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Pradosh Vrat: पौष माह का अंतिम प्रदोष व्रत कब, जानें शुभ तिथि, मुहूर्त और पूजा-विधि

Pradosh Vrat: हिंदू पंचांग के अनुसार, पौष माह के अंतिम प्रदोष व्रत शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है। आज इस खबर में जानेंगे पौष माह की प्रदोष व्रत कब है साथ ही इसका शुभ मुहूर्त, तिथि और पूजा विधि क्या है। आइए विस्तार से जानते हैं।

Pradosh Vrat 2024 Date Muhurat And Puja Vidhi: हिंदू पंचांग के अनुसार, हर माह के शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष के त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भगवान शिव की विधि-विधान से पूजा करने का बड़ा ही महत्व होता है। जो व्यक्ति प्रदोष व्रत के दिन भोलेनाथ की पूजा करते हैं, उनके जीवन में कभी भी धन, सुख-सौभाग्य की कमी नहीं होती है। साथ ही सभी मनोकामनाएं पूर्ण भी होती हैं। आज इस खबर में जानेंगे कि पौष माह का आखिरी प्रदोष व्रत कब है साथ ही इसका शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में विस्तार से जानेंगे।

प्रदोष व्रत का शुभ तिथि

दृक पंचांग के अनुसार, पौष माह के अंतिम प्रदोष व्रत शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को है। त्रयोदशी तिथि का शुभारंभ 22 जनवरी 2024 को शाम 7 बजकर 51 मिनट से हो रहा है और समापन 23 जनवरी 2024 दिन मंगलवार को रात 8 बजकर 39 मिनट पर होगा। उदया तिथि के अनुसार, पौष माह के प्रदोष व्रत 23 जनवरी 2024 दिन मंगलाव को रखा जाएगा। इस दिन पौष माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भगवान भोलेनाथ के साथ बजरंगबली की भी पूजा करने का विधान है। यह भी पढ़ें- इस साल कब है पौष पूर्णिमा की तिथि? जानें शुभ मुहूर्त और महत्व

प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार, पौष माह के दूसरे प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त 23 जनवरी 2024 को शाम 5 बजकर 52 मिनट से लेकर रात्रि के 8 बजकर 33 मिनट पर है। प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की पूजा प्रदोष काल में की जाएगी। प्रदोष व्रत की पूजा-विधि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, प्रदोष व्रत के दिन सुबह उठकर स्नान करें। उसके बाद स्वच्छ कपड़े पहनें। ज्योतिष शास्त्रियों के अनुसार, प्रदोष व्रत के दिन काले रंग का कपड़ा पहनने से बचना चाहिए। इस दिन भगवान शिव की पूजा करने से पहले मंदिर की साफ-सफाई करें। साथ ही भोलेनाथ के सामने घी के दीपक जलाएं। उसके बाद धूप-दीप और मिठाई अर्पित करें। यह भी पढ़ें- फ्रिज, कूलर और वॉशिंग मशीन किस रंग का खरीदें? कहां रखें जानें वास्तु टिप्स मिठाई अर्पित करने के बाद भगवान शिव के बीज मंत्रों का जाप करें। साथ ही सायंकाल में जलाभिषेक करें। जलाभिषेक करने के बाद भांग, धतूरा, बेलपत्र और आक के फूल भी अर्पित करें। ये सब करने के बाद अंत में भगवान शिव, माता पार्वती और गणेश जी की आरती उतारें। साथ ही प्रसाद का सेवन करें और दूसरों को भी बाटें। यह भी पढ़ें- सूर्य देव करने जा रहे हैं खास नक्षत्र में प्रवेश, जानें किसके लिए लकी? डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है।News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी उपाय को करने से पहले संबंधित विषय के एक्सपर्ट से सलाह अवश्य लें।


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