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इस देश में Dog Meat पर लगेगा बैन, लोगों ने कहा- यह सपना सच होने जैसा है

Dog meat ban in South Korea: पेटा से जुड़ी एलिसा एलेन ने कहा कि डॉग खाने की चीज नहीं हैं। उन्हें भी जीने का हक है। वे किसी का भोजन नहीं हैं। उन्हें भी जीवित प्राणी के रूप में देखना चाहिए।

Dog meat ban in South Korea: पशु अधिकारों को लेकर कई संगठन काम कर रहे हैं, जिनका लक्ष्य पशुओं पर हो रहे अत्याचार को खत्म करना या रोकना है। इसी कड़ी में उन्हें कोरियाई प्रायद्वीप में बड़ी कामयाबी मिलती हुई नजर आ रही है।  दरअसल, दक्षिण कोरिया की सरकार ने कहा है कि वह 2027 तक देश में डॉग मीट पर प्रतिबंध लगाने की योजना बना रही है। बता दें कि यहां पशु अधिकारों के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ रही है।

सत्तारूढ़ पीपुल पावर पार्टी (People Power Party) की पॉलिसी चीफ Yu Eui-dong ने सरकारी अधिकारियों और पशु अधिकार कार्यकर्ताओं के साथ एक बैठक की। इस दौरान उन्होंने कहा कि कुत्ते के मांस की खपत को लेकर एक विशेष अधिनियम बनाकर सामाजिक संघर्षों और विवादों को खत्म करने का समय आ गया है। जल्द ही सरकार इसे लेकर एक बिल लाएगी। पशुओं के अधिकार से जुड़े कार्यकर्ताओं ने भी इस कदम की सराहना की है। उन्होंने इसे एक ऐतिहासिक घोषणा बताया है।

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'यह फैसला हम सभी के लिए सपने के सच होने जैसा'

हाल के कुछ दिनों में लोगों, खासकर युवा पीढ़ी के बीच, डॉग मीट को खाने को लेकर विरोध तेज हो गया है। ह्यूमेन सोसायटी इंटरनेशनल ने अपने एक बयान में कहा कि यह फैसला हम सभी के लिए सपने के सच होने जैसा है। हमने डॉग मीट पर प्रतिबंध लगाने के लिए कड़ी मेहनत की है।

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पशु अधिकार समूहों ने फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने कुत्तों के मांस को खाने पर प्रतिबंध लगाने को लेकर कानून बनाने की मांग की है। उनका कहना है कि इससे कुत्तों पर हो रहा अत्याचार बंद होगा।

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'कुत्तों को भी जीने का हक'

पेटा (PETA) से जुड़ी एलिसा एलेन (Elisa Allen) ने कहा कि डॉग खाने की चीज नहीं हैं। उन्हें भी जीने का हक है। वे किसी का भोजन नहीं हैं। उन्हें भी जीवित प्राणी के रूप में देखना चाहिए।

मांस खाना सदियों पुरानी प्रथा

बता दें कि कोरियाई प्रायद्वीप में कुत्ते का मांस खाना सदियों पुरानी प्रथा रही है। यहां के लोगों का ऐसा मानना है कि कुत्ते का मांस खाने से गर्मी से राहत मिलती है। हालिया जारी डेटा से पता चला है कि अब लोगों में कुत्ते का मांस खाने की प्रथा कम हो रही है। एक सर्वे के मुताबिक, 2015 में जहां 27 प्रतिशत लोग कुत्ते का मांस खा रहे थे, वहीं 2022 में इनकी संख्या घटकर आठ प्रतिशत हो गई।


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