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Navratri 2022: नवरात्रि का दूसरा दिन आज, जानें माता ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि और कथा

Navratri 2022: आज नवरात्र का दूसरा दिन है। आज भक्त मां दुर्गा के दूसरे दूसरे रूप मां ब्रह्मचारिणी की पूजा अर्चना कर रहे हैं। ब्रह्म का मतलब होता है तपस्या और चारिणी मतलब होता है आचरण करना। इनकी पूजा नवरात्र के दूसरे दिन की जाती है। ब्रह्मचारिणी इस लोक के समस्त चर और अचर जगत […]

Navratri 2022: आज नवरात्र का दूसरा दिन है। आज भक्त मां दुर्गा के दूसरे दूसरे रूप मां ब्रह्मचारिणी की पूजा अर्चना कर रहे हैं। ब्रह्म का मतलब होता है तपस्या और चारिणी मतलब होता है आचरण करना। इनकी पूजा नवरात्र के दूसरे दिन की जाती है। ब्रह्मचारिणी इस लोक के समस्त चर और अचर जगत की विद्याओं की ज्ञाता हैं। इनका स्वरूप श्वेत वस्त्र में लिप्टी हुई कन्या के रूप में है, जिनके एक हाथ में अष्टदल की माला और दूसरे हाथ में कमंडल है। यह अक्षयमाला और कमंडल धारिणी ब्रह्मचारिणी नामक दुर्गा शास्त्रों के ज्ञान और निगमागम तंत्र-मंत्र आदि से संयुक्त हैं। अभी पढ़ें Aaj Ka Rashifal 27 September: नवरात्रि के दूसरे दिन इनपर रहेगी मां दूर्गा की कृपा, मेष से मीन तक यहां जानें सभी 12 राशियों का आज का राशिफल अपने भक्तों को यह अपनी सर्वज्ञ सम्पन्न विद्या देकर विजयी बनाती हैं। ब्रह्मचारिणी का स्वरूप बहुत ही सादा और भव्य है। अन्य देवियों की तुलना में वह अतिसौम्य, क्रोध रहित और तुरंत वरदान देने वाली देवी हैं। इन नवदुर्गाओं का वास्तविक व्यक्तित्व दुर्गा सप्तशती के देवी कवच में वर्णित है। ये सभी देवियां अपने भक्तों का उद्धार करती हैं।  मान्यता के मुताबिक मां ब्रह्मचारिणी ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी। यही वजह है कि उनका नाम ब्रह्मचारिणी पड़ा। मां ब्रह्मचारिणी के दाएं हाथ में माला है और देवी ने बाएं हाथ में कमंडल धारण किया है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जो साधक विधि विधान से देवी के इस स्वरूप की पूजा अर्चना करता है, उसकी कुंडलिनी शक्ति जाग्रत हो जाती है। संन्यासियों के लिए देवी की पूजा विशेष रूप से फलदायी है।  मां ब्रह्मचारिणी को ज्ञान, तपस्या और वैराग्य की देवी माना जाता है। कठोर साधना और ब्रह्म में लीन रहने के कारण इनको ब्रह्मचारिणी कहा गया। छात्रों और तपस्वियों के लिए इनकी पूजा बहुत ही शुभ फलदायी है, जिनका चंद्रमा कमजोर हो तो उनके लिए मां ब्रह्मचारिणी की उपासना करना शुभ फलदायी होता है।

मां ब्रह्मचारिणी मंत्र (Maa Brahmacharini Mantra)

'दधाना कपद्माभ्यामक्षमालाकमण्डलू । देवी प्रसीदतु मयि ब्रहमचारिण्यनुत्तमा ।।'

मां ब्रह्मचारिणी कथा (Maa Brahmacharini Kataha)

मां ब्रह्मचारिणी ने हिमालय के घर पुत्री रूप में जन्म लिया था और नारद जी के उपदेश से भगवान शंकर को पति रूप में प्राप्त करने के लिए घोर तपस्या की थी। इस कठिन तपस्या के कारण इन्हें ब्रह्मचारिणी नाम से जाना गया। एक हजार वर्ष तक इन्होंने केवल फल-फूल खाकर बिताए और सौ वर्षों तक केवल जमीन पर रहकर शाक पर निर्वाह किया। कुछ दिनों तक कठिन व्रत रखे और खुले आकाश के नीचे वर्षा और धूप के घोर कष्ट सहे। तीन हजार वर्षों तक टूटे हुए बिल्व पत्र खाए और भगवान शंकर की आराधना करती रहीं। अभी पढ़ें तारामंडल में आज रात होगी बेहद खास, 59 साल बाद पृथ्वी के बेहद करीब चमकेगा बृहस्पति गृह, जानें इसके मायने इसके बाद तो उन्होंने सूखे बिल्व पत्र खाना भी छोड़ दिए। कई हजार वर्षों तक निर्जल और निराहार रह कर तपस्या करती रहीं। कठिन तपस्या के कारण देवी का शरीर एकदम क्षीण हो गया। देवता, ऋषि, सिद्धगण, मुनि सभी ने ब्रह्मचारिणी की तपस्या को अभूतपूर्व पुण्य कृत्य बताया, सराहना की और कहा- हे देवी आज तक किसी ने इस तरह की कठोर तपस्या नहीं की। यह आप से ही संभव थी। आपकी मनोकामना परिपूर्ण होगी और भगवान चंद्रमौलि शिवजी तुम्हें पति रूप में प्राप्त होंगे। अब तपस्या छोड़कर घर लौट जाओ। जल्द ही आपके पिता आपको लेने आ रहे हैं। अभी पढ़ें – आज का राशिफल यहाँ पढ़ें


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