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Video: ब्रह्मा जी को किसने दिया श्राप, आखिर भक्त उनकी पूजा क्यों नहीं करते ?

Brahma Mandir Pushkar : इस सृष्टि की रचना ब्रह्मा द्वारा की गई। संसार के प्रत्येक जीव का निर्माण ब्रह्मा ने ही किया है। तो दोस्तों आपने कभी ये सोचा है कि इस सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा जिनकी पदवी इतनी उच्च है। उनकी पूजा क्यों नहीं की जाती है। दुनिया से ब्रह्मा जी के गिने-चुने ही मंदिर […]

Edited By : Pankaj Mishra | Updated: May 15, 2023 11:28
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BRAHMA MANDIR PUSHKAR
BRAHMA MANDIR PUSHKAR

Brahma Mandir Pushkar : इस सृष्टि की रचना ब्रह्मा द्वारा की गई। संसार के प्रत्येक जीव का निर्माण ब्रह्मा ने ही किया है। तो दोस्तों आपने कभी ये सोचा है कि इस सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा जिनकी पदवी इतनी उच्च है। उनकी पूजा क्यों नहीं की जाती है। दुनिया से ब्रह्मा जी के गिने-चुने ही मंदिर है। जिनमें राजस्थान के पुष्कर में ब्रह्मा मंदिर सबसे प्राचीन और प्रसिद्ध है। ऐसा क्यों है ? आज के वीडियो में हम इससे जुड़ी हर रोचक कहानी के बारे में बताएंगे तो आप इस वीडियो में अंत तक हमारे साथ बने रहिए।

ब्रह्मा जी से ही वेद ज्ञान का प्रचार हुआ। उनके चार चेहरे चार भुजाएं और प्रत्येक भुजा में एक-एक वेद है। लेकिन बहुत ही कम संप्रदाय है जो उनकी आराधना करते हैं। पुराणों के अनुसार सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड, परमज्ञानी ब्रह्मा जी की है। कहते है कि ब्रह्माण्ड का नाम ब्रह्मा के नाम से ही अलंकृत है लेकिन ब्रह्मा जी की पृथ्वी पर सिर्फ एक इकलौती मंदिर है। जी हां वो पवित्र स्थान है, तीर्थराज पुष्कर। राजस्थान के पहाड़ियों के बीच बसा पुष्कर प्राकृतिक सौन्दर्य से भरा एक खूबसूरत शहर है। इस शहर में वैसे बहुत सारे मंदिर हैं लेकिन पुष्कर में ब्रह्मा मंदिर इन सभी मंदिरों में सबसे खास है। इस मंदिर को सृष्टि रचयिता ब्रह्मा जी का घर भी माना जाता है। इसकी प्राकृतिक सुन्दरता ऐसी है जो मन को मोह लेती है। यहां की कलाकृति और संस्कृति यहां के वातावरण से लिपटी हुई है। हवाएं ऐसी चलती है कि मानो वो गुनगुना रही हो कुछ गा रही हों। यहां के वातावरण का जितना वर्णन किया जाए उतना कम है।

कथाओं की मान्यता है कि देवताओं ने जब सृष्टि निर्माण के लिए ब्रह्मा जी से आग्रह किया तो ब्रह्मा जी ने देवताओं के आग्रह पर ब्रह्मलोक से एक कमल का पुष्प पाताल लोक की तरफ फेंका और अपने मुखार बिन्दु से कहा कि जिस जगह पर ये पुष्प गिरेगा वहीं से सृष्टि का निर्माण शुरू किया जायेगा। कहते हैं कि पुष्कर का ब्रह्मसरोवर ही वो पवित्र स्थान है जहां पर ब्रह्मा जी द्वारा कमल का पुष्प गिराया गया था। मान्यता ये भी है कि कमल पुष्प गिरने से पृथ्वी के उस जगह पर तालाब का निर्माण हुआ और ब्रह्मा जी ने यही स्थान यज्ञ के लिए चुना।

ब्रह्मा जी की पूजा पृथ्वी लोक पर क्यों नहीं की जाती है। चारों वेदों के ज्ञानी ब्रह्मा को श्राप है कि पृथ्वी लोक पर उनकी पूजा नहीं की जाएगी। इसको लेकर कई सारी कथाएं हैं जिसमें कुछ सही हैं तो कुछ मनगढ़ंत है, लेकिन पुराणों की मानें तो ब्रह्मा जी को श्राप उनकी पत्नी सावित्री ने दिया था। इसके पीछे की कहानी ये है कि जब भगवान ब्रह्मा ने पृथ्वी लोक पर सृष्टि का निर्माण किया तो उसके बाद 10 हजार साल तक तपस्या किया। तपस्या पूरी होने के बाद उन्होंने अपनी शरीर से जीवों को उत्पन्न किया और उसके बाद उन्होंने यज्ञ का अनुष्ठान करने का प्रण लिया। कहते है कि भगवान ब्रह्मा की दो पत्नियां थी। पहली पत्नी माता सावित्री और दूसरी पत्नी वेदज्ञायिनी गायत्री देवी।

जिस समय भगवान ब्रह्मा यज्ञ पर बैठे तो यज्ञ के समय माता सावित्री वहां पर उपस्थित नहीं थी, तो ब्रह्मा जी ने यज्ञ में देरी न हो जाए इस वजह से अपनी दूसरी पत्नी माता गायत्री को अपने वाम भाग में बैठाकर यज्ञ शुरू कर दिया जैसे ही यज्ञ शुरू होता है, उसके तुरंत बाद भगवान ब्रह्मा की दूसरी पत्नी माता सावित्री वहां आ जाती हैं और ब्रह्मा जी के वाम भाग में गायत्री माता को देखकर क्रोधित हो जाती है। क्रोधित होकर माता सावित्री भगवान ब्रह्मा से कहती हैं कि आपने ही सृष्टि का निर्माण किया है और आपने ही नियम बनाया है। एक पत्नी के न होने पर यज्ञ शुरू कर दिया है। आपने अपने बनाये गये नियमों का उल्लंघन किया है। मैं इस उल्लंघन की वजह से आपको श्राप देतीं हूं कि आपकी पृथ्वीलोक में पूजा नहीं की जाएगी। आप कलयुग में अपूजनीय रहेंगे और संसार में आपका कोई मंदिर नहीं होगा। उसके बाद माता सावित्री वहां से चली जाती हैं और वही श्राप आज भी ब्रह्मा के साथ है।

यही कारण है कि ब्रह्मा जी का पूरे पृथ्वी पर इकलौता मंदिर सिर्फ पुष्कर में स्थित है। पुष्कर का ये सुप्रसिध्द मंदिर भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी प्रसिद्ध है। देश और विदेश के लोग यहां दर्शन करने आते हैं। ये भी कहा जाता है कि द्वापर में भगवान राम भी पुष्कर यात्रा पर आए थे और उन्होंने यहां पर अपने पुरखों के लिए पिंडदान किया था। कहते हैं कि ब्रह्मसरोवर का जल इतना पवित्र माना जाता है की इसके छूने मात्र से पाप धुल जाते हैं। इस सरोवर में लाखों श्रद्धालु स्नान करने के लिए आते हैं और अपने शरीर और मन को पवित्र करते हैं। कहते हैं कि पुष्कर जैसा मंदिर कहीं दूसरी जगह नहीं है क्योंकि पुष्कर ही एकमात्र ऐसा स्थान है जिसकी स्थापना स्वयं ब्रह्मा जी ने किया है। मन को पवित्र करने का सबसे अच्छा स्थान पुष्कर ही है। जब भी आपको समय मिले तो आप इस सरोवर में स्नान कर पुण्य प्राप्त कर सकते हैं।

First published on: May 15, 2023 11:27 AM

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