखते हों। आज में राम सिया राम... की कड़ी में सीता जी के कुछ ऐसे ही नाम और उनके नामों के महत्व के बारे में चर्चा कर रहे हैं।

राम कथा
Ram Katha Sita ji 12 names and Importance Interesting Story : राम सिया राम...की कड़ी में हमने भगवान श्रीराम और उनके जीवन से जुड़ी कई रोचक कहानियां और किस्से आप लोगों के साथ शेयर किए हैं। वहीं आज हम आपके साथ सीता जी के 12 नामों की चर्चा करेंगे और बताएंगे कि उनके इन नामों के पीछे क्या भेद है। रामचरित मानस में भगवान श्रीराम और सीता के जीवन के बारे में विस्तृत वर्णन मिलता है। वहीं भगवान राम के भी कई नामों का उल्लेख श्रीरामचरित मानस में किया गया है। आज आप जानेंगे कि मां भगवती सीता के अन्य नाम क्या और क्यों रखे गए थे। ये भी पढ़ें : श्रीराम ने क्यों मारा महाबली बालि को बाण जानकी सीता जी के पिता को शास्त्रों में जनक की संज्ञा दी गई थी। उनके पिता उन्हें बहुत ही लाड़-प्यार करते थे। इसीलिए माता सीता जानकी जी कहलायी गई। लक्षाकी जानकी जी को धन की देवी मां लक्ष्मी जी माना जाता है। उनकी प्रजा भी उन्हें लक्ष्मी स्वरुपा ही मानती थी और प्रजा उन्हें लक्षाकी नाम से संबोधित करती थी। भूमि मान्यता है कि सीता जी का जन्म खेत में हल चलाने के दौरान हुआ था। धरती के गर्भ से पैदा होने के कारण उन्हें शास्त्रों में भूमि नाम से भी संबोधित किया गया है। मैथिली महाराज जनक के राज्य का नाम मिथिला था। इस वजह से मिथिला के लोग उन्हें मैथिली नाम से भी संबोधित किया करते हैं। इसीलिए उनका यह नाम भी शास्त्रों में मिलता है। ये भी पढ़ें : भगवान श्रीराम के राजतिलक में लक्ष्मण जी क्यों नहीं हुए थे शामिल सीता हल के अग्र भाग को सीत कहा जाता है। साथ ही सीता जी का जन्म खेत में हल जोतने के दौरान हल के अगले भाग से एक कलश निकलने के दौरान माना जाता है। इसीलिए सीत के कारण ही उनका नाम सीता पड़ा। मृणमयी सीता जी मन-वचन और कर्म से पवित्र थी और मिट्टी को भी शास्त्रों में पवित्र बताया गया है। इसीलिए धरती से पैदा होने के कारण उनका नाम मृणमयी भी रखा गया। वैदेही धार्मिक मान्यता है कि राजा जनक को विदेहराज जनक भी कहा जाता था। अपने पिता के नाम पर ही उनका नाम वैदेही पड़ा। सिया अत्यंत सुंदर और सुशील होने के कारण माता जानकी जी सिया कहलायी गईं। मान्यता है कि उस दौरान माता सीता से सुन्दर नारी संपूर्ण पृथ्वी पर कोई नहीं थी। वानिका सीता जी ने अपने जीवन का अधिकांश भाग वनों में ही बिताया था। पहले तो श्रीराम के साथ उन्होंने 14 वर्ष का वनवास भोगा और उसके बाद वे अयोध्या वापस आने पर फिर से वनों में चली गई और सारा जीवन वाल्मिकी जी के आश्रम में रहीं। इसी कारण से उनका एक नाम वानिका भी पड़ा। जनकनंदनी महाराज जनक की पुत्री होने के कारण माता सीता जनकनंदनी कहलायी गई। क्षितिजा माता सीता के एक नाम को क्षतिज अर्थात आसमान से भी जोड़कर देखा जाता है। क्योंकि माता खेत की भूमि से खुले आसमान के नीचे प्रकट हुई थीं। इसीलिए माता को क्षितिजा नाम से भी शास्त्रों में संबोधित किया गया है। सीताशी सीता जी का एक नाम सीताशी भी माना जाता है। इस नाम को दैवीय गुणों से युक्त माना जाता है। यही कारण है कि माता को सीताशी कहा जाता है। डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धर्मग्रंथों पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है।News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी उपाय को करने से पहले संबंधित विषय के एक्सपर्ट से सलाह अवश्य लें।


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