Tarek Fatah Passed Away: पाकिस्तानी-कनाडाई स्तंभकार तारिक फतह का सोमवार को निधन हो गया। वे लबे समय से कैंसर से जूझ रहे थे। उनकी 73 साल उम्र थी। उनकी पत्रकार बेटी नताशा फतह ने इसकी पुष्टि की है। नताशा ने पिता के निधन पर बेहद भावुक करने वाला ट्वीट किया है।
नताशा ने अपने पिता को पंजाब का शेर और हिंदुस्तान का बेटा बताया है। उन्होंने लिखा, पंजाब का शेर। हिंदुस्तान का बेटा। कनाडा का प्रेमी। सच बोलने वाला। न्याय के लिए लड़ने वाला। दलितों, दलितों और शोषितों की आवाज। तारेक फतह अब हमारे बीच नहीं हैं। उनका काम और उनकी क्रांति सभी के साथ जारी रहेगी, जो उन्हें जानते और प्यार करते थे। क्या आप हमारे साथ आएंगे? 1949-2023।
तारिक फतेह मूलत: मुंबई के रहने वाले थे। उनका परिवार 1947 में देश का बंटवारा होने के बाद पाकिस्तान के कराची में जाकर बस गया। जहां 20 नवंबर 1949 को तारिक का जन्म हुआ था। तारिक ने अपने पत्रकारिता करियर की शुरुआत एक टीवी चैनल से की थी। 1987 में वे कनाडा चले गए।
तारिक की पहचान बतौर राजनीतिक कार्यकर्ता, मानवाधिकारों के घोर रक्षक और किसी भी रूप में धार्मिक कट्टरता के कट्टर विरोधी के तौर थी। उनकी किताब द ज्यू इज नॉट माई एनीमी: अनवीलिंग द मिथ्स दैट फ्यूल मुस्लिम एंटी-सेमिटिज्म और चेजिंग ए मिराज: द ट्रैजिक इल्यूजन ऑफ ए इस्लामिक स्टेट काफी लोकप्रिय हुई।
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पाकिस्तान के घोर आलोचक थे तारिक
तारिक फतह पाकिस्तान के घोर आलोचक थे और बलूच अलगाववादी आंदोलन के हिमायती थे, जो एक स्वतंत्र बलूचिस्तान राज्य के लिए लड़ रहे थे।
विवेक अग्निहोत्री ने जताया दुख
तारिक फतह के निधन पर द कश्मीर फाइल्स फिल्म के निर्देश विवेक रंजन अग्निहोत्री ने दुख जताया है। उन्होंने लिखा कि तारिक फतह साहसी, मजाकिया, जानकार, तेज विचारक, महान वक्ता और एक निडर सेनानी थे। तारेक, मेरे भाई, आपको एक करीबी दोस्त के रूप में पाकर खुशी हुई। ओम शांति।
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