Ukraine Crisis: यूक्रेन पर रूस के जारी हमलों के बीच शुक्रवार शाम को एक नया और बड़ा अपडेट आया। अपडेट ये था कि अंतरराष्ट्रीय आपराधिक कोर्ट (ICC) ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के खिलाफ वारंट जारी कर दिया। इस खबर के बाद युद्ध के हमलों से जूझ रहे यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की की भी प्रतिक्रिया आ गई। जेलेंस्की ने कहा कि ये तो अभी बस शुरुआत है। उन्होंने इंटरनेशनल कोर्ट के इस फैसले को न्याय की दिशा में पहला कदम बताया।
अंतराष्ट्रीय आपराधिक कोर्ट की ओर से पुतिन के खिलाफ गिरफ्तारी वाले वारंट की खबर के बाद चर्चा होने लगी कि क्या पुतिन को गिरफ्तार कर लिया जाएगा? उनकी गिरफ्तारी का वारंट आखिर क्यों जारी किया गया? आखिर इस वारंट का क्या मतलब है और आखिर ये अंतराष्ट्रीय आपराधिक कोर्ट क्या है, जिसने पुतिन की गिरफ्तारी का आदेश जारी कर दिया। इस खबर में हम आपको इन सवालों के जवाब बताएंगे।
इंटरनेशनल कोर्ट की ओर से जारी गिरफ्तारी वारंट को लेकर रूस की भी प्रतिक्रिया सामने आई। रूस ने इस वारंट को न सिर्फ सिरे से खारिज कर दिया। मास्को की ओर से वारंट के उलट यूक्रेन पर युद्ध के दौरान अपराध करने के आरोप लगा दिए गए। रूसी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिजा झरकोवा ने कहा कि कि रूस रोम स्टेट्यूट का हिस्सा नहीं है। ऐसे में ऐसे किसी वारंट को अमल करने का उस पर कोई दबाव नहीं है।
अब बात अंतरराष्ट्रीय आपराधिक कोर्ट की
अंतरराष्ट्रीय आपराधिक कोर्ट का जन्म दो दशक पुराना है। एक स्थायी निकाय के रूप में 1998 की संधि के तहत युद्ध अपराधों, नरसंहार और मानवता के खिलाफ अपराधों की जांच के लिए इसका गठन किया गया था। इस कोर्ट को रोम कानून के रूप में भी जाना जाता है। इस कोर्ट की स्थापना प्रक्रिया में आने वाले देशों में ब्रिटेन. अमेरिका जैसे देश शामिल हैं। इस कोर्ट की ऑफिशियल मीटिंग नीदरलैंड के द हेग में होती है लेकिन इसकी कार्यवाही कही भी हो सकती है, किसी भी देश में हो सकती है।
पुतिन के खिलाफ कार्रवाई को कितने देशों ने भरी हामी?
2022 में फरवरी के आखिरी हफ्ते में यूक्रेन पर हमले शुरू होने के बाद कई देशों ने रूस के खिलाफ प्रतिबंध लगाया था। इसी बीच अंतरराष्ट्रीय आपराधिक कोर्ट में पुतिन के खिलाफ कार्रवाई को लेकर प्रस्ताव दिया जाने लगा। इस प्रस्ताव पर एक-दो नहीं बल्कि पूरे 39 देशों ने अपनी हामी भरी थी। इनमें ब्रिटेन, फ्रांस, नीदरलैंड समेत अन्य देश शामिल थे। कहा जा रहा है कि जांच पूरी होने के बाद ICC के चीफ प्रॉसिक्यूटर करीम असद अहमद खान ने अरेस्ट वारंट इश्यू कराया है।
वारंट जारी होने के बाद अब क्या?
अंतरराष्ट्रीय आपराधिक कोर्ट से वारंट जारी होने के बाद क्या होगा? इसका जबाव है कि अंतरराष्ट्रीय कोर्ट के न्याय क्षेत्र स्वीकार करने वाले और रोम स्टेट्यूट में शामिल देशों की जिम्मेदारी बढ़ गई है। अगर पुतिन इन देशों में यात्रा के लिए आते हैं तो फिर उन्हें गिरफ्तार करना जरूरी होगा, हालांकि अंतरराष्ट्रीय कोर्ट के न्याय क्षेत्र में आने वाले किसी भी देश में पुतिन की यात्रा की संभावना न के बराबर है। इससे साफ है कि पुतिन की गिरफ्तारी नामुमकिन है।
तो फिर अंतरराष्ट्रीय कोर्ट के वारंट का क्या मतलब है?
खबरों की मानें तो अंतरराष्ट्रीय अपराध कोर्ट के पास कोई पुलिस बल नहीं है। साथ ही उसके पास ऐसी कोई शक्ति भी नहीं है कि वो किसी देश के नेता को गिरफ्तार कर ले। इंटरनेशनल कानून के मुताबिक, अंतरराष्ट्रीय आपराधिक कोर्ट किसी को दोषी ठहरा सकता है, गिरफ्तारी वारंट जारी कर सकता है, लेकिन उसे गिरफ्तार नहीं कर सकता है।
रूस के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने मीडिया से कहा कि कई अन्य देशों की तरह रूस भी अंतरराष्ट्रीय आपराधिक कोर्ट के अधिकार क्षेत्र को मान्यता नहीं देता है। उन्होंने कहा कि रूसICCका सदस्य भी नहीं है, इसलिए इस वारंट का कोई मतलब नहीं है। जानकारों की माने तो जब तक रूस में सत्ता परिवर्तन नहीं होता है तब तक पुतिन के खिलाफ ICC में ट्रायल संभव नहीं है।
अब अहम और जरूरी सवाल ये कि वारंट क्यों जारी किया गया?
पुतिन की गिरफ्तारी वारंट को जारी करने वाले अंतरराष्ट्रीय अपराध कोर्ट का कहना है कि यूक्रेन पर एक साल से ज्यादा समय से रूस के हमले के बाद वहां के बच्चों के अपहरण और निर्वासन के लिए पुतिन जिम्मेदार हैं, इसलिए उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया जाता है। पुतिन के अलावा कोर्ट ने रूस की बाल अधिकार आयुक्त मारिया अलेक्सेयेवना लावोवा-बेलोवा की गिरफ्तारी का वारंट भी जारी किया है। बता दें कि अक्टूबर 2022 में रूस की ओर से यूक्रेनी बच्चों के पुनर्वास की खबर सामने आई थीं।
गिरफ्तारी वारंट को लेकर क्या भारत पर किसी तरह का दबाव है?
ऊपर के सवालों के अलावा एक और सवाल ये कि क्या वारंट को मानने के लिए भारत पर किसी तरह का कोई दबाव है? राजनीतिक विशेषज्ञों की मानें तो फिलहाल इसके कोई आसार नहीं हैं।
बता दें कि भारत भले ही ICC की स्थापना प्रक्रिया में आने वाले देशों की लिस्ट में से एक है, लेकिन इसके नियमों को मानने वाले 'रोम स्टेट्यूट' की सूची में भारत शामिल नहीं है। युद्ध और परमाणु हथियारों के इस्तेमाल को शामिल न करने के मुद्दे पर ऐतराज जताते हुए भारत ने रोम स्टेट्यूट पर जून-जुलाई 1998 में हुई वोटिंग में पार्टिसिपेट नहीं किया था।
बता दें कि रूस के राष्ट्रपति पुतिन को शंघाई सहयोग संगठन के शिखर सम्मेलन और G20 सम्मेलन में शामिल होने के लिए भारत आना है। फिलहाल इसका आधिकारिक ऐलान नहीं किया गया है।