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इस तरह होता है कुंडलिनी जागरण, मिलती हैं देवताओं के समान दिव्य शक्तियां

Kundalini Jagran: इन दिनों पूरे विश्व में कुंडलिनी जागरण को लेकर एक अलग ही ट्रेंड चल रहा है। बहुत से लोग कुंडलिनी जागरण के कोर्स भी करवा रहे हैं और कुछ अपनी खुद की कुंडलिनी जागृत होने और सहस्रार चक्र के जागृत होने का भी दावा करते हैं। परन्तु क्या आप जानते हैं कि चक्र, […]

Kundalini Jagran: इन दिनों पूरे विश्व में कुंडलिनी जागरण को लेकर एक अलग ही ट्रेंड चल रहा है। बहुत से लोग कुंडलिनी जागरण के कोर्स भी करवा रहे हैं और कुछ अपनी खुद की कुंडलिनी जागृत होने और सहस्रार चक्र के जागृत होने का भी दावा करते हैं। परन्तु क्या आप जानते हैं कि चक्र, कुंडलिनी, दैवीय ऊर्जा क्या होते हैं और कैसे काम करते हैं? यह भी पढ़ें: झाड़ू भी बना सकती हैं करोड़पति या कंगाल, जानिए कैसे?

मूलाधार चक्र में सोई रहती है कुंडलिनी शक्ति (Kundalini Jagran)

प्राचीन भारतीय योगशास्त्र और आध्यात्म विज्ञान के अनुसार सभी मनुष्यों के शरीर में सात चक्र होते हैं। इनमें नाम मूलाधार, स्वाधिष्ठान, मणिपूर, विशुद्ध, कंठ, आज्ञा चक्र तथा सहस्त्रार चक्र हैं। सभी प्राणियों की कुंडलिनी प्रथम चक्र मूलाधार में सोई रहती है। मंत्र जप तथा योगाभ्यास के द्वारा इसे जगाया जाता है। इसके जागरण से व्यक्ति को अद्भुत शक्तियां मिलने लगती है। आध्यात्मिक मान्यताओं के अनुसार जैसे-जैसे कुंडलिनी एक्टिव होकर आगे बढ़ती है, शरीर के शेष चक्र भी जागृत होने लगते हैं। इस स्थिति में मनुष्य को दैवीय शक्तियां प्राप्त होने लगती हैं और वह असंभव कामों को भी सहजता से करने लगता है।

कुंडलिनी जागरण से मिलती हैं अद्भुत शक्तियां

यूं तो कुंडलिनी जागरण के लिए किसी गुरु के सानिध्य में कठोर अभ्यास करना होता है। परन्तु कई बार पूर्वजन्मों के कर्म अथवा अन्य कारणों से भी कुंडलिनी जागृत हो जाती है। हालांकि उसका पता नहीं चल पाता है परन्तु ऐसे व्यक्ति में विशेष मेधा आ जाती है। उसकी बुद्धिमता का स्तर बढ़ जाता है, उसे भविष्य में होने वाली घटनाओं का पूर्वाभास होने लगता है, उसके चेहरे पर भी एक अलग ही चमक आ जाती है। इस प्रकार कुंडलिनी जागरण से व्यक्ति का न केवल शारीरिक वरन मानसिक विकास भी बेहतर होने लगता है। यह भी पढ़ें: घर की तिजोरी में रख दें ये एक चीज, छप्पर फाड़ कर बरसेगा पैसा ही पैसा

आप भी कर सकते हैं अपनी कुंडलिनी जागृत

इसके लिए आपको एक योग्य गुरु ढूंढ कर उनकी देखरेख में योगाभ्यास करना होगा। इसके लिए कुछ गुरु मंत्र जाप करने की भी सलाह देते हैं तो कुछ ध्यान और योग का आश्रय लेते हैं। हालांकि यह कार्य बहुत जटिल है इसलिए इसमें कई वर्षों का भी समय लग सकता है। परन्तु जब एक बार कुंडलिनी जागृत हो जाती है, तब उसका अभ्यास करना आसान हो जाता है। डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी उपाय को करने से पहले संबंधित विषय के एक्सपर्ट से सलाह अवश्य लें।


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