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Dharma Karma: मंत्र जाप करते समय रखें इन बातों का ध्यान, मिलेंगे कई लाभ

Dharma Karma: वर्ष 2023 का पहला सूर्य ग्रहण 20 अप्रैल 2023 (गुरुवार) पर हो रहा है। इस दिन बैसाख माह की अमावस्या भी है। प्राचीन ग्रंथों के अनुसार सूर्य ग्रहण के समय यदि किसी मंत्र का जप किया जाए तो वह बहुत शीघ्र सिद्ध हो जाता है। यही कारण है कि तांत्रिक इस दिन श्मशान […]

Dharma Karma: वर्ष 2023 का पहला सूर्य ग्रहण 20 अप्रैल 2023 (गुरुवार) पर हो रहा है। इस दिन बैसाख माह की अमावस्या भी है। प्राचीन ग्रंथों के अनुसार सूर्य ग्रहण के समय यदि किसी मंत्र का जप किया जाए तो वह बहुत शीघ्र सिद्ध हो जाता है। यही कारण है कि तांत्रिक इस दिन श्मशान में जाकर अलग-अलग मंत्रों को सिद्ध करने का प्रयास करते हैं। आम जनता में तंत्र और तांत्रिकों को लेकर बहुत सारी गलत जानकारियां फैली हुई है। यहां तक कि बहुत से लोगों को यह भी नहीं मालूम कि मंत्र अनुष्ठान करते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए। जानिए ऐसे ही कुछ नियमों के बारे में जिनका पालन अवश्य करना चाहिए। यह भी पढ़ें: भगवान विष्णु की एकादशी पर ऐसे करें पूजा, मां लक्ष्मी घर देगी घर के सब भंडार

माला संबंधी नियम (Dharma Karma)

  • यदि तंत्र सिद्धि प्राप्ति के लिए अनुष्ठान करना हो तो उसके लिए मंत्रों की प्रकृति के अनुसार धतूरे तथा हड्डियों की माला प्रयोग की जाती है।
  • समस्त सात्विक साधनाओं के लिए रुद्राक्ष की माला का प्रयोग किया जाता है। हालांकि देवी मंत्रों का जप रात में रुद्राक्ष की माला पर नहीं किया जाना चाहिए।
  • भगवान विष्णु तथा उनके अवतारों की भक्ति तथा मोक्ष पाने के तुलसी की माला का प्रयोग करना चाहिए।
  • विशेष लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए अलग-अलग मालाओं का प्रयोग किया जाता है। विद्या प्राप्ति के लिए स्फटिक की माला, वशीकरण के लिए मूंगे की माला तथा पाप नाश के लिए कुशमूल की माला प्रयोग लेनी चाहिए।
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  • जप माला में कुल 108 मनके होने चाहिए, इनके अतिरिक्त सुमेरू के रूप में एक अतिरिक्त दाना होता है। इस तरह कुल मिलाकर माला में 109 मनके होने चाहिए।
  • माला के सभी मनके या दाने एक ही आकार, प्रकार तथा रंग-रूप वाले होने चाहिए। अलग-अलग आकार वाले मनकों की माला फलप्रद नहीं होती है।
  • जप करते समय कभी भी सुमेरु का उल्लंघन नहीं करना चाहिए। ऐसा करना जप के फल को नष्ट कर देता है।
  • माला बनाने के लिए कुंवारी ब्राह्मण कन्या के हाथ से काते गए सूत का ही प्रयोग करना चाहिए।
  • किसी भी माला को बनाते समय मुख से मुख तथा पृच्छ से पृच्छ को मिलना चाहिए।
  • जप करते समय माला को छिपा कर रखना चाहिए। जप के बाद माला को पवित्र स्थान पर रखें। उसे गंदे हाथों से स्पर्श भी न करें।
डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी उपाय को करने से पहले संबंधित विषय के एक्सपर्ट से सलाह अवश्य लें।


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