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कौन थीं माता अनुसुइया, जिन्होंने सीता जी को दिए कभी ना गंदे होने वाले वस्त्र

Ram Katha Mata Anusuiya Sita Ji Maharishi Atri Interesting Story: पौराणिक काल माता अनुसुइया को महान पतिव्रता स्त्रियों में से एक माना जाता है। कहा जाता है कि मां अनुसुइया महान पतिव्रत धर्म का आचरण करने वाली महिला थीं।

राम कथा
Ram Katha Mata Anusuiya Sita Ji Maharishi Atri Interesting Story: राम सिया राम...की कड़ी में आपके साथ नित नए किस्से और कहानियां हम लोग आपके साथ शेयर करते हैं। ये सभी किस्से और कहानियां श्रीराम चरित मानस पर आधारित हैं। वहीं आज हम एक ऐसे ही रोचक किस्से आपको बताएंगे कि सीता हरण के बाद मां जानकी जी ने कभी अपने वस्त्रों को नहीं बदला,उसके बाद वे लंका में करीब 14 महीने रहीं थीं। परंतु उनके वस्त्र कभी मलिन यानी गंदे नहीं हुए। इसका क्या रहस्य है। वनवास काल के दौरान एक बार भगवान श्रीराम अपने भाई लक्ष्मण और सीता जी समेत महामुनि अत्री जी के आश्रम पहुंचे। महर्षि अत्री ने श्रीराम का बहुत आदर किया और सम्मान सहित उन्हें अपने पास बिठाया। साथ ही श्रीराम से भविष्य की घटनाओं के बारे में बताया और कहा कि हे राम मैं वर्षों से आपके आने की ही राह देख रहा था। इसके बाद उन्होंने श्रीराम और लक्ष्मण जी को अनेक प्रकार के अस्त्र-शस्त्र का ज्ञान दिया और दिव्य आयुध उन्हें प्रदान किए। ये भी पढ़ें : शबरी ने श्रीराम को जूठे बेर ही क्यों खिलाए? मतंग ऋषि ने उनसे क्या कहा इसी दौरान महर्षि अत्री की पत्नी माता अनुसुइया ने जानकी जी को पतिव्रत धर्म की दीक्षा दी। साथ ही वनवास की कठिनाइयों के विषय में भी अवगत कराया। इसके बाद माता अनुसुइया ने सीता जी को दिव्य आभूषण और वस्त्र उपहार स्वरुप दिए। साथ ही कहा कि हे पुत्री सीते यह वस्त्र भविष्य में आपके बहुत काम आएंगे। क्योंकि भविष्य में ऐसा समय आने वाला है जब आप कई -कई दिनों तक स्नान नहीं कर पाएंगे, इसीलिए आप इन वस्त्र और आभूषणों को धारण कर लीजिए। ये भी पढ़ें : श्रीराम के अलावा किसने तोड़ा था रावण का घमंड इन वस्त्रों को धारण करने से आपका रुप और सौन्दर्य ऐसे ही बना रहेगा और ये वस्त्र कभी गंदे नहीं होंगे। साथ ही उन्होंने कहा कि ये वस्त्र ना तो भविष्य में फटेंगे और नहीं किसी भी रुप से विकृत होंगे। मां अनुसुइया के ऐसा कहने पर माता सीता ने उन वस्त्रों को धारण कर लिया। मान्यता है कि ये वस्त्र माता अनुसुइया को देवताओं से प्राप्त हुए थे। साथ ही माता अनुसुइया को पांच पतिव्रता स्त्रियों में से एक माना जाता है और देवताओं के साथ ही भगवान शिव, विष्णु और ब्रह्मा जी भी उन्हें माता ही मानते थे और उनका आदर करते थे। ये भी पढ़ें : इस मंदिर में महादेव से पहले होती है रावण की पूजा डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धर्मग्रंथों पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है।News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी उपाय को करने से पहले संबंधित विषय के एक्सपर्ट से सलाह अवश्य लें।


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