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नेपाल में चुनावी सरगर्मियां तेज, बालेंद्र शाह प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार घोषित, 5 मार्च को होंगे मतदान

Nepal General Election 2026: नेपाल में अगले साल होने वाले आम चुनाव में प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार बालेन शाह होंगे. राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी ने उनके नाम की घोषणा कर दी है. नेपाल में इस साल हुई Gen-Z क्रांति के बाद बालेन शाह सुर्खियों में आए थे, क्योंकि युवाओं ने उन्हें अपना प्रतिनिधि चुनकर सियासत में खलबली मचा दी थी.

बालेन शाह को नेपाल के युवाओं ने अपना नेता और प्रतिनिधि नियुक्त किया हुआ है.

Nepal General Election: नेपाल में 5 मार्च 2026 को होने वाले आम चुनाव को लेकर सरगर्मियां तेज हो गई हैं और राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी (RSP) ने अपने प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार का ऐलान कर दिया है. पार्टी के अध्यक्ष एवं पूर्व पत्रकार रवि लामिछाने ने काठमांडू महानगरपालिका के मेयर बालेंद्र शाह को प्रधानमंत्री पद के लिए आधिकारिक उम्मीदवार घोषित कर दिया है.

बालेन के नाम से प्रसिद्ध बालेंद्र शाह को मेयर के रूप में अपने भ्रष्टाचार विरोधी अभियान की वजह से Gen-Z युवाओं का भारी समर्थन प्राप्त है. रवि लामिछाने की RSP साल 2022 के आम चुनाव में 21 सीटें जीत कर नेपाल की संसद में तीसरी सबसे बड़ी पार्टी बन गई थी. RSP का दावा है कि बालेन शाह जैसे युवा चेहरे के जरिये ही देश को स्थिरता और विकास की रफ्तार मिलेगा.

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275 सीटों के लिए होना है मतदान

बता दें कि नेपाल में आगामी 5 मार्च 2026 को 275 सीटों के लिए आम चुनाव होगा. मतदान सुबह 7 बजे शुरू होगा और शाम 5 बजे खत्म होगा. 20 जनवरी को नामांकन प्रक्रिया शुरू होगी और 21 जनवरी की शाम को उम्मीदवारों की सूची जारी की जाएगी. 22 जनवरी को आपत्तियां दर्ज कराई जा सकेंगे और 23 जनवरी को उम्मीदवार नाम वापस ले सकते हैं.

165 सदस्यों का चयन चुनाव से होगा

बता दें कि नेपाल की संसद के 275 सदस्यों में 165 सदस्यों का चुनाव प्रत्यक्ष रूप से मतदान कराकर किया जाता है, वहीं 110 सदस्य अनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के जरिए चुने जाते हैं. मतगणना के बाद चुनाव परिणाम घोषित किए जाते हैं. वहीं जब चुनाव आयोग उम्मीदवारों की फाइनल सूची तैयार करता है, उसी समय चुनाव चिह्नों का आवंटन भी कर देता है.

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केपी ओली की सरकार का हुआ पतन

बता दें कि साल 2025 में सोशल मीडिया पर बैन लगाने के कारण केपी शर्मा ओली की सरकार का पतन हो गया था. सोशल मीडिया पर बैन से युवा वर्ग भड़क गया और सरकार के खिलाफ हिंसक आंदोलन छेड़ दिया, जिसमें 75 लोगों ने जान गंवाई. सेना के निर्देश पर देश को अराजकता से बचाने के लिए केपी शर्मा ने पद से इस्तीफा दे दिया और देश छोड़कर चले गए.

केपी शर्मा ओली की सरकार के पतन के बाद सुशीला कार्की को अंतरिम सरकार का मुखिया बनाया गया, जिन्होंने 6 महीने के अंदर देश में आम चुनाव कराने का वादा किया और अपने इसी वादे को निभाते हुए उन्होंने चुनाव आयोग के साथ मिलकर आम चुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया. फिलहाल देश में शांति है और लोग चुनाव की तैयारियों में जुटे हैं.


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