ईरान की सड़कों पर जनसैलाब उमड़ रहा है. जगह-जगह 'मुल्लाओं को ईरान छोड़ना होगा' और 'तानाशाही मुर्दाबाद' जैसे नारे लग रहे हैं. दरअसल ईरान पर आर्थिक संकट मंडरा रहा है. दिसंबर 2025 के आखिर तक ईरानी रियाल की कीमत अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रिकॉर्ड निचले स्तर तक जा गिरी. ईरान में महंगाई 42% कर पहुंच गई है, सिर्फ खाने पीने की चीजों की कीमत 72% तक बढ़ चुकी है. हालात ये हैं कि लाखों ईरानी रोटी, तेल, दवा जैसी बुनियादी चीजें नहीं खरीद पा रहे हैं.
ये भी पढ़ें: ‘बर्बाद करके रख दूंगा अगर…’, डोनाल्ड ट्रंप की ईरान को न्यूक्लियर प्रोग्राम को लेकर सीधी धमकी
---विज्ञापन---
मौलवी शासन से परेशान हैं लोग
आर्थिक तंगी से परेशान लोग सड़कों पर उतर आए हैं. प्रदर्शनकारी खुलकर मौलवी शासन को नकार रहे हैं और उन्हें देश छोड़कर जाने के लिए कह रहे हैं. लोगों का मानना है कि सत्तारूढ़ मौलवी सिर्फ भ्रष्टाचार करते हैं. अयातुल्ला अली खामेनेई के नेतृत्व वाला धार्मिक शासन तीन साल में सबसे बड़े विरोध का सामना कर रहा है. तेहरान के ग्रैंड बाजार से शुरू हुआ प्रदर्शन अब मशहद, शिराज समेत कई शहरों में फैल रहा है. 2022 के महसा अमीनी विरोध प्रदर्शनों के बाद से ही ईरान की जनता शासन की खिलाफत कर रही है. लोग शासन के द्वारा थोपे गए कड़े सामाजिक और पर्सनल प्रतिबंधों से परेशान हैं. ईरान के नागरिक महिलाओं के लिए खासतौर पर आजादी की मांग कर रहे हैं.
---विज्ञापन---
'शासन की वजह से आई आर्थिक तंगी'
ईरानी रियाल की कीमत गिरने के बाद केंद्रीय बैंक के चीफ मोहम्मद रजा फर्जिन के इस्तीफे से लोगों का गुस्सा सातवें आसमान पर है. प्रदर्शनकारियों का कहना है कि पिछले सालों में मौलवी प्रशासन ने आर्थिक मजबूती पर ध्यान ना देकर बेकार की बातों पर ध्यान दिया है, जिसकी वजह से ईरान की ये हालत है. ईरान में कड़े कानून के बावजूद भी अब खामोश नहीं बैठना चाहते.
ये भी पढ़ें: भारतीयों के लिए ईरान में वीजा फ्री एंट्री सस्पेंड, विदेश मंत्रालय की एडवाइजरी पढ़कर ही प्लान करें ट्रिप