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ज्योतिष

देश का एक अनोखा मंदिर, जहां लोग पूजा करने के बाद छोड़ते हैं कबूतर, तुरंत पूरी होती हैं मन्नतें

Navaratri Special Unique temple of India : बिहार के वैशाली के महुआ नगर में स्थित शक्तिपीठ मनोकामना सिद्धि देवी मंदिर का पट, श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए खोल दिया गया है। पट खुलते ही भक्तों के द्वारा लगाए गए जयकारों से पूरा क्षेत्र भक्तिमय हो गया है।

Author Edited By : Pratyaksh Mishra Updated: Oct 20, 2023 17:04

Navaratri Special Unique temple of India:(अभिषेक कुमार) : वैशाली के महुआ नगर के अंतर्गत, गोविंदपुर सिंघाड़ा में स्थित शक्तिपीठ मनोकामना सिद्धि देवी मंदिर में पंचमी तिथि के मौके पर दो बकरों की बलि के साथ ही मां भगवती का पट, श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए खोल दिया गया है। बलि प्रथा के लिए वैशाली के साथ ही आसपास के जिलों में चर्चित प्रसिद्ध शक्तिपीठ गोविंदपुर सिंघाड़ा में बृहस्पति को देर रात्रि में करीब पंचमी तिथि होने के नाते, दो बकरों की बलि एवं छप्पन प्रकार के भोग के साथ ही मां भगवती का पट श्रद्धालु भक्तों के लिए खुल गया। पट खुलते ही भक्तों के द्वारा लगाए गए जयकारों से पूरा क्षेत्र भक्तिमय हो गया है।

विधि-विधान के साथ की जाती है मां भगवती की पूजा

बता दें कि 28 सौ साल से ज्यादा से चली आ रही परंपरा के अनुसार, शक्तिपीठ गोविंदपुर सिंघाड़ा में पूरे विधि विधान के साथ मां भगवती की पूजा अर्चना होती आ रही है। भगवती शक्तिपीठ कई मायनों में वैशाली के आस पास जिलों में चर्चित है। यह स्थान खास तौर पर मनोकामना सिद्धि तथा बकरों की बलि के लिए काफी प्रसिद्ध हैं। यह परंपरा सदियों से चलती आ रही है। पूजा समिति के आयोजक बताते हैं कि यहां पूरे विधि-विधान के साथ मां भगवती की पूजा अर्चना की जाती है। इसमें कहीं भी कोई परिवर्तन नहीं किया।

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मां का पट खुलने के साथ ही बलि प्रथा प्रारंभ हो जाती है, जो नवमी तक चलती है। दसवीं के दिन मां के अंतिम पूजा अर्चना वाया नदी के तट पर नरसिंह स्थान सिंघाड़ा में पूजा की जाती है, इसके बाद मां की प्रतिमा का विसर्जन भी नदी में कर दिया जाता है। विसर्जन के दौरान जन सैलाब उमड़ जाति है, जिस कारण पूरा इलाका सुबह से देर शाम तक अस्त व्यस्त भी हो जाता है।

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मुरादें पूरी करती हैं गोबिंदपुर वाली मईया

ग्रामीणों का माना है कि मां के दरबार में जो श्रद्धालु भक्त मन्नतें मांगते हैं। उनकी मुरादे मां भगवती अवश्य पूरी करती हैं। इसके बाद लोग मन्नत उतारने के लिय वैशाली आस पास के जिले से लोग हर वर्ष मां के दर्शन एवं बलि प्रदान करने के लिए लोग, गाजे-बाजे के साथ पहुंचते हैं।

हाथ पैर धोकर ही मंदिर में प्रवेश करते हैं लोग

गोबिंदपुर सिंघाड़ा वाली मईया की दर्शन को लेकर आने जाने वाले लोगों को पहले हाथ पैर धोने के बाद ही मंदिर परिसर में प्रवेश कराया जाता है। इस दौरान लोग पूजा पाठ कर प्रसाद चढ़ाने के बाद पंडितों से चंदन टिका लगवाते हैं। मंदिर परिसर में कबूतर भी छोड़ते हैं। कहा जाता है कि मंदिर में छोड़े गए कबूतर भी पहले मां की प्रतिमा के इर्द-गिर्द भ्रमण करने के बाद मंदिर परिसर के चहारदिवारी पर बैठ जाते हैं।

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Edited By

Pratyaksh Mishra

First published on: Oct 20, 2023 08:33 AM
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