TrendingHolika Dahan 2025Holi 2025Ramadan 2025IPL 2025Champions Trophy 2025WPL 2025Chandra Grahan 2025

---विज्ञापन---

Janmashtami 2022: द्वारका का आज भी मौजूद है अवशेष, क्या दो श्राप से डूबी द्वारका ?

Janmashtami 2022: द्वारका का आज भी मौजूद है अवशेष, जानें क्या दो श्राप से डूबी द्वारका? Janmashtami 2022: भारत समेत दुनियाभर कृष्ण कन्हैया के भक्त भागवान श्रीकृष्ण के जन्मदिवस जन्माष्टमी की तैयारी में जुटे हैं। कोरोना संकट के प्रोटोकॉल के बीच वातावरण कृष्णमय होने लगा है। जन्माष्टमी के मौके पर हम आपको एक ऐसी नगरी […]

Janmashtami 2022: द्वारका का आज भी मौजूद है अवशेष, जानें क्या दो श्राप से डूबी द्वारका? Janmashtami 2022: भारत समेत दुनियाभर कृष्ण कन्हैया के भक्त भागवान श्रीकृष्ण के जन्मदिवस जन्माष्टमी की तैयारी में जुटे हैं। कोरोना संकट के प्रोटोकॉल के बीच वातावरण कृष्णमय होने लगा है। जन्माष्टमी के मौके पर हम आपको एक ऐसी नगरी के बारे में बताने जा रहे हैं जो आज भी समुद्र में मौजूद है और इस नगर के वजूद को कई खोजों में स्वीकार किया गया है। हम बात कर रहे हैं द्वारका का। भगवान कृष्ण के द्वारका का राजा होने के कारण ही द्वारकाधीश भी कहा जाता है। द्वारका का पूर्व में नाम कुशवती था, जो उजाड़ हो चुकी थी। श्रीकृष्ण ने इसी स्थान पर नए नगर का निर्माण करवाया। कंस वध के बाद श्रीकृष्ण ने गुजरात के समुद्र के तट पर द्वारिका का निर्माण कराया और वहां एक नए राज्य की स्थापना की। कुछ साल पहले नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ ओसियनोग्राफी को समुद्र के अंदर प्राचीन द्वारका के अवशेष प्राप्त हुए थे। इस नगरी का एक हिस्सा आज भी समंदर में है। अनेक द्वारों का शहर होने के कारण इस नगर का नाम द्वारका पड़ा। ये दीवारें आज भी समुद्र के गर्त में हैं। ऐसी मान्यता है कि मथुरा छोड़ने के बाद भगवान श्रीकृष्ण ने द्वारका में एक नया नगर बसाया। शास्त्रों के मुताबिक कृष्ण अपने 18 साथियों के साथ यहां आए और द्वारका नामक नगर को बसाया। बताया जाता है कि यहां उन्होंने 36 साल तक राज किया। इसके बाद उन्होंने अपने प्राण त्याग दिए। भगवान कृष्ण के विदा होते ही द्वारका नगरी समुद्र में डूब गई और यादव कुल नष्ट हो गया। द्वाराक के समुद्र में डूबने को लेकर कई मान्यताएं हैं। लेकिन धार्मिक मान्यताएं है जिसपर लोग आज भी काफी भरोसा करते हैं।

पहला श्राप

महाभारत युद्ध में भगवान कृष्ण पांडव के पक्ष में थे जबकि उनकी सेना कौरवों के पक्ष में। यह युद्ध में कौरवों का आंत हो गया और पांडव विजयी हुए। युद्ध के बाद कौरवों की माता गांधारी ने महाभारत युद्ध के लिए श्रीकृष्ण को दोषी ठहराया और उन्होंने भावना कृष्ण को श्राप भी दिया। गांधारी ने श्रीकृष्ण को श्राप दिया कि जिस तरह कौरवों के वंश का नाश हुआ है ठीक उसी प्रकार पूरे यदुवंश का भी नाश होगा।

दूसरा श्राप

जबकि दूसरी मान्यता है कि ऋषियों द्वारा श्रीकृष्ण के पुत्र सांब को दिया गया और इसी वजह से यादव वंश का नाश हो गया और द्वारका नगरी का पतन हो गया। कहा जाता है कि महर्षि विश्वामित्र, कण्व, देवर्षि नारद आदि द्वारका पहुंचे. वहां यादव कुल के कुछ युवकों ने ऋषियों से मजाक किया। वे श्रीकृष्ण के पुत्र सांब को स्त्री वेष में ऋषियों के पास ले गए और कहा कि ये स्त्री गर्भवती है। इसके गर्भ से क्या पैदा होगा? ऋषि अपमान से क्रोधित हो उठे और उन्होंने श्राप दिया कि- श्रीकृष्ण का यह पुत्र ही यदुवंशी कुल का नाश करने के लिए एक लोहे का मूसल बनाएगा, जिससे अपने कुल का वे खुद नाश कर लेंगे।


Get Breaking News First and Latest Updates from India and around the world on News24. Follow News24 and Download our - News24 Android App. Follow News24 on Facebook, Telegram, Google News.